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Updated: 02 जुलाई, 2020 05:32 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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एक ऐसे समय में जब गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत (India) और चीन (China) के बीच का संघर्ष अपने चरम पर हो. देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले और मौत के आंकड़े दोनों ही लगातार बढ़ते जा रहे हो कांग्रेस (Congress) और भाजपा (BJP) में एक अलग ही तरह की लड़ाई देखने को मिल रही है. ताजा मामला कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का है. प्रियंका गांधी सुर्खियों में हैं कारण बना है उनका लोधी एस्टेट का बंगला (Priyanka Gandhi lodhi estate bungalow), जिसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) ने खाली करने को कहा है. प्रियंका गांधी को अपना ये बंगला 1 अगस्त तक खाली करना है. मामला प्रकाश में आने के बाद पूरी कांग्रेस पार्टी में खलबली मच गई है और पार्टी ने इसे अपने पर एक बड़ा हमला बताया है. बता दें कि गुजरे साल के नवंबर महीने में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश में SPG सुरक्षा को लेकर रिव्यू किया था और उस रिव्यू में ये बात निकल के आई थी कि गांधी परिवार (Gandhi Family) यानी सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka gandhi) को कोई खतरा नहीं है. जिसके बाद तीनों ही नेताओं से SPG कवर वापस ले लिया गया था. बात अगर वर्तमान की हो तो तीनों ही नेताओं को सीआरपीएफ ने सुरक्षा दी हुई है.

Priyanka Gandhi, Bungalow, Yogi Adityanath, Lucknow, Delhi केंद्र सरकार द्वारा प्रियंका गांधी का बांग्ला छीने जाने के बाद ट्विटर भी दो अलग ग्रुप्स में बंट गया है

बात प्रियंका गांधी के बंगले की हुई है तो बताते चलें कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को इसी प्रोटेक्शन के अंतर्गत लोधी स्टेट में एक सरकारी बंगला आवंटित किया गया था. अब चूंकि प्रियंका के पास एसपीजी सुरक्षा नहीं है इसलिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने तर्क पेश किया है कि क्योंकि अब प्रियंका गांधी को प्रोटेक्शन नहीं हासिल है इसलिए उन्हें 1 अगस्त 2020 तक अपना ये सरकारी बंगला खाली करना होगा. यदि प्रियंका इस बात को अनसुना करती हैं या फिर इसपर ध्यान नहीं देती हैं तो उन्हें अपने बंगले के अतिरिक्त किराया देना होगा.

मामले पर राजनीति बदस्तूर जारी है मगर इसके इतर माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर का नजारा थोड़ा अलग है. मामला प्रकाश में आने के बाद ट्विटर दो खेमों में बंट गया है जिसमें एक वर्ग सरकार के इस फैसले की सराहना कर रहा है और कह रहा है कि सरकार ने एक सही समय पर सही और सार्थक कदम उठाया है जबकि दूसरा वर्ग इसे बदले की राजनीति बताते हुए यही कह रहा है कि इस फैसले को लेकर सरकार ने अपनी मानसिकता का परिचय दिया है और बताया है कि जब उसे अहम मोर्चों पर जंग लड़नी चाहिए वो कांग्रेस पार्टी और पार्टी से जुड़े नेताओं से आगे बढ़ ही नहीं पा रही है.

केंद्र सरकार द्वारा लिया गए इस फैसले में ट्विटर के माहौल गर्म कर दिया है. ऐसे में हमारे लिए भी ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर इस मामले को लेकर ट्विटर का नजारा क्या है.

मोदी सरकार की प्रबल आलोचकों में शुमार पत्रकार सागरिका घोष ने ट्विटर पर एक अखबार की कटिंग साझा करते हुए लिखा है कि यदि आज इंदिरा गांधी होती और यदि उनका सिक्योरिटी कवर विड्रॉ किया जाता तो वो तुरंत ही अपने सरकारी आवास से बाहर चली जाती. उन्होंने ये पल सीज कर लिया होता. पूरा प्रेस और मीडिया उन्हें देखता . हैशटैग प्रियंका गांधी का जिक्र करते हुए सागरिका ने ये भी लिखा है कि जिस वक्त प्रतिस्पर्धा अत्यधिक हो राजनीतिक प्रवृत्ति भी तेज होनी चाहिए.

भाजपा महिला मोर्चा स्व जुड़ी और वर्तमान में भाजपा की सोशल मीडिया इंचार्ज प्रीति गांधी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाल पूछा है कि क्या आप बता सकते हैं कि क्यों प्रियंका गांधी को एसपीजी कवर मिलना चाहिए? क्यों उन्हें सरकारी आवास में रहना चाहिए जिसका पूरा खर्च भारत का टैक्स पेयर अपने कंधों पर उठाता है . प्रीति गांधी ने सवाल पूछा है कि जब प्रियंका इन चीजों की हकदार ही नहीं हैं तो इसे आखिर उनका उत्पीड़न क्यों कहा जा रहा है?

वहीं पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम एक अलग ही सपना अपनी आंखों में संजो कर बैठे हैं. कार्ति ने ट्वीट किया है कि देश में कांग्रेस के पुनरुद्धार का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है कथन का आशय ये है कि हम भविष्य में प्रियंका गांधी को कांग्रेस पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में देखेंगे. प्रियंका गांधी वाड्रा को लखनऊ में रहकर पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए.

फ़िल्म डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद हमेशा की तरह एक बार फिर कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि प्रियंका गांधी के साथ जो हुआ उसे देखकर उन्हें उस घटना की याद आ गयी जो इंदिरा गांधी ने लाल बहादुर शास्त्री के साथ उनकी रहस्यमय मृत्यु के बाद किया जिसमें ललिता शास्त्री को भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा क्यों कि इंदिरा ने शास्त्री की समाधि पर जय जवान जय किसान लिखवाने से मना कर दिया था.

बाद में इंदिरा ललिता शास्त्री से मिलने उनके घर गईं और कहा कि मैं आपको इस घर में रहने की अनुमति तभी दे सकती हूं जब आप जीवन भर 'खामोश रहें' और इस मौत के बारे में किसी से कोई बात न करें. इस परिवार का DNA ही कुछ ऐसा है.

मामले को लेकर शेफाली वैद्य ने ट्वीट किया है कि, 'तो अब प्रियंका गांधी योगी आदित्यनाथ से जंग लड़ने के लिए अपना बेस यूपी में शिफ्ट कर रही है. ये अपने आप में कमाल है.

सरकारी बंगले को खाली किये जाने के ऐलान के बाद शुभ चिंतकों की तरफ से प्रियंका को भांति भांति के सुझाव मिलने भी शुरू हो गए हैं. पत्रकार बरखा दत्त ने ट्वीट किया है कि अगर प्रियंका गांधी के पास राजनीतिक प्रवृत्ति होती तो उन्होंने सरकार के कहने से बहुत पहले ही बंगले को त्याग दिया होता. लोग इससे आगे बढ़ चुके हैं और अब तो उन्हें इसकी परवाह भी नहीं है.

पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया है कि दिल्ली में सरगर्मियां तेज है कि प्रियंका को लोधी एस्टेट स्थित बंगला खाली कराकर यूपी भेजना 2022 के लिए कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक होगा. यदि ऐसा है तो ये कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा कदम है जो काफी समय से लंबित पड़ा था. आप दिल्ली में रहें और यूपी की राजनीति करें अब वो दिन लद गए.

केंद्र सरकार का ये फैसला प्रियंका गांधी के लिए फायदेमंद होता है. या फिर इससे भाजपा को फायदा मिलता है? यूपी में प्रियंका कांग्रेस को वापस लाने में कामयाब होती हैं या फिर सूबे में योगी आदित्यनाथ और भाजपा का ही डंका बजेगा? सवाल तमाम हैं. जिनके जवाब वक़्त देगा. लेकिन जो वर्तमान है और जैसे प्रियंका को आम और खास का समर्थन मिल रहा है उससे इतना तो साफ़ हो गया है कि कहीं न कहीं उत्तर प्रदेश के लिहाज से उनका कद मजबूत है जो आने वाले समय में उन्हें फायदा दे सकता है और शायद वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने में कामयाब हो जाएं.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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