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Updated: 04 जुलाई, 2021 11:34 AM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (Communist Party of China) की स्थापना के सौ साल पूरे होने पर तियानमेन स्क्वॉयर पर एक भव्य समारोह आयोजित किया गया था. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सर्वोच्च नेता और चीन (China) के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने इस मौके पर चीन के लोगों द्वारा बनाई गई 'नई दुनिया' की सराहना की. शी जिनपिंग समारोह में चीन के पहले ​कम्युनिस्ट राष्ट्रपति माओ त्से तुंग की तरह कपड़े पहनकर आए थे. चीन को लेकर ढेर सारी अच्छी बातों के बीच शी जिनपिंग के भाषण में एक अलग ही आक्रामकता नजर आई. उन्होंने दुनिया को खुलेआम धमकी देते हुए कहा कि चीन को आंख दिखाने वालों का सिर कुचल दिया जाएगा और खून बहा दिया जाएगा. शी जिनपिंग अपनी पार्टी के सौ साल पूरा होने के मौके पर भाषण दे रहे थे, तो उनके ये हिंसक बोल काफी चौंकाने वाले थे. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि चीन के राष्ट्रपति क्यों कह रहे हैं कि वो 'खूनखराबे' से भी नही चूकेंगे?

कोरोना वायरस पर चौतरफा घिरा चीन

चीन के शहर वुहान (Wuhan) से दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी (Covid-19) को लेकर शी जिनपिंग की चौतरफा आलोचना हो रही है. कोरोना वायरस (Corona Virus) की उत्पत्ति को लेकर अभी तक वैज्ञानिक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं. माना जा रहा है कि वुहान में स्थित एक लैब से ही कोरोना वायरस लीक हुआ और दुनियाभर में फैल गया. चीन ने करीब एक साल से ज्यादा समय के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों को वुहान आकर जांच करने की इजाजत दी. वैज्ञानिकों का तर्क है कि किसी भी वायरस के फैलने के निशान का पता लगाने के लिए तुरंत जांच करनी होती है. लेकिन, चीन ने जांच करने की अनुमति नहीं दी, जिसकी वजह से ये साबित नहीं किया जा सका कि चीन की लैब से ही वायरस फैला था. वहीं, बीते डेढ़ सालों में तमाम शोध और खुफिया रिपोर्ट में चीन द्वारा कोरोना को एक जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की जानकारी भी सामने आई है. शक गहराने की एक वजह ये भी है कि दुनियाभर में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस पर चीन ने आश्चर्यजनक तरीके से काबू पा लिया.

शी जिनपिॆंग ने ताइवान, हांगकांग व मकाऊ को चीन में मिलाने को सत्ताधारी पार्टी का ऐतिहासिक लक्ष्य बताया.शी जिनपिॆंग ने ताइवान, हांगकांग व मकाऊ को चीन में मिलाने को सत्ताधारी पार्टी का ऐतिहासिक लक्ष्य बताया.

विस्तारवादी नीति पर बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हस्तक्षेप

शी जिनपिॆंग ने ताइवान, हांगकांग व मकाऊ को चीन में मिलाने को सत्ताधारी पार्टी का ऐतिहासिक लक्ष्य बताया. दरअसल, चीन की विस्तारवादी नीति पर अमेरिका, भारत समेत कई देशों की ओर से लगातार बयान दिए जाते रहे हैं. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी चीन के खिलाफ सख्त नीति अपनाई हुई है. जो बाइडेन चीन की आर्थिक नीतियों, मानवाधिकार उल्लंघन और ताइवान को धमकाने के मुद्दों पर मुखर होकर शी जिनपिंग की आलोचना करते रहे हैं. दरअसल, ट्रंप के समय से ही ताइवान को अमेरिका का खुला समर्थन मिला हुआ है. ताइवान के सैन्य और राजनीतिक मामले पर अमेरिकी समर्थन से चीन बुरी तरह से तिलमिलाया हुआ है. उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर भी शी जिनपिंग सवालों के घेर में रहते हैं.

भारत से मिला मुंहतोड़ जवाब पचा नही पा रहा चीन

पहले डोकलाम और फिर गलवान घाटी में भारत ने कूटनीतिक रूप से चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया है. चीन की ओर से दी जा रही गीदड़भभकी को किनारे रखते हुए भारत के सैनिकों ने सीमा की सुरक्षा के लिए सीना तान दिया. गलवान घाटी में कई दशकों बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई. 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का नारा लगाकर भारत की जमीन कब्जाने वाले चीन को विश्वास नहीं था कि भारतीय जवान इस कदर उसके सैनिकों पर टूट पड़ेंगे. गलवान घाटी में मुंह की खाने के बाद चीन को अपने सैनिकों की मौत स्वीकार करने में करीब एक साल का समय लग गया. वहीं, इस घटना में मारे गए सैनिकों की संख्या पर चीन में ही लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे. जिसके बाद चीन की सरकारी मीडिया ने सरकार के दबाव में केवल पांच सैनिकों की मौत ही कबूली. गलवान घाटी में हुई घटना के बाद दुनियाभर के देश भारत के समर्थन में खड़े दिखाई दिए. अमेरिका ने चीन पर दबाव बनाए रखने के लिए क्वाड देशों का समूह बनाया. जिसमें भारत को अहम स्थान दिया गया है.

अमेरिका को पछाड़ सुपर पावर बनने की चाहत

दुनिया के इकलौते सुपर पावर देश अमेरिका से चीन उसका ये तमगा छीनना चाहता है. यही वजह है कि चीन खुद को लगातार मजबूत कर रहा है. चीन अपनी सेना के साथ ही हथियारों की तादात भी बढ़ा रहा है. आर्थिक और कूटनीतिक विस्तार के लिए चीन विकासशील और कमजोर देशों को लोन के सहारे अपने जाल में फंसा रहा है. वहीं, अमेरिका हर हाल में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने की कोशिश करता रहता है. यही वजह है कि अमेरिका ने चीन के खिलाफ जी-7 देश के नेताओं को एकजुट होकर मुकाबला करने के लिए तैयार किया है. चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) को काउंटर करने के लिए अमेरिका ने जी-7 देशों के साथ मिलकर बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) की घोषणा की है. जी-7 देशों की बैठक से बौखलाए चीन ने कहा था कि वो दिन लद गए हैं, जब मुट्ठीभर देश दुनिया की किस्मत का फैसला करते थे. दरअसल, बीथ्रीडब्ल्यू प्रोजेक्ट से जी-7 देश विकासशील देशों को विकास और बुनियादी ढांचा खड़ा करने में मदद करेंगे और चीन का सुपर पावर बनने का सपना धराशाई हो जाएगा.

कहना गलत नहीं होगा कि चीन की विस्तारवादी नीति पर हस्तक्षेप और कोरोना वायरस की उत्पत्ति की निष्पक्षता से जांच पर शी जिनपिंग बुरी तरह से तिलमिलाए हुए हैं. शी जिनपिंग का खूनखराबे वाला हालिया बयान गीदड़भभकी है. 23 देशों की जमीन और समुद्री सीमाओं पर दावा करने वाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब ये कहते हैं कि हमने न किसी को दबाया है, न आंख दिखाई है और न ही किसी अन्य देश को अपने अधीन करने की कोशिश की है. हम आगे भी ऐसा नहीं करेंगे. तो, यह हास्यास्पद लगता है. एक दिलचस्प तथ्य ये भी है कि मौजूदा चीन का 43 फीसदी हिस्सा दूसरे देशों की जमीन का कब्जाया हुआ है. वहीं, चीन की सुपर पावर बनने की राह में भारत सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़ा हो गया.

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लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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