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Updated: 19 नवम्बर, 2018 06:23 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लगातार हमलावर हैं. राजस्थान और मध्य प्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ तक जहां कहीं भी राहुल गांधी चुनावी रैली को संबोधित कर रहे हैं, निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी ही होते हैं. बीच बीच में जरूर वो किसानों और बेरोजगारों के साथ साथ राज्य सरकार की खामियां गिनाते रहते हैं. वैसे तकरीबन ऐसी ही बातें प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों में भी सुनने को मिलती हैं.

अब राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने एक नया चैलेंज पेश किया है - 'वो किसी भी मंच पर आकर मुझसे राफेल डील पर 15 मिनट बहस करें.' राहुल गांधी ने ऐसी चुनौती तब पेश की है जबकि वो एक बार खुद ही स्वीकार कर चुके हैं कि भाषण देने के मामले में मोदी उनसे कहीं बेहतर हैं. फिर ऐसे चैलेंज को कैसे लेना चाहिये?

खुद ही मोदी की तारीफ कर चुके हैं राहुल गांधी

पिछले साल सिंतंबर में राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर थे और जगह जगह उनके कार्यक्रम हुए. बर्कले विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में राहुल गांधी ने जिस तरीके से प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की उसकी कभी किसी को उम्मीद नहीं हो सकती. इस कार्यक्रम में राहुल गांधी ने मोदी को एक अच्छा वक्ता और अच्छा कम्यूनिकेटर बताया था. इस कार्यक्रम के सूत्रधार राजीव गांधी के सलाहकारों में शुमार सैम पित्रोदा रहे.

rahul gandhiमोदी को बेहतर वक्ता मानने वाले राहुल डिबेट कैसे करेंगे?

बर्कले यूनिवर्सिटी के प्रोग्राम में राहुल ने कहा था, "मोदी के पास कुछ स्किल हैं... वो काफी अच्छे वक्ता हैं... मुझसे काफी अच्छे हैं... वो जानते हैं कि भीड़ में जो तीन-चार अलग-अलग समूह हैं उन तक संदेश कैसे संदेश पहुंचाया जाए... यही वजह है कि उनका संदेश ज्यादातर लोगों के पास पहुंच जाता है..."

राहुल गांधी ने एक ट्वीट में भी प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की तारीफ की थी, हालांकि, इसमें कटाक्ष ज्यादा नजर आया.

राहुल गांधी की मोदी को चुनौती

छत्तीसगढ़ की एक सभा और फिर पत्रकारों से बातचीत में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने 15 मिनट की चुनौती पेश कर दी. राहुल गांधी ने ये समझाने की कोशिश की कि डिबेट में वो बोलेंगे और प्रधानमंत्री मोदी की बोलती बंद हो जाएगी.

राहुल ने चेहरे पर पूरी गंभीरता के साथ ये चुनौती पेश की, "मैं मोदी जी को चैलेंज करता हूं कि कहीं भी, किसी भी जगह, किसी भी प्रदेश में मेरे साथ स्टेज पर आएं और 15 मिनट के लिए राफेल पर डिबेट कर लें..."

narendra modiक्या मोदी स्वीकार करेंगे राहुल गांधी की चुनौती?

लगे हाथ राहुल गांधी ने ये भी बता दिया कि डिबेट वो क्या क्या बोलेंगे - "मैं अनिल अंबानी, एचएएल और फ्रांस के राष्ट्रपति ने जो कहा है उसके बारे में बोलूंगा. मैं बोलूंगा कि 526 करोड़ रुपये का हवाई जहाज प्रधानमंत्री ने 1600 करोड़ रुपये में खरीदा. मैं बोलूंगा कि उन्होंने कोई भी प्रॉसीजर फॉलो नहीं किया. मैं बोलूंगा कि रक्षामंत्री ने साफ कहा है कि ये डील मैंने नहीं प्रधानमंत्री ने की है... मैं बोलूंगा की सीबीआई डॉयरेक्टर को दो बजे रात में हटा दिया गया..."

संसद में अपने भाषण में भी राहुल गांधी ने एक बार कहा था, "मैं पीएम को अभी हंसते हुए देख रहा हूं... लेकिन उनके अंदर हैरानी की एक भावना है... और वे मेरे से दूर देख रहे हैं... मैं इसे समझ सकता हूं. वे मेरे से नजर नहीं मिला पा रहे हैं क्योंकि प्रधानमंत्री सच्चे नहीं हैं..."

राहुल गांधी की चुनौती के मायने

राजस्थान से लेकर छत्तीसगढ़ तक राहुल गांधी एक नारा जरूर दोहरा रहे हैं - 'चौकीदार चोर है'. छत्तीसगढ़ में भी राहुल गांधी ने ये नारा खुद तो लगाया ही, साथ साथ कार्यकर्ताओं से भी दोहराने को कहा. इसकी शुरुआत राहुल गांधी ने राजस्थान में एक रैली से की थी, "आज हिंदुस्तान में और पूरे राजस्थान में आवाज उठ रही है - गली-गली में शोर है, हिंदुस्तान का चौकीदार चोर है."

बीते वक्त के दौरान राहुल गांधी अक्सर दावा करते रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी आंखों में आंख डाल कर बात नहीं कर सकते. राहुल गांधी के मुताबिक मोदी उनसे डरते हैं. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भी राहुल गांधी का यही कहना था. चर्चा के दौरान ही राहुल गांधी संसद में मोदी से जाकर गले मिले और फिर आंख भी मारी जिसका खूब मजाक उड़ा.

राहुल गांधी एक बार ये भी दावा कर चुके हैं कि अगर वो बोले तो भूकंप आ जाएगा. राहुल गांधी की इस बात पर भी ट्विटर पर खूब चर्चा हुई थी.

बीजेपी नेता गिरिराज सिंह का ये ट्वीट राहुल गांधी के उस बयान को लेकर रहा जिसमें उन्होंने कहा था - 'अगर मुझे संसद में 15 मिनट भी बोलने का मौका दे दिया जाए तो भकंप आ जाएगा...'

फिर तो सोशल मीडिया पर लोगों ने खूब मजे लिये और ट्विटर पर तो #BhookampAaneWalaHai काफी देर तक ट्रेंड में रहा. राहुल गांधी के नये चैलेंज ने उनके भूकंप वाले बयान की याद दिला दी है.

दरअसल, राहुल गांधी राफेल डील को बोफोर्स की तरह राजनीतिक हथियार बना रहे हैं, लेकिन मुश्किल ये है कि अब तक वो सरकार को उस तरह कठघरे में खड़ा नहीं कर पाये हैं जैसा उन दिनों विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कर दिया था. अब देखना है कि प्रधानमंत्री मोदी ताजा चुनौती को किस रूप में लेते हैं - क्या मोदी को राहुल की चुनौती मंजूर होगी?

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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