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Updated: 16 अक्टूबर, 2018 02:29 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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बे ख़ुदी बे सबब नहीं ग़ालिब, कुछ तो है जिसकी पर्दा दारी है...

कभी कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की बातों में ग़ालिब की ये लाइन साफ झलक रही है. मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर इन दिनों सियासी गलियारे में गरमा-गरमी साफ देखी जा सकती है. इसी बीच दिग्विजय सिंह की नाराजगी भी सामने आ रही है. कांग्रेस ने न तो दिग्विजय को कोई काम दिया है, ना ही किसी चुनावी प्रचार, रैली या रोड शो में उनकी बात होती है. वह खुद ही घूम-घूम कर नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने में लगे हुए हैं, लेकिन कांग्रेस से उनकी नाराजगी कभी-कभी सामने आ ही जाती है. हाल ही में मध्य प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी के बंगले पर पहुंचे दिग्विजय सिंह ने अपने मन की बात कही है या यूं कहें कि भड़ास निकाली है.

मध्य प्रदेश चुनाव, दिग्विजय सिंह, कांग्रेसदिग्विजय सिंह ने अब कांग्रेस को ताने मारना भी शुरू कर दिया है.

क्या बोले दिग्विजय?

दिग्विजय सिंह का एक 24 सेकेंड का वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में वह नेताओं से बात कर रहे हैं. लेकिन उनका अंदाज उनकी नाराजगी बयां करने के लिए काफी है. वीडियो में वह कह रहे हैं कि दुश्मन को भी टिकट मिले तो उसे जिताओ. साफ है कि वह कांग्रेस को ही जिताने के लिए कह रहे हैं, लेकिन उसे दुश्मन भी कह रहे हैं. इतना ही नहीं, वह ये भी कह रहे हैं कि उनके भाषण से तो कांग्रेस के वोट कट जाते हैं, इसलिए वह किसी रैली में जाते ही नहीं. अब या तो दिग्विजय सिंह ये मान रहे हैं कि उनकी वजह से कांग्रेस को नुकसान होता है, या फिर मध्य प्रदेश चुनाव में उन्हें कोई काम नहीं मिलने पर वह कांग्रेस को ताना मार रहे हैं. खैर, जो भी हो, लेकिन दिग्विजय के अंदाज से ये समझ नहीं आ रहा कि वह घूम-घूम कर कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं या उसके लिए गड्ढा खोदने में जुटे हुए हैं.

कांग्रेस ने बनाई दूरी, कुछ बात तो जरूर है

मध्य प्रदेश में होने वाले चुनाव प्रचार या रोड शो से दिग्विजय नदारद ही रहते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री होने के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का उन पर भरोसा कुछ डगमगाया सा लग रहा है. हाल ही में भेल दशहरा मैदान में एक रैली हुई थी, जिसमें नौ बड़े नेताओं के बड़े-बड़े कटआउट लगे थे, लेकिन दिग्विजय सिंह को वहां भी कोई जगह नहीं मिली. हालांकि, बाद में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने सार्वजनिक तौर पर उनसे माफी जरूर मांगी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री को ही भूल जाने को गलती समझना भी एक भूल ही होगी. कुछ बात तो जरूर है, पार्टी में अंदरखाने कुछ खिचड़ी तो पक ही रही है.

मध्य प्रदेश चुनाव, दिग्विजय सिंह, कांग्रेसनौ बड़े नेताओं के बड़े-बड़े कटआउट लगे थे, लेकिन दिग्विजय सिंह को वहां भी कोई जगह नहीं मिली.

इन दिनों मध्य प्रदेश की राजनीति में मुख्य रूप से कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही सक्रिय नजर आ रहे हैं, लेकिन पर्दे के पीछे दिग्विजय सिंह ने भी कार्यकर्ताओं से मिलना जारी रखा है. पिछले दो सालों से कांग्रेस और दिग्विजय के बीच अनबन चल रही है. पिछले साल तो उनसे दो राज्यों का प्रदेश भार तक वापस ले लिया गया. यहां तक कि आंध्र प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी भी उनसे छीन ली गई और ओमान चांडी को उनकी जगह दे दी गई.

कांग्रेस और दिग्विजय के बीच ये नाराजगी 2017 के शुरुआती महीनों से देखी जा रही है, जब दिग्विजय ने जनाक्रोश रैली की थी. उस दौरान दिल्ली में मध्य प्रदेश के नेताओं की कोर कमेटी की बैठक चल रही थी, जिसे राहुल गांधी संबोधित कर रहे थे, लेकिन दिग्विजय सिंह उस समय मध्य प्रदेश आ गए थे. पहले अनुमान लगाया गया कि दिग्विजय सिंह नाराज हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये भी सामने आने लगा कि राहुल गांधी ही उनसे नाराज हैं. गांधी परिवार से नजदीकियों के चलते दो बार मध्य प्रदेश की कुर्सी संभाल चुके दिग्विजय सिंह इस समय अलग-थलग से नजर आ रहे हैं. अब भले ही वह घूम-घूम कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं, लेकिन उनकी नाराजगी उनकी बातों से साफ झलक रही है.

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