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Updated: 22 अक्टूबर, 2019 10:01 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah Birthday) आज 55 साल के हो गए हैं. उनके जन्मदिवस पर जहां एक ओर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर लोग उनके अब तक के कामों की तुलना करते हुए उनके कद पर चर्चा कर रहे हैं. बेशक, हर गुजरते दिन के साथ अमित शाह का कद न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी में बढ़ा है, बल्कि देश की राजनीति और जनता के बीच भी उनका कद काफी बढ़ गया है. 2014 के चुनावों में जब पीएम मोदी को प्रचंड बहुमत से जीत मिली तो इसका श्रेय सिर्फ मोदी लहर को ही नहीं, बल्कि अमित शाह की रणनीति को भी मिला. 2019 में दोबारा भाजपा को जीतवाकर अमित शाह ने अपना लोहा मनवा दिया. लेकिन अब अमित शाह सिर्फ एक चुनावी मशीन नहीं रह गए हैं, जो चुनाव जिताएं, बल्कि उनका कद धीरे-धीरे पीएम मोदी से भी बड़ा होने लगा है. ठीक वैसे ही, जैसे क्रिकेट टीम के कप्तान कोहली तो बेस्ट हैं ही, लेकिन रोहित शर्मा की परफॉर्मेंस उनसे भी बेहतर हो गई है. ठीक वैसे ही अमित शाह भी राजनीति के रोहित शर्मा बन गए हैं. हाल ही में हुए महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव (Maharashtra-Haryana Assembly Election 2019) में भी अमित शाह ने पीएम मोदी की तुलना में काफी अधिक रैलियां की हैं वो भी काफी आक्रामक तरीके से.

अमित शाह, नरेंद्र मोदी, भाजपा, राजनीतिअब अमित शाह सिर्फ एक चुनावी मशीन नहीं रह गए हैं, उनका कद तेजी से बढ़ रहा है.

सिर्फ 'चाणक्य' नहीं रहे अमित शाह

जब 2014 में भाजपा ने कांग्रेस को हराकर देश की सत्ता अपने हाथ ली, तब से ही अमित शाह की चर्चाओं का दौर तेज हो गया. अमित शाह की रणनीति का लोहा तो सभी राजनीतिक पार्टियों ने तभी मान लिया था. उसके बाद शुरू हुआ असली खेल. नरेंद्र मोदी और पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली सामने रहकर जनता से जुड़ने लगे और उनकी उम्मीदों पर खरे उतरने लगे, दूसरी ओर अमित शाह पार्टी की नींव मजबूत करने में लगे रहे. बूथ लेवल तक का मैनेजमेंट अमित शाह ने किया. हर चुनाव में एक-एक सीट पर चुनाव जीतने के लिए अमित शाह ने रणनीति बनाई. और फिर एक के बाद एक भाजपा ने राज्यों के चुनाव जीतने शुरू किए और देखते ही देखते पूरा देश भगवा रंग में रंग गया. 2014 तक जिस कांग्रेस का केंद्र के साथ-साथ देश के अधिकतर राज्यों पर भी कब्जा था, वह 2019 आते-आते चंद राज्यों तक सिमट कर रह गई. बिहार और कर्नाटक जैसे राज्य चुनाव में तो भाजपा के हाथ से निकल गए, लेकिन अमित शाह की रणनीति के सामने कोई टिक नहीं पाया और देखते ही देखते उन राज्यों पर भी भगवा झंडा लहराने लगा. चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने अपनी अक्लमंदी तो साबित कर ही दी थी, अब अपना नेतृत्व भी साबित करने में वह कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

धारा 370 और असम NRC ने बढ़ाया कद

तमाम मुद्दों पर पीएम मोदी ने आवाज उठाई और उन्हें लोगों ने स्वीकार भी किया. लेकिन हाल ही में धारा 370 और असम NRC के मुद्दे पर पीएम मोदी कम और अमित शाह ज्यादा बोलते दिखे. असम एनआरसी के मुद्दे को तो अमित शाह ने अपनी रैलियों में बढ़ चढ़कर उठाया ही था, साथ ही धारा 370 हटाने के फैसले पर वह खुद ही भाजपा का नेतृत्व करते दिखे. यहां तक कि धारा 370 हटाने को लेकर संसद में जब बहस हो रही थी तो सिर्फ अमित शाह ही बोलते दिखे थे, वो भी पूरी आक्रामकता के साथ. बहुत से लोगों को पता भी नहीं होगा कि वहां पीएम मोदी थे या नहीं. लोगों ने भी इन दोनों ही मामलों पर पीएम मोदी से अधिक अमित शाह की तारीफों के पुल बांधे. वैसे देखा जाए तो इन मामलों पर वाकई अमित शाह ने काफी आक्रामक तरीके से आगे बढ़कर बयान दिए. विपक्ष पर हमला बोला, जिसका नतीजा ये हुआ कि उनकी लोकप्रियता सिर्फ एक चुनावी मशीन से बढ़कर एक ऐसे नेता की हो गई, जिसमें नेतृत्व की क्षमता दिखते लगी.

मोदी भी उनसे पिछड़ते से लग रहे हैं

अमित शाह इस समय इनती तेजी से बढ़ रहा है कि पीएम मोदी भी उनसे पिछड़ते हुए से लग रहे हैं. ऐसा नहीं है कि अमित शाह अब पीएम मोदी को पीछे करते हुए आगे निकल जाएंगे, क्योंकि वो भी जानते हैं कि इससे नुकसान ही होगा. वैसे भी, पीएम मोदी अब इन सब से काफी ऊपर उठ चुके हैं. कहना गलत नहीं होगा कि अब उनका कद इतना अधिक बढ़ चुका है कि सिर्फ उनका नाम लेकर भी किसी के लिए राजनीति की सीढ़ियां चढ़ना आसान हो गया है. हैरानी नहीं होनी चाहिए अगर 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद पीएम मोदी की जगह प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर अमित शाह का नाम सामने आए. वैसे भी, जिस तरह पिछले दिनों में उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाई है, उससे ये तो साफ है कि वह ऐसे नेता बन चुके हैं, जिनका बाकी लोग अनुसरण करें. खुद पीएम मोदी भी खुलकर अमित शाह का साथ देते हैं और बदले में अमित शाह भी उन्हें मोटा भाई यानी बड़े भाई वाली इज्जत देते हैं.

अमित शाह कई मामलों में पीएम मोदी से आगे निकल गए हैं. इनमें से एक है मीडिया हैंडलिंग. जहां एक ओर पीएम मोदी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करते हैं, वहीं दूसरी ओर अमित शाह प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करते हैं और सवालों के जवाब भी बखूबी देते हैं. इंटरव्यूज़ में भी वह अपना पक्ष पूरी मजबूती से रखते हैं और न सिर्फ खुद को मजबूत करते हैं, बल्कि अपनी पार्टी की मजबूत करने का काम करते हैं. कल का चाणक्य आज नेतृत्व करने वाला बन गया है और अगर कल को देश का नेतृत्व अमित शाह के हाथों में हो तो हैरानी नहीं होनी चाहिए.

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