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Updated: 15 जनवरी, 2020 06:34 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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जम्मू कश्मीर चर्चा में है कारण हैं जम्मू कश्मीर पुलिस (Jammu kashmir Police) की एंटी हाईजैकिंग टीम में तैनात डीसीपी देवेंद्र सिंह (DSP Davinder Singh Arrested). सिंह को दो आतंकियों के साथ श्रीनगर एयरपोर्ट (Kashmir DSP Devinder Singh Arrested) से गिरफ्तार किया गया था. डीएसपी दविंदर सिंह पर आरोप है कि वो आतंकियों की कश्मीर घाटी छोड़ने में मदद (DSP Davinder Singh helping Hizbul rerrorist) कर रहे थे. बताया ये भी जा रहा है कि आतंकी घाटी में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने वाले थे. ज्ञात हो कि बीते दिनों ही पुलिस ने बतौर पुलिस उपाधीक्षक कार्यरत दविंदर सिंह एक वकील और आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकियों नवीद बाबा और अल्ताफ को कुलगाम के मीर बाजार से गिरफ्तार किया था. मामले में दिलचस्प बात ये भी है कि दविंदर सिंह का शुमार उन लोगों में है जिन्होंने अभी हाल ही में विदेशी राजदूतों के 16-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को घाटी का दौरा कराया था. मामला प्रकाश में आने के बाद न सिर्फ जम्मू कश्मीर बल्कि दिल्ली तक में हडकंप है और विचार इसपर हो रहा है कि आखिर देश की सुरक्षा में इतनी बड़ी सेंधमारी हुई कैसे? बात आगे बढ़ाने से पहले आपको बताते चलें कि 48 घंटे की पुलिस कस्टडी में रखने के बाद दविंदर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया है और मामले की सघन जांच शुरू कर दी गई है.

दविंदर सिंह, आतंकी, जम्मू और कश्मीर, पुलिस, Davinder Singh  अपनी करतूतों से दविंदर सिंह ने पूरे जम्मू कश्मीर पुलिस को संशय में डाल दिया है

शायद आपको ये सुनकर हैरानी हो. मगर ये कोई पहली बार नहीं है जब किन्हीं गलत कारणों से दविंदर सिंह चर्चा में आए हैं. पूर्व में भी ऐसे तमाम मौके आए हैं जब इस एक आदमी की करतूत ने पूरे पुलिस महकमे को शर्मसार किया था. आइये नजर डालें उन कारनामों पर, जिनके बाद खुद ये साबित हो जाएगा कि दविंदर सिंह को बिलकुल सही समय पर गिरफ्तार किया गया है. और अगर जरा सी भी देर होती तो हम एक बड़े हादसे के साक्षी बनते.

करियर के शुरूआती दिनों में ही लग चुके हैं तमाम गंभीर आरोप

दविंदर सिंह की कहानी बड़ी दिलचस्प है. 1994 में इन्होंने बतौर सब इंस्पेक्टर ज्वाइन किया था बाद में ये जम्मू कश्मीर पुलिस की SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) में भेज दिए गए. कहा जाता है कि ग्रुप के एक्टिव सदस्य के रूप में मशहूर दविंदर शुरू से ही भ्रष्टाचार और उगाही में लिप्त थे.

यही वो कारण था कि SOG की बदनामी होने के बाद इन्हें वहां से हटा दिया गया था. कुछ दिनों तक सस्पेंशन झेलने के बाद इन्हें वापस श्रीनगर पुलिस कंट्रोल रूम लाया गया. इनके प्रमोशन भी खूब हुए मगर इनका रवैया जस का तस था.

सिंह को गैलेन्टरी मेडल जम्मू कश्मीर पुलिस ने दी सफाई

दविंदर सिंह को 2018 में राज्य सरकार की तरफ से गैलेन्टरी मेडल दिया गया था. खबर ये भी थी कि सिंह को पदक स्वयं देश के राष्ट्रपति ने दिया है. इसपर जम्मू और कश्मीर पुलिस ने अपनी सफाई दी है और कहा है कि इन्हें ये पदक स्वतंत्रता दिवस 2018 पर जम्मू-कश्मीर राज्य द्वारा दिया गया.

अपने ट्वीट में पुलिस ने इस बात को स्पष्ट रूप से कहा है कि, सिंह को कोई वीरता पदक नहीं मिला है. उन्हें जो सम्मान मिला वो राज्य सरकार ने इनकी सर्विस के लिए इन्हें दिया था.

अफज़ल गुरु से रिश्ते

2013 में लिखे गए एक पत्र में, संसद में हुए हमले में शामिल अफज़ल गुरु ने बताया था कि कैसे डीएसपी दविंदर सिंह ने उसकी मदद कि. अफज़ल गुरु ने अपनी चिट्ठी में कहा था कि ये डीएसपी सिंह ही थे जिन्होंने उसे और उसके साथी मोहम्मद को दिल्ली में रहने के लिए किराए का घर और कहीं आने जाने के लिए गाड़ी खरीदी थी.

मजेदार बात ये है कि तब अफज़ल गुरु के इस खुलासे पर कोई जांच नहीं हुई थी और दागी अफसर तब भी अपनी ड्यूटी पर था. 2013 में लिखी गई अफज़ल गुरु की उस चिट्ठी का यदि अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि सिंह मदद के नाम पर लगातार आतंकियों से पैसे ले रहा था.

साथ ही गुरु ने ये भी बताया था कि सिंह ने ही उसकी पहचान मोहम्मद से कराई थी और कहा था कि वो उसे अपने साथ दिल्ली ले जाए और घर दिलवा दे.

पत्रकार परवेज़ बुखारी को दिए गए एक इंटरव्यू में दविंदर सिंह ने इस बात को स्वीकारा था कि उसने अफज़ल गुरु को टॉर्चर किया था. साथ ही सिंह ने इस बात को भी स्वीकारा था कि गिरफ़्तारी के बावजूद उसने कभी इस गिरफ़्तारी को पुलिस स्टेशन के रजिस्टर में दर्ज नहीं किया था.

पुलवामा के वक़्त क्या थी सिंह की भूमिका

बुराई ज्यादा देर तक छिप नहीं सकती फ़िलहाल कुछ ऐसा ही मामला दविंदर सिंह का भी है. पुराने अपराधों के भूत उन्हें लगातार डरा रहे हैं. अब जांच उनके उस एनकाउंटर की भी हो रही है जो 2017 में उन्होंने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में किया था और जिसके लिए इन्हें पुरस्कृत भी किया गया था.

ध्यान रहे कि सिंह का मामला प्रकाश में आने के बाद  अब कांग्रेस ये तर्क भी दे रही है कि 2019 में पुलवामा हमले के लिए भी दविंदर सिंह जिम्मेदार हैं. दविंदर पर बोलते हुए कांग्रेस ने कहा है कि सिंह उस बड़ी सी साजिश का एक छोटा सा हिस्सा हैं.

कांग्रेस के इन आरोपों में कितना आधार है इसका फैसला वक़्त करेगा मगर जो एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं माना यही जा रहा है कि सिंह की गिरफ़्तारी के बाद अभी तमाम ऐसे सफेदपोश हैं जो बेनकाब होंगे.

लंबे समय से जम्मू कश्मीर पुलिस के रडार पर थे दविंदर

बता दें कि सिंह नवीद बाबू को लाने शोपियां गए थे साथ ही ये दोनों हिजबुल आतंकियों को जम्मू छोड़ने में मदद भी कर रहे थे. पुलिस इस बात से वाकिफ थी और उन्होंने सिंह को अपने रडार पर रखा हुआ था.

पुलिस ने ये गिरफ़्तारी एक बातचीत के आधार पर की और माना यही जा रहा है कि आतंकियों को जम्मू से निकाल कर पाकिस्तान भेजने के लिए सिंह ने तकरीबन 12 लाख रुपए लिए थे. अब जबकि गिरफ़्तारी हो गई है तो इस गिरफ़्तारी ने रज्य की पुलिस को भी शर्मसार कर दिया है.

कश्मीर पुलिस के IGP विजय कुमार इसे एक घृणित अपराध की संज्ञा दे रहे हैं और इसे देश के लिए एक बड़ा खतरा बता रहे हैं. मामले पर कश्मीर पुलिस ने साफ़ कह दिया है कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा और सख्त से सख्त जांच की जाएगी.

बहरहाल, मामले की जांच कैसे होगी और क्या इस मामले में बड़ी मछलियों पर शिकंजा कसा जाएगा इन तमाम सवालों का जवाब वक़्त की गर्त में छिपा है मगर फ़िलहाल सवाल जम्मू कश्मीर पुलिस से हो रहे हैं और पूछा जा रहा है कि जब विभाग ये जानता था कि पुलिस का अफसर दागी है तो उसपर पहले ही कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया?

पुलिस इन सवालों के क्या जवाब देती है इसका पता भी जल्द ही चल जाएगा मगर इतना तो तय है कि दविंदर सिंह की इस गिरफ़्तारी के बाद हम तमाम बड़ी मछलियों पर शिकंजा कसते हुए देखेंगे और हमें उसके लिए तैयार रहना चाहिए.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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