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Updated: 06 मार्च, 2017 02:07 PM
पंकज खेलकर
पंकज खेलकर
  @pankajkhelkar2016
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महाराष्ट्र में हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव की करारी हार के बाद - राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के नेताओं को मानों कुछ सूझ ही न हो ऐसी हालात हो गयी है! वहीं, मुंबई महानगरपालिका में महापौर पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच खींचतान को लेकर कयास लगाय जा रहे थे. कहा जा रहा था कि बीजेपी और शिवसेना के बीच की ये तनातनी महाराष्ट्र में मध्यवर्ती चुनाव तक जा सकती है.

लेकिन, फिर अचानक एक उलटफेर हुआ...

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों और बृहन्मुंबई महानगरपालिका की पेचीदा स्थिति के बारे में अवगत कराया. इसके बाद उन्हें मोदी ने ऐसा गुरु मंत्र दिया कि महाराष्ट्र लौटकर देवेंद्र ने एक मास्टर स्ट्रोक खेल दिया. फड़नवीस के इस मास्टर स्ट्रोक के बाद अब सभी दल चारों खाने चित्त हो गए हैं.

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मुंबई लौटकर देवेंद्र फड़नवीस ने घोषणा कर दी कि बीजेपी पार्टी मेयर और डिप्टी मेयर के लिए अपने कैंडिडेट्स नहीं उतारेगी,  विरोधी पक्ष नेता भी बीजेपी का नहीं होगा, साथ ही देवेंद्र ने ये भी ऐलान कर दिया कि बीजेपी शिवसेना के अलावा किसी और पार्टी को बृहन्मुंबई महानगरपालिका में समर्थन नहीं करेगी. इस निर्णय से शिवसेना का मेयर बनाना तो तय हो ही गया, लेकिन इसके साथ उन सभी अटकलों को पूर्ण विराम लग गया जो इन बातों को तूल दे रही थीं कि बीजेपी महाराष्ट्र सरकार के पांच साल पूरे नहीं कर पाएगी.

इस मास्टर स्ट्रोक से शिवसेना के उन नेताओं कि धमकियों की हवा निकल गयी जो कहते फिर रहे थे कि वे जेब में इस्तीफा लिए घूम रहे हैं और फड़नवीस सरकार नोटिस पीरियड पर है. पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम देवेंद्र फड़नवीस का ये मास्टर स्ट्रोक मुंबई की बाउंडरी पार पुणे तक पहुंचा है. ऐसा मालूम पड़ता है क्योंकि पुणे में अब इस मामले में न अजीत पवार कुछ बोल रहे हैं, ना उनके चाचा शरद पवार. रविवार को पुणे में बारामती हॉस्टल पर चल रही एनसीपी आला नेताओं की मीटिंग के बाद जब अजीत पवार से इस बारे में पूछने की कोशिश की तो वे बिना कुछ बात किये ही निकलते बने. बाद में भीमथड़ी कृषि प्रदर्शन एवं यात्रा में पहुंचे एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से जब ये सवाल किया गया कि उनका क्या कहना है बीजेपी द्वारा लिए गए इस कदम के बारे में तो श्री शरद पवार बात करने के मूड में बिलकुल ही दिखाई नहीं दिए. उनसे दोबारा वही सवाल करने पर ग़ुस्से में बोले कि यह जगह नहीं है राजनीतिक बाते करने की.

बीजेपी बैक फुट पर जाने से असल में शिव सेना और अन्य चर्चा करने वालों को बैक फुट पर जाना पड़ा है और बीजेपी की छवि राज्य में और निखर गयी है.

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लेखक आजतक में पत्रकार हैं

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