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Updated: 13 नवम्बर, 2017 06:18 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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अगर आपसे कोई प्रश्न करे कि आपकी नजर में ऐसा कौन सा देश है जिसने दुनिया के सभी मुल्कों की नाक में दम कर रखा है या फिर अगर हम आपसे ये पूछें कि उस देश का नाम बताइए जो अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है. दोनों ही प्रश्नों को सुनने के बाद जो सबसे मुफीद शब्द आपके दिमाग में आएगा वो होगा 'पाकिस्तान'. हमारे प्रश्न पूरे भी नहीं होंगे और हमें आपकी तरफ से जवाब मिल जाएगा कि वर्तमान परिपेक्ष में पाकिस्तान ऐसा देश है जो सभी की आंख की किरकिरी बना हुआ है. पाकिस्तान, विश्व के उन देशों में है जो अपने को कहता तो आधुनिक है मगर जिसको देखकर लगता है कि अपने अन्दर स्थित आंतरिक कलह के कारण आज भी ये विकास के मार्ग से कोसों दूर है.

अब इसे विडंबना कहें या कुछ और कि आज पाकिस्तान सम्पूर्ण विश्व के सामने अपने आपको एक ऐसा देश घोषित करने में लगा हुआ है जिसपर बरसों से तमाम तरह के अत्याचार हुए हैं. भले ही ये एक झूठ हो मगर आज पूरी दुनिया को पाकिस्तान यही बताने का प्रयास कर रहा है कि वो एक अमन पसंद देश है जो शांति चाहता है. पाकिस्तान कितना अमन पसंद है और कितनी शांति चाहता है ये बात किसी से छुपी नहीं है.

पाकिस्तान, भारत, सेना, एलओसी , प्रधानमंत्री  कई तरह की आंतरिक कलहों के चलते आज पाकिस्तान दुनिया की आंख की किरकिरी बना हुआ है

बहरहाल, खबर है कि पाकिस्तानी अखबारों में प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का हालिया एलओसी दौरा चर्चा का विषय हुआ है. ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री अब्बासी, चिड़ीकोट सेक्टर का दौरा कर रहे थे और वहां जाकर उन्होंने पाकिस्तानी सेना को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेना बताया और उसकी शान में ऐसा बहुत कुछ बोला जिसको सुनकर उसके कॉलर चौड़े हो गए. इसके अलावा वहां प्रधानमंत्री अब्बासी ने कश्मीरियों की राजनीतिक, नैतिक और कूटनीतिक हिमायत करते रहने का दम भी भरा. भारत के विषय पर बात करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी कर रहा है जिससे मासूम नागरिकों की मौत हो रही है.

दौरे के बाद प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख का चर्चा में आना ज़रूरी था. इस दौरे के बाद पाकिस्तान से छपने वाले तमाम अखबारों ने अपने प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख की शान में जम कर कसीदे पढ़ें और ये बताने का प्रयास किया कि अब पाकिस्तान एक मजबूत राष्ट्र बन कर उभर रहा है जिसे कोई हल्के में न ले. हालांकि इस दौरे की तारीफ पाकिस्तान के सभी अखबार कर रहे थे मगर बाजी मारी 'दुनिया' ने. दुनिया ने अपने संपादकीय में लिखा है कि नियंत्रण रेखा का दौरा कर प्रधानमंत्री ने इस बात को साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अपने नागरिकों और देश की सुरक्षा से बेखबर नहीं है और कश्मीरियों की हर स्तर पर राजनीतिक, नैतिक और राजनयिक हिमायत जारी रखेगा.

अखबार ने अपनी एक अन्य टिप्पणी से भारत और अमेरिका दोनों पर निशाना साधा है. अखबार लिखता है कि, बेहतर यही होगा कि भारत एक अच्छे पड़ोसी की तरह रहे क्योंकि जिनकी उंगलियों पर वह नाच रहा है, वे उसे बचाने नहीं आयेंगे. क्षेत्र में शांति के लिए भारत और पाकिस्तान के अच्छे रिश्तों को जरूरी बताते हुए अखबार का मत है कि भारत को यह बात समझते हुए संबंधों की बेहतरी के लिए आगे आना होगा.

पाकिस्तान, भारत, सेना, एलओसी , प्रधानमंत्री पाकिस्तानी मीडिया पाकिस्तान को कितना भी अच्छा कह ले, मगर उसकी सच्चाई किसी से छुपी नहीं है

दुनिया के अलावा चाहे 'नवा ए वक़्त' हो या फिर 'औसाफ' 'वक़्त' और 'पाकिस्तान' लगभग सभी अख़बारों में यहे बात साफ है कि पाकिस्तान कुछ भी गलत नहीं कर रहा और भारत के लिए उसकी तरफ से जो भी प्रतिक्रिया आ रही है वो जवाबी कार्यवाही है.खैर हम बात पाकिस्तानी अखबार 'दुनिया' को ही ध्यान में रखकर करेंगे जिसमें अखबार कह रहा है कि भारत एक अच्छे पड़ोसी की तरह रहे क्योंकि जिनकी उंगलियों पर वह नाच रहा है, वे उसे बचाने नहीं आयेंगे. अखबार की इस बात को अगर हम पाकिस्तान के ही सन्दर्भ में रखकर देखें तो हमें ऐसी बहुत सी उंगलियां मिलेंगी जिनके इशारे पर पाकिस्तान नाचा और बर्बाद हुआ. आइये एक नजर डालें ऐसी कुछ उँगलियों पर

तालिबान : पकिस्तान की पस्ताहाली की अगर सबसे बड़ी वजहों पर गौर करें तो मिलता है कि आज पाकिस्तान के पिछड़ने की एक अहम वजह तालिबान है. पाकिस्तान के पिछड़ेपन के लिए हम तहरीक-ए-तालिबान की भूमिका को नकार नहीं सकते. जो पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान सीमा के पास स्थित संघ-शासित जनजातीय क्षेत्र से उभरने वाले चरमपंथी उग्रवादी गुटों का एक संगठन है जिसकी स्थापना 2007 में बेयतुल्लाह महसूद​ ने की. इस संगठन का ध्येय पाकिस्तान में शरिया पर आधारित एक कट्टरपंथी इस्लामी अमीरात को क़ायम करना है. साथ ही ये संगठन भारत में भी शरिया-आधारित अमीरात चाहता है और जिसके लिए इसने कश्मीर घाटी में अपनी गतिविधियां लम्बे समय से शुरू कर रखी हैं.

आतंकवाद : विश्व का कोई भी व्यक्ति हो, वो इस बात से सहमत होगा कि आज पाकिस्तान और आतंकवाद एक दूसरे के पूरक हैं. पाकिस्तान के सभी पड़ोसी देशों तथा अमेरिका, ब्रिटेन, रूस आदि पश्चिमी देशों का यह आरोप रहा है कि पाकिस्तान प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विभिन्न आतंकी कार्यवाइयों में लिप्त रहा है। सन 2011 में ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान की राजधानी के पास अमेरिका द्वारा मारे जाने पर यह आरोप पुष्ट हुआ है. ध्यान रहे कि इसे 'आतंकियों का स्वर्ग' कहा जाता है जहां प्रमुख इस्लामी आतंकी संस्थाएँ जैसे लश्कर-ए-तैयबा, लश्कर-ए-ओमर, जैश-ए-मोहम्मद, हरकतुल मुजाहिद्दीन, सिपाह-ए-सहाबा, हिज़्बुल मुजाहिदीन आदि रहकर अपनी आतंकी गतिविधियां चलाते हैं.

पाकिस्तान, भारत, सेना, एलओसी , प्रधानमंत्री  पाकिस्तान के पिछड़ने की सबसे अहम वजह उसका कट्टरपंथ है

कट्टरपंथ, हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर : जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं और ये एक बड़ा सत्य भी है कि आज पाकिस्तान के पिछड़ेपन की अहम वजह वो खुद है. इस बात की पुष्टि के लिए हम किसी भी पल एक पलड़े में देश को दूसरे में कट्टरपंथ , हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर को रखकर देख सकते हैं. इस्लामिक कट्टरपंथ के चलते पाकिस्तान के सामाजिक और राजनीतिक हालात कैसे हैं ये किसी से छुपा नहीं है. कहा जा सकता है कि सरकार भले ही एक बेहतर राष्ट्र के कितने भी दावे करे मगर जमीनी सच्चाई ये है कि आज भी पाकिस्तान की सम्पूर्ण राजनीति का केंद्र वो कट्टरपंथी विचारधारा है जो पाकिस्तान को एक 'शरिया पसंद मुस्लिम राष्ट्र' बनाना चाहती है.

चीन से दोस्ती : भारत के सम्बन्ध चीन से अच्छे नहीं हैं. चीन लगातार भारत के अरुणांचल और लद्दाख में अपनी घुस बैठ कर रहा है और कश्मीर तक में जेहादियों को हथियार सप्लाई कर रहा है. दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है वाली कहावत पर काम करते हुए आज चीन और पाकिस्तान अच्छे दोस्त हैं और चीन की पाकिस्तान से दोस्ती की वजह बस इतनी है कि वो उसे मिलिट्री और टेक्निकल सहायता दे रहा है. लगभग 7 दशकों से चली आ रही इस दोस्ती का अब मजबूत होने की वजह बस इतनी है कि इस दोस्ती से चीन भारत को नीचा दिखाना चाहता है साथ ही इस दोस्ती का दूसरा उद्देश्य भारत में अपनी पकड़ को मजबूत करना है.

पाकिस्तान, भारत, सेना, एलओसी , प्रधानमंत्री  पाकिस्तान जानता है कि व्यापार की दृष्टी से पाकिस्तान उसकी जरूरत है

अमेरिका की लगातार बातचीत : अमेरिका ये बात अच्छे से जानता है कि यदि पाकिस्तान को वक़्त रहते नहीं संभाला गया तो सम्पूर्ण विश्व के लिए एक बड़ा संकट हो जाएगा. आज भले ही अमेरिका इंडो पाक संबंधों के तहत पाकिस्तान से लगातार शांति बनाने की मांग कर रहा है मगर वो ये बात भली प्रकार जानता है कि चीन ऐसा होने नहीं देगा. कह सकते हैं आज पाकिस्तान अमेरिका जैसे मजबूत राष्ट्र के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गया है.

मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में बार बार शांति की बात लाकर अमेरिका यही कोशिश कर रहा है कि वो अपनी किरकिरी न होने दे साथ ही अमेरिका पाकिस्तान को लेकर ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता जिससे उसके व्यापार में फर्क पड़े. अमेरिका के सन्दर्भ में कहा जा सकता है कि वो उन राष्ट्रों में से है जिसे 'सेफ खेलना' आता है.   

इन बातों से एक बात साफ है कि भले ही पाकिस्तानी मीडिया भारत को लेकर अपनी छाती कूट रहा हो मगर उसे ये बात समझनी होगी कि पाकिस्तान जैसा राष्ट्र जो देश खुद आतंकवाद के दलदल में फंसा हैं और जहां गृह युद्ध जैसे हालात हैं उसकी तारीफ किसी भी समझदार व्यक्ति को अचरज में डाल देगी और ये सोचने पर मजबूर कर देगी कि वाकई उस राष्ट्र या व्यक्ति का कुछ नहीं होता जो आत्ममुग्धता में रहकर ये मां बैठता है कि उससे बेहतर न कोई था. न कोई है और न भविष्य में कोई होगा.   

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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