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Updated: 29 जून, 2020 02:44 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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चीन के साथ सरहद पर लद्दाख में जारी तनाव के बीच जम्मू कश्मीर में सरकार के दो आदेश नये सिरे से लोगों की चिंताएं बढ़ा रहे हैं. एक तो दो महीने के लिए एलपीजी सिलेंडर स्टॉक करने का आदेश है - और दूसरा, स्कूलों को खाली कराने का आदेश सुरक्षा बलों को दिया गया है. लोगों को एक बार फिर कुछ कुछ वैसा ही एहसास होने लगा है जैसे 2019 की शुरुआत में भारत-पाक तनाव को लेकर आशंका होती रही.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने, इस बीच, मन की बात की बात में कहा है कि लद्दाख में भारत की जमीन पर आंख उठाने वालों को करारा जवाब दिया जा चुका है - मतलब तो ये हुआ कि गलवान घाटी में शहादत देने वाले 20 सैनिकों का बदला भी पूरा हो चुका है. तब तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को संसद में दो-दो हाथ करने की चुनौती देने की भी यही वजह रही होगी.

तो चीन से बदला पूरा हुआ!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में चीन का नाम तो नहीं लिया, लेकिन जो कुछ कहा उसमें नाम लेना या प्रधानमंत्री के मुंह से किसी का नाम सुनना जरूरी भी नहीं लगा. जो प्रसंग था, जो संदर्भ था साफ रहा कि बात सिर्फ और सिर्फ चीन की ही हो रही है.

नाम लेना न लेना अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के हिसाब से जो जरूरी हो किया जा सकता है, असली मतलब तो मकसद पूरा होने से है. जो बात देश सुनना चाहता था, मोदी ने सुना दिया. पूरा देश चाहता था कि गलवान घाटी में जिस कारण देश के 20 वीर सपूतों को शहादत देनी पड़ी उसका बदला लिया जाना चाहिये.

प्रधानमंत्री ने कहा तो इतना ही कि लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है. समझने के लिए ये काफी है. थोड़ा और विस्तृति जानकारी मिले तो ज्यादा समझ में आएगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हमारे सैनिकों ने दिखा दिया है... अपने वीर सपूतों के बलिदान पर उनके परिवारों का जो जज्बा है वही तो हमारी ताक़त है.... भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर देखना - और उचित जवाब देना भी जानता है. हमारे वीर सैनिकों ने दिखा दिया है कि वे कभी भी मां भारती के गौरव पर आंच नहीं आने देंगे.'

narendra modi, amit shahप्रधानमंत्री मोदी ने चीन को जवाब दे दिया है - और अब अमित शाह जवाब देंगे राहुल गांधी को

गलवान घाटी में हिंसक झड़प में 20 सैनिकों की शहादत के बाद प्रधानमंत्री ने कहा भी था, 'हमने हमेशा से अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर काम किया है... हमेशा उनके विकास और कल्याण की कामना की है... जहां कहीं मतभेद भी रहे हैं, हमने हमेशा ये प्रयास किया है कि मतभेद विवाद न बने.'

बड़ी ही संजीदगी के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने पड़ोसी मुल्कों को आगाह भी कर दिया था - 'हम कभी किसी को भी उकसाते नहीं हैं, लेकिन अपने देश की अखंडता और संप्रभुता के साथ समझौता भी नहीं करते. जब भी समय आया है हमने देश की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है - अपनी क्षमताओं को साबित किया है.'

देश के मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग में भी प्रधानमंत्री मोदी ने किसी मुल्क का नाम नहीं लिया था, 'किसी को भी भ्रम नहीं होना चाहिए. भारत शांति चाहता है लेकिन भारत उकसाने पर हर हाल में यथोचित जवाब देने में सक्षम है - देश को इस बात का गर्व होगा कि वे मारते-मारते मरे हैं.'

अभी तो इतना ही काफी है. संतोष करने के लिए. राहत महसूस करने के लिए. बाद में भले ही सेना की तरफ से कोई और आगे आकर बता देगा कि करारा जवाब कैसे दिया गया. मसलन, जैसे उड़ी अटैक के बदले में सर्जिकल स्ट्राइक हुआ या फिर वैसे जैसे पुलवामा अटैक को लेकर बालाकोट एयर स्ट्राइक किया गया. वैसे फर्क क्या पड़ता है. अब तो अरविंद केजरीवाल भी सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत नहीं मांगने वाले हैं क्योंकि फिलहाल तो अमित शाह उन्हें हाथ पकड़ कर कोरोना पर काबू पाने के नुस्खे सिखा रहे हैं. एक राहुल गांधी जरूर हैं, लेकिन अब तो अमित शाह ने उनको भी कह दिया है कि इधर-उधर की छोड़िये सीधे संसद में मिलते हैं.

अब राहुल गांधी से दो दो हाथ की तैयारी है

एक इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जब ये पूछा गया कि सरहद पर चीनी जवान सीमा में आये हैं या नहीं, तो वो ये कहते हुए टाल गये कि बातचीत का विषय दिल्ली में कोरोना वायरस है इसलिए वो मुद्दे पर ही बोलेंगे. फिर कोरोना के बहाने ही अमित शाह ने राहुल गांधी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश भी की - और यहां तक चैलेंज कर डाला कि संसद में आयें और फिर इत्मीनान से दो-दो हाथ करते हैं.

अमित शाह ने बिहार रैली में विरोधियों के लिए एक खास शब्द का इस्तेमाल किया था - वक्रदृष्टा. जिनकी नजर ही टेढ़ी हो. जो किसी भी चीज को सीधे सीधे देख ही नहीं सकते. तब अमित शाह ने ये शब्द लालू परिवार के लोगों के लिए किया था. दरअसल, अमित शाह की रैली के वक्त तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी ने पूरे परिवार और आरजेडी नेताओं के साथ मिल कर थाली बजाते हुए अमित शाह की रैली का विरोध किया था. ठीक वैसे ही अमित शाह अब राहुल गांधी को भी वक्रदृष्टा बता रहे हैं.

अमित शाह कहते हैं, 'मैं राहुल गांधी को सलाह नहीं दे सकता - कुछ वक्रदृष्टा लोग होते हैं जिन्हें सीधी बात भी वक्र दिखती है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमने अच्छे से कोरोना से लड़ाई लड़ी है. मैंने आज तक ऐसा नहीं देखा जब एक व्यक्ति की आवाज पर लोग एकजुट दिखें... लोग लॉकडाउन में गये - और फ्रंट पर खड़े लोगों के लिए ताली-थाली बजाई.'

अमित शाह ने राहुल गांधी पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया है. अमित शाह बोले, 'हम भारत विरोधी प्रोपेगैंडा से निपटने में सक्षम हैं, लेकिन जब एक बड़ी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष इस संकट में ओछी राजनीति करते हैं तो यह उनके लिए और उनकी पार्टी के लिए आत्मचिंतन का विषय है कि उनके हैशटैग को पाकिस्तान और चीन द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है.'

राहुल गांधी हाल ही में ट्विटर पर 'सरेंडर मोदी' हैशटैग का इस्तेमाल किया था और अमित शाह उसी की बात कर रहे थे. हालांकि, स्पेलिंग गलत होने के कारण राहुल गांधी के हैशटैग का अलग से भी सोशल मीडिया पर मजाक उड़ाया गया था.

राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार हमलावर रुख पर रिएक्ट करते हुए अमित शाह ने कहा, 'पार्लियामेंट होनी है... चर्चा करनी है तो आइये चर्चा करेंगे. 62 से लेकर आज तक दो-दो हाथ हो जाये. कोई नहीं डरता चर्चा से... मगर, जब देश के जवान संघर्ष कर रहे हैं. सरकार एक स्टैंड लेकर ठोस कदम उठा रही है, उस वक्त पाकिस्तान और चीन को खुशी हो, इस प्रकार के स्टेटमेंट किसी को नहीं देने चाहिये.'

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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