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Updated: 02 सितम्बर, 2022 07:40 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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सोशल मीडिया पर तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. दरअसल, तेलंगाना सीएम केसीआर बिहार सीएम नीतीश कुमार से मिलने पटना पहुंचे थे. और, इस दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में के चंद्रशेखर राव से 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए बनने वाले फ्रंट का नेतृत्व क्या नीतीश कुमार करेंगे, का सवाल पूछा गया. इस सवाल के उठते ही नीतीश कुमार ने कुर्सी छोड़कर जाने लगे. जिस पर केसीआर ने नीतीश कुमार से बैठने का इशारा किया. खैर, चंद्रशेखर राव के आग्रह पर नीतीश कुमार बैठ तो गए. लेकिन, कुछ ही देर में फिर से खड़े गए. लेकिन, इस बार केसीआर की हाथ पकड़कर बैठाने की कोशिश भी काम नहीं आई.

खुद ही सोचिए कि जो चंद्रशेखर राव दावा कर रहे हैं कि 2024 में भाजपा के खिलाफ सियासी दलों को एक फ्रंट तैयार करेंगे. और, इसके बाद बैठकर तय किया जाएगा कि नेतृत्व कौन करेगा? वो नीतीश कुमार को नेतृत्व के सवाल का जवाब देने के समय बैठा पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे थे. वैसे, 2024 में पीएम पद की रेस में कई नाम सामने हैं. इतना ही नहीं, बहुत से लोग रिमोट कंट्रोल भी अपने ही हाथ में रखना चाहते हैं. खैर, ये वीडियो देखने के बाद कहना गलत नहीं होगा कि 2024 के लिए भाजपा विरोधी फ्रंट की 'स्क्रिप्ट' सब लिख रहे हैं, लेकिन कहानी बहुत ही उलझी हुई है. आइए जानते हैं कैसे...

Nitish Kumar KCRभाजपा विरोधी फ्रंट का नेतृत्व कौन करेगा, ये सवाल यक्ष प्रश्न बन चुका है.

कांग्रेस की अपनी अलग मजबूरी: देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस के सामने इन दिनों पार्टी अध्यक्ष चुनने की मुश्किल मुंह बाए खड़ी है. मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत जैसे कई कांग्रेसी नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी ही पार्टी अध्यक्ष के पद पर काबिज हों. ताकि, 2024 के लिए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर राहुल गांधी की संभावनाओं को बनाया रखा जा सके. लेकिन, दावा किया जाता है कि राहुल गांधी खुद ऐसा नहीं चाहते हैं. हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी चाहती हैं कि राहुल गांधी ही पार्टी की कमान संभालें. लेकिन, इस चक्कर में अन्य पार्टियों ने कांग्रेस से दूरी बना ली है. जबकि, सोनिया गांधी ऐलान कर चुकी हैं कि कांग्रेस सभी विपक्षी दलों के साथ काम करने को तैयार है. इसके बावजूद विपक्षी दल कांग्रेस को घास डालते नहीं दिख रहे हैं.

एनसीपी को चाहिए केवल रिमोट कंट्रोल: एनसीपी चीफ शरद पवार ने महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी गठबंधन में शिवसेना और कांग्रेस को साथ लाकर सरकार बनवा दी थी. लेकिन, इस गठबंधन के खिलाफ शिवसेना में ही बगावत हो गई. और, महाविकास आघाड़ी सरकार ढह गई. जिस तरह से महाविकास आघाड़ी सरकार में भले ही सीएम का पद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के पास था. लेकिन, सरकार का रिमोट कंट्रोल एनसीपी नेता शरद पवार के पास था. उसी तरह 2024 के लिए बनने वाले भाजपा विरोधी फ्रंट का रिमोट भी शरद पवार अपने ही पास चाहते हैं. और, इसके लिए पवार ने विपक्षी एकता की वकालत करते हुए कहा है कि 'सभी को कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर चुनाव लड़ना चाहिए.'

केजरीवाल को खुद में दिख रहा Future PM: आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की बात की जाए, तो उन्हें खुद में भविष्य का पीएम नजर आ रहा है. पंजाब विधानसभा जीतने के बाद तो जैसे केजरीवाल के ख्वाबों को नए पंख लग गए हैं. अरविंद केजरीवाल इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाले के तौर पर अपनी इमेज बनाने में जुटे हुए हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो केजरीवाल खुद को 'वन मैन आर्मी' के तौर पर आगे बढ़ा रहे हैं. विपक्षी दलों में कौन उनका साथ दे रहा है और कौन नहीं? उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है. ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल को लग रहा है कि वो हर राज्य में कांग्रेस को रिप्लेस कर देंगे. और, विपक्षी दलों को मजबूरी में उनके साथ आना पड़ेगा. वैसे, सपने देखना गलत बात है भी नहीं.

नीतीश खुद को मान चुके हैं पीएम मैटेरियल, लेकिन और कोई तो माने: हाल ही में भाजपा के साथ गठबंधन तोड़कर आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार एक बार पहले भी खुद को पीएम मैटेरियल मान चुके हैं. हालांकि, उस बार नीतीश कुमार की कोशिश रंग नहीं ला सकी थी. लेकिन, इस बार शायद उन्हें भरोसा है कि वह विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ एकजुट कर सकेंगे. क्योंकि, बिहार में जेडीयू ने सात दलों के साथ गठबंधन किया है. खैर, हाल ही में हुई तेलंगाना सीएम केसीआर की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मुलाकात लंबे समय तक चर्चा का विषय बनी रहेगी. क्योंकि, नेतृत्व के सवाल पर के चंद्रशेखर राव के साथ नीतीश कुमार बैठने को तैयार नहीं हो रहे थे.

ममता बनर्जी शांत हैं, लेकिन कब तक: पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी को शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं, लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष पद से हटाए गए टीएमसी विधायक मानिक भट्टाचार्य भी काफी समय से लापता चल रहे हैं. माना जा रहा है कि अचानक से उभरी इन मुश्किलों से जूझ रहीं पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी फिलहाल शांत हैं. लेकिन, बहुत ही जल्द एक बार फिर से विपक्षी दलों को अपने पाले में करने के लिए कोशिश शुरू कर देंगी. क्योंकि, पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी भी 2024 में खुद को संयुक्त विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मान कर चल रही हैं.

स्टालिन की शांति, कांग्रेस के लिए झटका: बीते कुछ समय से तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के काफी करीब देखे गए हैं. कुछ समय पहले ही एमके स्टालिन ने अरविंद केजरीवाल के साथ दिल्ली के स्कूलों का दौरा किया था. और, अब तमिलनाडु में बनकर तैयार हुए मॉडल स्कूलों के उद्घाटन समारोह में केजरीवाल को आने का न्योता भी स्टालिन की ओर से भेज दिया गया. माना जा रहा है कि एमके स्टालिन जो राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं. अब वो ही राहुल गांधी को दांव देने की तैयारी में हैं. हालांकि, इस पर एमके स्टालिन ने कुछ खुलकर नहीं कहा है. लेकिन, तय माना जा रहा है कि कांग्रेस की दावेदारी को कमजोर करने की तैयारी शुरू हो चुकी है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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