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Updated: 09 फरवरी, 2021 11:30 PM
प्रमिला दीक्षित
प्रमिला दीक्षित
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वो दीप सिद्धू, जो 26 जनवरी को लाल क़िले पर हुए कांड के बाद से फ़रार था, लेकिन फेसबुक पर उसके वीडियो लगातार आ रहे थे. वो दीप सिद्धू, जो लाल क़िले पर हुए कांड के पहले तो किसान आंदोलनकर्मी थी, लेकिन लाल क़िले पर हुए हंगामे और दिल्ली में हुई हिंसा के बाद अचानक बीजेपी नेता हो गया था. वो दीप सिद्धू, जिसके नाम की पर्ची फाड़कर, सारे किसान नेता. गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में मार खाए तीन सौ पुलिस वालों के अपराध से पाप मुक्त हो कर निश्चिंत हो गए थे. वो दीप सिद्धू आख़िरकार गिरफ्तार हो गया. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने, दीप सिद्धू को हरियाणा के करनाल से पकड़ा, जो इत्तेफ़ाक़ से हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का विधानसभा क्षेत्र है, और जहां सीएम की किसान बिल के पक्ष में होने वाली सभा के ऐन पहले कथित किसान प्रदर्शनकारियों ने मंच तक उखाड़ डाला था. सीएम को बिना रैली किए अपना हैलीकॉप्टर वापस उड़वाना पड़ा था. उसी करनाल से सिद्धू सड़क पर खड़ा हुआ पकड़ा गया. पुलिस के मुताबिक़, वो ट्रैक्टर से उतरा था और अपने लिए आने वाली दूसरी गाड़ी का इंतज़ार कर रहा था, जिससे उसे बिहार के पूर्णिया जाना था.

Deep Sidhu, Farmer Protest, Punjabi Farmer, Violence, Movement, Red Fort, Delhi Policeदीप सिद्धू का पकड़े जाना दिल्ली पुलिस की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है

सिद्धू की गिरफ्तारी के बाद सरकार को राहत है, क्योंकि जिस रोज़ लोकसभा में देश के गृहमंत्री अमित शाह का बयान था उसी रोज़ अचानक सिद्धू की गिरफ्तारी हो गई. देश की सबसे तेज़ कही जाने वाली दिल्ली की पुलिस, पंद्रह दिन तक जिस आदमी के लिए ख़ाक छानती रही जो आए दिन फ़ेसबुक पर अपने वीडियो पोस्ट कर के चुनौतियाँ देता रहा वो राजधानी से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर, सड़क पर ही धर लिया गया. डिजिटल फुटप्रिंट्स यानि इंटरनेट पर उसके निशान लगातार मौजूद होने के बावजूद पुलिस उसकी तलाश में धक्के खाती रही.

एक लाख रूपए का ईनाम भी रख दिया. और लाख रूपए के ईनामी की गिरफ्तारी के बाद, पुलिस अदालत पहुंची तो रिमांड मांगा सिर्फ दस दिन का. लेकिन सबकी नज़र इस बात पर है कि सिद्धू जब बोलेगा तो किस किस के राज़ खोलेगा. क्योंकि लाल क़िले पर हुए घटनाक्रम के बाद, सिद्धू ने फ़ेसबुक पर पोस्ट किए अपने वीडियो में सीधी धमकी दी थी कि मैं फँसूँगा तो अकेला नहीं फँसूँगा. सवाल ये है कि उसका इशारा किसकी तरफ़ था? बीजेपी के नेता और सांसद सनी देओल के साथ सिद्धू की नज़दीकी जगज़ाहिर है.

सिद्धू चुनाव प्रचार में सनी देओल के साथ भी था. सनी देओल से नज़दीकी के चलते ही पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ दीप सिद्धू की फ़ोटो भी आई, जिसका कांग्रेस ने भरपूर इस्तेमाल किया. लेकिन बात बढ़ी तो सनी देओल ने सफ़ाई दे दी कि सिद्धू से अब उनका कोई लेना देना नहीं है. जबकि इसके उलट, कांग्रेस खुद 26 जनवरी की घटना के बाद से अपने ट्वीट डिलीट करती घूम रही है, जिनमें बतौर किसान सिद्धू के सुर में सुर मिलाने का दावा पार्टी की अलग अलग इकाइयां कर रही थी.

सिद्धू चर्चा में ही आया था सिंघू बॉर्डर पर अंग्रेज़ी में अपनी एक तक़रीर के बाद जिसने उसके खालिस्तान समर्थक होने और सिंघू बॉर्डर पर किसान आंदोलन में खालिस्तानियों की घुसपैठ होने का पहला इशारा दिया था. बीजेपी ने सिद्धू पर सवाल उठाए तो सिद्धू के समर्थन में कहा गया कि क्या किसान अंग्रेज़ी नहीं बोल सकता? जींस-टीशर्ट नहीं पहन सकता? लेकिन जैसे ही किसान नेताओं ने गणतंत्र दिवस की हिंसा का बिल सिद्धू के नाम पर फाड़ा, तो सिद्धू को हीरो बनाने वाली पार्टियों में भगदड़ मच गई.

और सिर्फ पार्टियों में ही क्यों, किसान आंदोलन के नेताओं में भी ये जताने की रेस हो गई कि सिद्धू तो ज़बरदस्ती घुस आया था, उसे तो आंदोलन से बाहर का रास्ता पहले दिन ही दिखा दिया गया था. जबकि सच ये है कि सिंघू बॉर्डर पर किसान आंदोलन के नेतृत्व कर रहे नेताओं के साथ बैठ कर दीप सिद्धू ने प्रेस कांफ्रेंस तक की थीं. और फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोलने वाला सिद्धू कई दिन तक उनकी आंखों का तारा था.

इसकी तस्वीरें, वीडियोज़ आज भी मौजूद हैं - जब वही नेता सिद्धू को दुत्कार कर अपने पाक साफ़ होने का सुबूत देने की कोशिश कर रहे हैं. ख़ैर दीप सिद्धू पकड़ा गया है तो कुछ खुलासे तो होंगे. पता लगेगा कि ग्रेटा थनबर्ग की टूलकिट वाली थ्योरी में कितना दम है. खालिस्तान के विचार के प्रति अपनी आस्था टीवी चैनल्स और यूट्यूब इंटरव्यूज़ में खुल कर ज़ाहिर करने वाला सिद्धू, अगर पुलिस पूछताछ में भी अपने स्टैंड पर क़ायम रहता है तो उम्मीद करिए कि किसान आंदोलन के सहारे देश में अराजकता फैलाने की बड़ी विदेशी साज़िश का भंडाफोड़ हो सकता है.

किसान आंदोलन के बहाने हिंसा की साज़िश के तहत, अब तक दिल्ली पुलिस 131 गिरफ्तारियां कर चुकी है. हंगामे के दिन, उपद्रवियों को बीजेपी के लोग बताने वाले किसान नेता - अरविंद केजरीवाल से ले कर केंद्र सरकार तक - इन लोगों को छोड़ने की गुहार लगा चुके हैं. अब देखिए - दीप सिद्धू की पैरवी का बीड़ा कौन सी पार्टी सबसे पहले उठाने का दम भरती है.

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प्रमिला दीक्षित प्रमिला दीक्षित @pramila.dixit.7

लेखिका स्वतंत्र पत्रकार है.

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