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Updated: 02 मई, 2019 04:21 PM
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मसूद अजहर जिसने सालों से भारत को अपने आतंकी मंसूबों का निशाना बनाया है अब वैश्विक आतंकी घोषित हो चुका है. वैसे तो इसे लेकर अलग-अलग तरह के बयान सामने आ रहे हैं, कई लोगों का कहना है कि इससे बहुत ज्यादा कुछ नहीं बदलेगा. कुछ को लगता है कि इससे भारत में चारों तरफ सिर्फ शांति ही शांति आएगी, लेकिन यकीन मानिए इससे आतंक के खिलाफ एक बल जरूर मिला है. मसूद अजहर को 1999 में छोड़ा गया था और तब से भारत के लिए मसूद अजहर एक नासूर बना हुआ है और इसलिए ये कहना कि ये बड़ी जीत नहीं है बिलकुल गलत होगा.

जहां एक ओर इस उपलब्धि के लिए भारत की कोशिशें जिम्मेदार हैं, यहां के डिप्लोमैट्स की जंग जिम्मेदार है वहीं दूसरी ओर इस मामले में राजनीति शुरू हो गई है. यहां भी भाजपा और कांग्रेस पार्टियां एक दूसरे से क्रेडिट की जंग लड़ रही हैं. ये बात सही है कि मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने की बात 2009 से ही चल रही है. पर ये सफलता काफी महनत के बाद मिली है. चीन और पाकिस्तान ने लाखों अडंगे डाले हैं. पुलवामा हमले के बाद फॉरेन सेक्रेटरी विजय गोखले ने चीन दौरे के दौरान सबूत भी पेश किए थे.

मसूद अजहर, पुलवामा आतंकी हमला, कांग्रेस, भाजपा, राजनीतिमसूद अजहर को लेकर पी चिदंबरम और रणदीप सुरजेवाला की ओर से दो बयान आए हैं.

जहां इस उपलब्धि के लिए सालों की मेहनत लगी है. अब राजनीति इस स्तर पर आ गई है कि इस मेहनत पर क्रेडिट लेने का खेल शुरू हो गया है. जहां एक ओर ये बात झुठलाई नहीं जा सकती कि ये भाजपा सरकार के दौरान हुआ है, वहीं कांग्रेस ने अपनी प्रेस रिलीज में इसे काफी देर से मिली कामियाबी बताया है. इसी के साथ, वो सभी काम गिनवाए गए हैं जो मोदी सरकार को अभी करने चाहिए और किस तरह से चीन (डोकलाम-अरुणांचल प्रदेश विवाद) को लेकर मोदी सरकार बिलकुल विफल साबित हुई ये सब कुछ बताया है.

साथ ही, इस बात पर भी जोर दिया कि यूनाइटेड नेशन में पुलवामा/कश्मीर आतंक की कोई बात ही नहीं थी. कांग्रेस की प्रेस रिलीज में लिखा गया है कि कांग्रेस पार्टी मसूद अजहर ही नहीं जैश-ए-मोहम्मद के भी पूरे बैन की मांग करती है, उसकी सारी प्रॉपर्टी के बैन की मांग करती है, साथ ही ये भी लिखा कि मसूज अजहर पर ईनाम घोषित करना चाहिए क्योंकि कांग्रेस के समय हाफिज़ सईद के ऊपर भी हुआ था.

जहां एक ओर प्रेस रिलीज में मोदी सरकार को आगे क्या करना चाहिए और कांग्रेस ने क्या किया इसकी बात थी वहीं दूसरी ओर क्रेडिट लेने के मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी पीछे नहीं रहे. उनके हिसाब से क्योंकि कांग्रेस ने 2009 में कोशिशें शुरू कर दी थीं, इसलिए 2019 में जाकर मसूद अजहर को आतंकी घोषित किया गया है.

इतना ही नहीं पी चिदंबरम ने ये भी कहा कि मसूद अजहर को भाजपा सरकार में ही रिहा किया गया था जब एक प्लेन हाईजैक कर लिया गया था.

पर इस मामले में चिदंबरम जी को सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया गया और उनकी बातों का जवाब भी दे दिया गया.

जहां एक ओर कांग्रेस पार्टी 26/11 हमले के बाद यूपीए द्वारा किए गए प्रयासों का जिक्र करने से नहीं चूकी वहीं ये कहना कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग कांग्रेस ने ही की थी ये साफ जाहिर करता है कि आखिर कांग्रेस पार्टी कितनी उत्सुक है खुद को आतंक विरोधी साबित करने के लिए.

इसके सीधे-सीधे दो कारण हैं-

1. नरेंद्र मोदी की ऐसी छवि बन चुकी है कि उन्होंने आतंक मिटाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं और यही कि वो आतंक को मिटाने के लिए अब कुछ भी कर सकते हैं. मसूद अजहर का ऐन चुनाव के बीच आतंकी घोषित होना भाजपा के लिए फायदेमंद तो साबित हो सकता है. इसमें कोई शक नहीं है. लोग भले ही पुरानी बातें भूल जाएं, लेकिन उन्हें ये जरूर याद रहेगा कि अभी क्या हो रहा है.

2. दूसरा कारण ये है कि 26/11 हमले के बाद कांग्रेस ने जितने भी प्रयास किए वो नाकाफी साबित हुए और कांग्रेस की छवि ऐसी बन गई कि वो आतंक के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठा सकती और साथ ही साथ कांग्रेस ने जो भी किया उसे भुलाया जा चुका है. इसका एक कारण भाजपा का प्रचार भी है. कई रैलियों में तो खुद प्रधानमंत्री मोदी बता चुके हैं कि कांग्रेस पार्टी का आतंकवाद को लेकर कड़े कदम नहीं उठाए हैं और वो आतंकियों के लिए नरम भावना रखते हैं. साथ ही, दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं का आतंकवादियों के नाम के आगे 'जी' लगाना और उसके बाद राहुल गांधी का भी यही गलती दोहराना व्यंग्य के तौर पर नहीं लिया गया बल्कि कांग्रेस की नीतियों पर करारा सवाल बन गया.

अब कांग्रेस का मसूद अजहर मामले में क्रेडिट को लेकर छटपटाना वाजिब भी है क्योंकि ऐन चुनावों में आतंकवाद को लेकर भाजपा की ये विजय कुछ और तरीके से ही देखी जाएगी. कांग्रेस अगर इस मौके पर भी अपने द्वारा किए गए प्रयासों को याद नहीं दिलाती है या फिर भाजपा की कमियों को नहीं बताती है तो बहुत मुमकिन है कि उसके काम को बिलकुल ही भुला दिया जाए. तो इसे कोरी राजनीति ही कहा जाएगा कि कांग्रेस के नेता अपनी पार्टी के लिए लड़ रहे हैं.

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