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Updated: 11 अक्टूबर, 2016 02:55 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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अमेरिका में चल रहे राष्ट्रपति चुनावों में दोनों उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार डीबेट में आमने-सामने आए. बीते कुछ महीनों से जारी प्रचार अभियान और पहले डीबेट की तरह एक बार फिर दोनों उम्मीदवारों ने एक-दूसरे पर जमकर कीचड़ उछालe. नया राष्ट्रपति देश के लिए क्या लेकर आ रहा है यह मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आने से रह गया. इसके उलट दोनों डीबेट में दोनों उम्मीदवारों के सामने सिर्फ एक चुनौती दिखी कि कैसे अपने विरोधी को ज्यादा से ज्यादा गंदा दिखाया जा सके.

रविवार को मीडिया प्लैटफॉर्म पर आयोजित इस डीबेट की खास बात यह रही कि सोशल मिडिया पर डोनाल्ड और हिलेरी के समर्थक एक-दूसरे को गंदा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. प्रचार और डीबेट में जारी गंदगी इशारा कर रही है कि इन चुनावों में दोनों के समर्थकों को एक बात साफ है कि अब बचे-कुचे प्रचार अभियान के दौरान भी मुद्दों से अलग बातें होंगी.

आखिर क्यों?

क्या इन चुनावों में मुद्दे मायने नहीं रखते? क्या अमेरिकी वोटर बदल चुके हैं? क्या उन्हें भी अब टैबलॉएड के मुद्दों पर चुनाव (नकारात्मक रुझान) पसंद आ रहा है? इसके लिए समझना होगा कि इन दोनों डीबेट में क्या मुद्दे उठाए गए और फिलहाल इन डीबेट्स का नतीजा क्या कह रहा है? ओपिनियन पोल के आंकड़ो में क्या परिवर्तन दिखाई दिया और इन ओपिनियन पोल्स के मुताबिक अभी भी कितने फीसदी वोटरों को यह जाहिर करना बचा है कि वह किसके साथ हैं?

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दूसरी डीबेट 10 अक्टूबर, रविवार (वॉशिंगटन यूनीवर्सिटी, सेंट लूई, मिसूरी)

इमीग्रेंट: डीबेट की शुरुआत हिलेरी क्लिंटन से सवाल के साथ हुई. पूछा गया क्या वह राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका से इमीग्रेंट्स को देश से बाहर निकाल देंगी? हिलेरी ने सवाल की तारीफ की. माना कि प्रचार के दौरान उठे इमीग्रेंट के मुद्दों से देश में कई शिक्षक और इमीग्रेंट परिवार परेशान है. लिहाजा अपने चुनावी स्लोगन (Stronger Together) को दोहराते हुए कहा कि अमेरिका सभी को साथ लेकर चलेगा. इसपर ट्रंप की प्रतिक्रिया ली गई. ट्रंप ने माना कि हिलेरी बिलकुल ठीक कह रही हैं. यह उनकी और उनकी पार्टी के पूर्व राष्ट्रपतियों की नीति रही है.

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एक बार फिर लड़ाई निजी रही

 

इसी नीति के चलते आज दुनिया में अमेरिका का प्रभाव खत्म हो रहा है और उनका देश अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, हिंसा और जुर्म के दलदल में धंस गया है. ट्रंप ने अपना चुनावी वादा दोहराया, कि जरूरत अमेरिका को एक बार फिर महान बनाने की (Make America Strong Again) और दावा किया कि यह काम बिना देश की सरहदों को गैरकानूनी इमीग्रेंट और मुसलमानों से सुरक्षित किए नहीं किया जा सकता.

सेक्स टेप (महिला): डीबेट रविवार को होनी थी. शुक्रवार को एक वीडियो जारी हुआ जिसमें डोनाल्ड ट्रंप यह कहते हुए सुने गए कि किस तरह उन्होंने किसी महिला की इज्जत पर हाथ डाला था. वीडियो वायरल हो गया. हिलेरी कैंप खुशी में झूम उठा. यहां तक कि ट्रंप की पार्टी (रिपब्लिकन) के कुछ बड़े नेताओं ने निंदा करते हुए यहां तक कह दिया कि पार्टी ट्रंप की जगह नए उम्मीदवार उतारना चाहिए.

ट्रंप ने वायरल हुए सेक्स टेप पर कहा कि यह उनकी गलती थी. उन्हें ऐसा कहने पर कोई गर्व महसूस नहीं होता. लेकिन ट्रंप ने यह भी कहा कि इस बात को ज्यादा गंभीरता के साथ नहीं लेना चाहिए. शायद इसलिए कि अमेरिका के पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों के बीच प्राय: ऐसे वर्तालाप (लॉकर रूम टॉक) होते रहते हैं.

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ट्रंप ने दोहराया कि इस गलती के लिए उन्हें खेद है और यह सिर्फ एक ‘लॉकर रूम टॉक’ थी. हिलेरी पर हमला करते हुए ट्रंप ने कहा कि हिलेरी के पति बिल क्लिंटन ने व्हाइट हाउस में ऐसे शब्दों को चरिचार्थ कर दिखाया है. वह इंपीच किए जा चुके हैं और हिलेरी ने उन्हें माफ कर दिया.

इसके साथ ही ट्रंप ने हिलेरी क्लिंटन द्वारा नैशनल सिक्योरिटी मामले की लीक की गई तथाकथित ईमेल के मुद्दो को उठाया. ट्रंप ने संकेत दिया कि किसी महिला से ऐसी कमजोरी की उम्मीद की जा सकती है. लिहाजा राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों को हिलेरी के हवाले नहीं किया जा सकता.  

इस्लामोफोबिया: डीबेट की शुरुआत से ही सेक्स टेप पर हिलेरी क्लिंटन ने ट्रंप को आड़े हाथों लिया. हिलेरी ने एक बार फिर दावा किया कि राष्ट्रपति जैसे पद के लिए स्वाभाविक गरिमा ट्रंप में नहीं है. इस हमले पर ट्रंप ने अपना ट्रंप कार्ड चला और जवाब में इस्लामिक स्टेट को ले आए.

ट्रंप ने ओबामा पर ज्यादा आतंकी पैदा करने का आरोप लगाया. उनकी नीतियों को अमेरिका के लिए खतरनाक बताया. ट्रंप ने दावा किया कि राष्ट्रपति बनने के बाद वह इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन को नेस्तेनाबूत कर देंगे. वहीं हिलेरी पर हमला किया कि वह सिर्फ और सिर्फ ओबामा की नीतियों को आगे बढ़ाने का काम करेंगी जो अमेरिका को कमजोर बना रही हैं.

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इसके अलावा ट्रंप ने एक और सनसनीखेज बयान दिया. उन्होंने पूरे मुस्लिम समाज को इस्लामोफोबिया से डरने की जरूरत पर जोर दिया. ट्रंप ने कहा कि उन्हें अमेरिका में मुसलमानों से यही समस्या है कि वह इस्लाम में आतंकवाद की बात को कुबूल न कर उसे शरण दे रहे हैं और यही अमेरिका के लिए बेहद खतरनाक है.  

दूसरी डीबेट का नतीजा: डीबेट के आयोजकों और अमेरिका के प्रमुख मीडिया संस्थानों के आंकड़े कह रहे हैं कि दूसरी डीबेट को हिलेरी क्लिंटन ने बड़े अंतर के साथ जीत लिया. सीएनएन पोल के मुताबिक डिबेट में हिलेरी क्लिंटन ने 57 फीसदी वोट के साथ ट्रंप को मात दे दी है जबकि ट्रंप को महज 34 फीसदी वोट मिले (डीबेट के बाद एक हफ्ते तक खुली रहती हैं पोल लाइन).

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 बीते एक महीने के सभी पोल दिखा रहे टक्कर कांटे की है

सोशल नेटवर्क पर छाए ट्रंप

सोशल नेटवर्क और इंस्टैंट रिएक्शन साइट ट्विटर पर ज्यादातर लोगों का दावा रहा कि 90 मिनट की इस डीबेट के दौरान रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप असहज दिखे. ट्विटर पर लोगों ने डीबेट की वो क्लिपिंग्स तक अपलोड़ की जहां हिलेरी क्लिंटन माइक पर बोल रही हैं और डोनाल्ड ट्रंप अपनी कुर्सी के सहारे या तो खड़े हैं या फिर प्रतिद्वंदी हिलेरी की किसी बात को न सुनने जैसा भाव अपने चेहरे पर दे रहे हैं. ट्विटर पर जारी इस ट्रंप ट्रोलिंग से रिपब्लिकन उम्मीदवार को सोशल मीडिया का हीरो तक करार दिया जा रहा है. रविवार को हुई दूसरी डीबेट के बाद जहां ट्रंप को सब्जेक्ट रखते हुए कुल 67 फीसदी ट्वीट हुए वहीं हिलेरी को सब्जेक्ट मानकर महज 33 फीसदी ट्वीट हुए.

क्या चुनावी मुद्दे सिर्फ ट्रंप के पास हैं?

गौरतलब है कि अमेरिका में एक तरफ डेमोक्रैटिक पार्टी है जिसने मैदान मारने के लिए अमेरिका को हिलेरी के रूप में पहली महिला राष्ट्रपति देने पर दांव खेल रहा है. दूसरी तरफ रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से एक श्वेत अमेरिकी डोनाल्ड ट्रंप को उतारा गया है जो इस्लाम और इमिग्रेंट को अमेरिका की सबसे बड़ी समस्या बता रहा है.

राष्ट्रपति पद की दौड़ शुरू करने के लिए ट्रंप ने इस्लामिक आतंकवाद और इमीग्रेंट की समस्या को अमेरिका के लिए सबसे अहम बताया था. बीते 8 साल के दौरान ओबामा के हेल्थकेयर प्लान की विफलता को मुद्दा बनाते हुए कहा कि यह सरकार ऐसी नीतियों से अमेरिका को गरीब बनाने का काम कर रहे हैं.

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अब ट्रंप के इन आरोपों का हिलेरी के पास कोई जवाब नहीं है. वह न तो राष्ट्रपति ओबामा की किसी विफल नीति की खुलकर आलोचना कर सकती हैं. और न ही मौजूदा अमेरिकी नीति के समानांतर नई नीति का सुझाव दे सकती हैं. ट्रंप का नारा ‘मेक अमेरिका स्ट्रॉन्ग अगेन’ का है. और उनकी बाते वैश्विक नफरत का संकेत दे रही हैं.  तो एक बात समझने की जरूरत है कि यह चुनाव अमेरिका में लड़ा जा रहा है. यहां अमेरिकी वोटर को अपना मत रखना है. राष्ट्रीय सुरक्षा यदि अमेरिका के लिए सर्वोपरि है तो राष्ट्रीय गौरव अमेरिकी मानसिकता का अभिन्न अंग है.

निजी जिंदगी पर गंदगी उछालने के बावजूद यदि अमेरिका में वोटर यह समझ गए कि डोनाल्ड ट्रंप के तथाकथित जहरीले बयान उनके हित में है तो राष्ट्रपति बनने से उन्हें कोई डीबेट और ओपिनियन पोल नहीं रोक सकता. ऐसा इसलिए भी कि अमेरिका के लिए महिला कोई मुद्दा नहीं है. बीते 100 साल में वह राष्ट्रपति पद तक नहीं पहुंची तो इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार वह लॉकर रूम टॉक है जिसका जिक्र ट्रंप बखूबी अपनी सफाई में करते हैं. यकीन मानिए उनकी इस सफाई पर ट्रंप की पत्नी और बच्चों की तरह अमेरिकी वोटर भी उन्हें माफ कर देंगे. ठीक वैसे ही जैसे हिलेरी ने अपने पति बिल क्लिंटन को माफ कर दिया था.

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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