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Updated: 07 जनवरी, 2020 05:58 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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CAA विरोध (Protest Against CAA)के नाम पर ऐसे तमाम लोग हैं, जो अर्थव्यवस्था से ज्यादा गिर रहे हैं. आए दिन कुछ न कुछ हो रहा है. रोजाना का नया नाटक. अखबार से लेकर टीवी और वेबसाइट्स तक कुछ भी खोलिए. लोगों का अंदाज और उनकी गिरावट दोनों ही दिलचस्प हैं. बात गिरने की है. बचपन का एक किस्सा जहन में आ गया. बड़े बुजुर्गों हमेशा कहते थे गिरे हुए सामान को उठाना अच्छा नहीं है. मैंने गांठ बांध ली. मगर महक प्रभु...अरे हमारी महक मिर्ज़ा प्रभु. वही जो स्टोरी टेलर हैं, बंबई में रहकर मॉरल स्टोरी वाली कहानियां सुनाती हैं. इस बात को भूल गयीं और लेने के देने पड़ गए. बड़ी बी गेटवे ऑफ इंडिया (Protest against JNU violence at Gateway Of India) थीं. क्यों थीं? वजह जगजाहिर है. बीते दि जेएनयू में बवाल (Violence in JNU) हुआ. पुलिस की मौजूदगी में लाठी डंडे और सरिया लेकर कुछ दंगाई परिसर में घुसे और कानून व्यवस्था का जमकर मखौल उड़ाया. परिसर में मारपीट हुई. खून बहा. बवाल जेएनयू में हुआ. हमदर्दी सारे देश को हुई. जेएनयू मामले को लेकर मुंबई के बुद्धिजीवी गेटवे ऑफ इंडिया पर जमा हुए. बड़ी बी यानी महक मिर्ज़ा प्रभु ने भी जेएनयू की सॉलिडेरिटी के नाते यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराई मगर ये यहां क्यों आईं उद्देश्य भूल गयीं.

महक मिर्ज़ा प्रभु, फ्री कश्मीर, जेएनयू, विरोध प्रदर्शन, Mehak Mirza Prabhu  फ्री कश्मीर की बात कर मुंबई की महक मिर्ज़ा प्रभु ने मुसीबत खुद मोल ली है

जेएनयू की हमदर्दी में बाकी प्रदर्शकारियों से दो हाथ आगे निकलते हुए महक मिर्ज़ा प्रभु ने 'Free Kashmir' के लिए अपना झंडा बुलंद कर रखा था. बात सीरियस थी. लोग आहात हो गए. जब सोशल मीडिया का दौर हो और बात इतनी गंभीर हो तो ट्रोल होना स्वाभाविक है. महक मिर्जा भी हुईं हैं.

हालत उनकी कुछ यूं है कि अब बस वो हैं, तन्हाई है और उनकी सफाई है. वीडियो बनाया गया है और बताया गया है कि जब वो प्रोटेस्ट में घूम रही थीं तो उन्हें तमाम प्ले कार्ड्स, स्लोगंस और पोस्टर्स के बीच 'Free kashmir' का पोस्टर दिखा जिसे उन्होंने उठा लिया और चुपचाप प्रदर्शन करने लग गयीं. अपनी सफाई में उन्होंने ये भी बताया कि उन्होंने अपने हाथों में फूल ले रखे थे और वो इसलिए प्रदर्शन कर रही थीं क्योंकि सरकार ने पिछले 5 महीने से घाटी में इंटरनेट बंद कर रखा है.

बड़ी बी यानी जो ये महक मिर्ज़ा प्रभु हैं, स्टोरी टेलर अगर इनके सफाई वाले वीडियो पर गौर करें तो अब वो मासूम बनने का स्वांग रच रही हैं. दिलचस्प बात है उनका अपना इंट्रो देना. अपने इस वीडियो में महक खुद का नाम महक प्रभु बताती नजर आई हैं. जबकि सोशल मीडिया पर लोग यही कह रहे हैं कि उनका नाम महक मिर्जा है और सोशल मीडिया पर वो इसी नाम से लोकप्रिय हैं.

इसके अलावा बात अगर महक मिर्ज़ा प्रभु द्वारा कही उस बात पर कि ये प्लेकार्ड मौके पर पड़ा था जिसे उन्होंने 'बस' उठा लिया. तो बता दें कि महक झूठ बोल रही हैं. जिस अंदाज में उन्होंने इसे पकड़ा है वो ये बताने के लिए काफी है कि उन्होंने 'Free Kashmir' के नाम पर जो किया वो सोच समझकर किया. एक्स्ट्रा बुद्धिजीवी बनने के लिए किया. एक छुपे हुए एजेंडे के तहत किया.

गेटवे ऑफ इंडिया पर 'फ्री कश्मीर' के नाम पर जो कुछ भी महक ने किया वो वाकई निंदनीय है. अब वो लाख सफाई दें. हजारों कहानियां इसपर सुनाएं कि उनका इंटेंशन 'वैसा' नहीं था. कितनी भी शांति की बातें क्यों न हों मगर सच यही है कि उन्होंने जो भी किया जान बूझ कर किया और अब उनकी हालत भी ठीक वैसी है जैसी  CAA को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है.

कन्फ्यूज होने की जरूरत नहीं है. महक मिर्ज़ा प्रभु की इस कहानी में पीएम मोदी को यूं ही बेवजह या फिर ये कहें कि सिर्फ तड़के के लिए नहीं डाला गया है. पीएम मोदी भी वही झेल रहे हैं जो हाल फिलहाल में महक मिर्ज़ा झेल रही है. देश के लोग जल्दबाजी में हैं. जब लोग जल्दी में हों तो नेताओं का भी जल्दबाज बनना स्वाभाविक है. CAA मामले को देख लें तो यहां भी कुछ ऐसा ही हुआ. बात तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रहकर प्रताड़ना जेल रहे अल्पसंख्यकों की थी.

गृह मंत्री बता चुके थे इससे किसी की नागरिकता प्रभावित नहीं होगी. लोगों को यकीन नहीं हुआ. उसके बाद तमाम मौके आए जब खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि इससे किसी की नागरिकता प्रभावित नहीं होगी मगर जिसे जो समझना था उसने वैसा समझा और नतीजा ये निकला कि पीएम की बात अनसुनी रह गई और जगह जगह हिंसा हुई और तमाम मौतें हमारे सामने आईं. बीच बीच में विपक्ष ने भी खूब प्रोपोगेंडा फैलाया.

बहरहाल हमारी बात महक मिर्जा से शुरू हुई थी तो हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि 'Free Kashmir' की बात कर स्टोरी टेलर महक मिर्जा प्रभु ने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं बल्कि नई कुल्हाड़ी में दोबारा धार लगवाकर उसपर अपना पैर मारा है.आगे इनके साथ क्या होगा और क्या क्या नहीं होगा ये 'हम देखेंगे' मगर जो अभी हम देख रहे हैं शायद उसी पर शायर ने कहा हो - वो कितने मासूम थे क्या से क्या हो गए देखते-देखते.

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#जेएनयू विवाद, #छात्र, #हिंसा, Mehak Mirza Prabhu, Kashmir, Jnu Crisis

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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