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Updated: 02 फरवरी, 2022 04:44 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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दुनिया में चीन और पाकिस्तान दो ऐसे देश हैं, जो भारत के मामले में स्तरहीनता पर उतरने की रेस में हमेशा एकदूसरे को पीछे छोड़ने की कोशिश में लगे रहते हैं. हाल ही में चीन ने एक बार फिर से भारत को भड़काने के लिए एक घटिया प्रयास किया है. दरअसल, चीन ने गलवान संघर्ष के दौरान घायल हुए एक सैन्य अधिकारी को बीजिंग में आयोजित होने वाले विंटर ओलंपिक 2022 के लिए निकाली जा रही 'टॉर्च रिले' का हिस्सा बनाया है. चीन की सरकारी मीडिया ने पीएलए के रेजिमेंट कमांडर की फबाओ को टॉर्च बियरर बनाए जाने को एक बड़े फैसले के तौर पर पेश किया है. लिखी सी बात है कि चीन का यह कदम भी उसके प्रोपेगेंडा का ही हिस्सा है. जो वह लंबे समय से भारत के खिलाफ चला रहा है. लेकिन, चीन ने इस बार अपने प्रोपेगेंडा के लिए ओलंपिक खेलों की अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा को जरिया बनाया है. अगर ओलिंपिक खेल चीन का आंतरिक खेल होता, तो समझा भी जा सकता है कि शी जिनपिंग अपने देश के नागरिकों में सेना के प्रति आदर का भाव जगाना चाहते हैं. लेकिन, ओलंपिक खेलों की मेजबानी में ऐसा करना घटिया और कुटिल राजनीति है. 

कोई भी देश अपनी सेना के सैनिकों को सम्मान देने के लिए स्वतंत्र है. भारत ने भी गलवान संघर्ष में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की वीरता और त्याग के लिए उन्हें सम्मान दिया. लेकिन, इसके लिए भारत ने किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा या अंतरराष्ट्रीय मंच का इस्तेमाल कर प्रोपेगेंडा फैलाते हुए चीन को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं की. लेकिन, इस तरह की घटिया और कुटिल राजनीति की अपेक्षा चीन से की जा सकती है. क्योंकि, चीन पहले भी भारत की सीमा पर ऐसे कुत्सित प्रयास करता रहा है. दरअसल, 5 मई, 2020 को गलवान संघर्ष के दौरान भारतीय सेना ने चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब देते हुए एक ऐसा जख्म दिया था, जिसकी टीस आज भी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग महसूस कर रहे हैं. लंबे समय तक गलवान संघर्ष में मारे गए चीनी सैनिकों के नाम न जारी करने की बात हो या फिर नए साल पर प्रोपेगेंडा वीडियो के जरिये गलवान वैली पर अपना कब्जा दिखाने की कोशिश हो. चीन हरसंभव तरीके से भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करता रहता है. लेकिन, भारतीय सेना और भारत सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के आगे चीन को मजबूरी में घुटने टेकने पड़ ही जाते हैं. 

अपने ही जाल में फंसता जा रहा है चीन

गलवान संघर्ष में घायल हुए चीनी सैनिक को विंटर ओलंपिक का टॉर्च बियरर बनाकर चीन केवल प्रोपेगेंडा को ही बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है. क्योंकि, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और कोसोवो ने उइगर मुसलमानों पर अत्याचार और चीन की टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई द्वारा एक पूर्व शीर्ष चीनी अधिकारी पर यौन शोषण के आरोपों के चलते बीजिंग में होने वाले विंटर ओलंपिक का बहिष्कार किया है. यहां जानना जरूरी है कि भारत की ओर से इस विंटर ओलंपिक में केवल एक ही प्रतिभागी को शामिल होना है. तो, भारत के लिए विंटर ओलंपिक का विरोध करना बहुत बड़ी बात नही थी. लेकिन, इसके बावजूद भारत ने अमेरिका और चीन के बीच जारी शीत युद्ध को किनारे रखते हुए विंटर ओलंपिक का हिस्सा बनना मंजूर किया. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत की ओर से चीन के साथ रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने के लिए हरसंभव कोशिश की जाती है. लेकिन, चीन अपनी विस्तारवादी नीति में इस कदर उलझ चुका है कि वह हर जगह प्रोपेगेंडा फैलाकर बढ़त हासिल करने की कोशिश में ही लगा रहता है.

भारत से मिल रहा मुंहतोड़ जवाब

वैसे, चीन का गलवान घाटी की घटना पर इतना जोर देना आसानी से समझा जा सकता है. दरअसल, पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच डेढ़ साल से जारी गतिरोध का हल निकलता नजर नहीं आ रहा है. बीते महीने भारतीय सेना और चीनी सेना के अधिकारियों के बीच हुई 14वे दौर की सैन्य वार्ता भी बेनतीजा रही थी. क्योंकि, भारत की ओर से दो टूक शब्दों में गतिरोध वाले इलाके हॉट स्प्रिंग से चीनी सैनिकों हटाने पर बल दिया जा रहा है. जबकि, चीन को भारत की ओर से ऐसे सख्त व्यवहार की उम्मीद कतई नही थी. भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख से लगी चीन की सीमा पर लगातार चौकसी बरत रही है. और, इसके साथ ही देपसांग, डेमचोक जैसे अवैध कब्जे वाले विवादित इलाकों को चीनी सेना से खाली कराने पर भी जोर डाल रही है. हाल ही में चीन ने अपने नए सीमा कानून के जरिये अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों के नाम बदलने की कोशिश की थी. जिसके जवाब में भारत सरकार ने चीन से कहा था कि उसके बनाए गए नए सीमा कानून से ये तथ्य नही बदल जाएगा कि सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा.

चीन पर सख्त तेवर अपनाए है भारत सरकार

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 पेश करते समय चीन की सीमा से लगते गांवों में बुनियादी ढांचा मजबूत करने की योजना का ऐलान भी किया था. वाइब्रेट गांव कार्यक्रम के तहत ऐसे गांवों को कवर करने की इस योजना को भारत सरकार की ओर से चीन को उसके ही अंदाज में जवाब देने की एक पहल है. भारत सरकार ने बीते कुछ सालों में अभूतपूर्व तरीके से सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्टर प्रोजेक्ट्स को तेज गति से पूरा किया है. और, इस नई वाइब्रेंट योजना को चीन के वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी के करीबी इलाकों में गांवों के निर्माण की मनमानियों पर एक मुंहतोड़ जवाब के तौर पर देखा जा सकता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत से हर मोर्चे पर मिलते करारे जवाबों ने चीन को अब पाकिस्तान की तरह ही स्तरहीनता पर उतरने को मजबूर कर दिया है. जिसके चलते ओलंपिक जैसी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा को भी चीन अपनी घटिया और कुटिल राजनीति का हिस्सा बनाने से नहीं चूक रहा है.

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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