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Updated: 25 दिसम्बर, 2019 10:52 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस पहुंची अरुंधती रॉय ने कहा है कि देश में डिटेंशन सेंटर के मुद्दे पर सरकार झूठ बोल रही है. साथ ही NPR पर भी उन्होंने बेतुका बयान देकर एक अलग तरह का प्रोपोगेंडा स्थापित करने की कोशिश की. अरुंधती ने कहा कि 'एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है. एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं आपका नाम, फ़ोन नंबर, आधार और ड्राइविंग लाइसेंस मांगें तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला-कुंगफू कुत्ता बताइए. अपने घर का पता देने के बजाए प्रधानमंत्री के घर का पता लिखवाइए.' अरुंधति अपने इस बयान से कहना क्‍या चाहती थीं. वे मोदी सरकार का विरोध करते-करते एक सरकारी प्रक्रिया के खिलाफ देश की जनता को क्‍यों भड़काना चाहती हैं? खासतौर पर जनगणना विभाग की एक ऐसी कवायद के खिलाफ जिसको आधार बनाकर देश की योजनाएं-परियोजनाएं बनाई जाती हैं.

NRC और CAA को लेकर पहले ही देश जल रहा है. जगह जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं अब NPR पर सरकार के तर्कों ने उन ज़ुबानों को आवाज दे दी है जो मौका कोई भी हो सरकार की आलोचना का मौका अपने हाथ से जाने नहीं देते. बात अगर सरकार के आलोचकों की हो तो प्रख्यात लेखिका अरुंधती रॉय (Arundhati Roy) की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. मगर, उनके बयान से तो गफलत की स्थिति और बढ़ेगी ही. जिससे निश्चित तौर पर टकराव उग्र रूप धारण कर सकता है और फिर स्थिति संभालना चुनौतियों से भरा होगा.

अरुंधती रॉय, नागरिकता संशोधन कानून, मोदी सरकार, झूठ, Arundhati Roy पीएम मोदी और भाजपा के विरोध में अरुंधती ने हदें पार कर दी हैं

CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस पहुंची अरुंधती रॉय ने कहा है कि देश में डिटेंशन सेंटर के मुद्दे पर सरकार झूठ बोल रही है. साथ ही NPR पर भी उन्होंने बेतुका बयान देकर एक अलग तरह का प्रोपोगेंडा स्थापित करने की कोशिश की. अरुंधती ने कहा कि 'एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है. एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं आपका नाम, फ़ोन नंबर, आधार और ड्राइविंग लाइसेंस मांगें तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला-कुंगफू कुत्ता बताइए. अपने घर का पता देने के बजाए प्रधानमंत्री के घर का पता लिखवाइए.'

अरुंधती ने कहा कि एनपीआर एनआरसी का डेटाबेस बनेगा. हमें इसके खिलाफ योजनाबद्ध तरीके से लड़ना होगा. हमें दबाने के लिए बहुत सारी ताकत लगेगी. हम लोग लाठी और गोली खाने के लिए पैदा नहीं हुए हैं. सरकार की तीखी आलोचना करते हुए रॉय ने ये भी कहा कि 'नॉर्थ ईस्ट में जब बाढ़ आती है तो मां अपने बच्चों को बचाने से पहले अपने नागरिकता के साथ दस्तावेजों को बचाती है. क्योंकि उसे मालूम है कि अगर कागज बाढ़ में बह गए तो फिर उसका भी यहां रहना मुश्किल हो जाएगा.'

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि जो संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं उन्हें विभिन्न राज्यों से बाकायदा आश्वासन लेना चाहिए कि वे इस प्रावधान को लागू नहीं करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि देश में सीएए और एनआरसी का व्यापक स्तर पर विरोध होने के बाद सरकार इसके प्रावधानों को एनपीआर के जरिए लागू करवाना चाहती है.

डीयू पहुंची अरुंधती की बातों का अगर अवलोकन किया जाए तो मिलता है की उन्होंने भ्रामक प्रचार किया है. बात सीधी और साफ़ है. पूरा देश इस बात से वाकिफ है कि अरुंधती सरकार की नीतियों की प्रबल आलोचक हैं. लेकिन आलोचना का मतलब ये नहीं है कि एक ऐसे प्रोपोगेंडा का सहारा लिया जाए जो देश की उस जनता को प्रभावित करे जिसकी एक बड़ी आबादी आज भी शिक्षा के आभाव में जीवन जीने को मजबूर है. खुद कल्पना करिए यदि इन लोगों ने अरुंधती द्वारा कही इन बातों का आत्मसात कर लिया तो फिर स्थिति क्या होगी? यकीनन इस देश में दंगों की नौबत आ जाएगी. 

हमें ध्यान रखना होगा कि अराजकता से कहीं ज्यादा खतरनाक अफवाहें होती हैं. 'मोदी विरोध' के नाम पर जो अरुंधती ने किया है साफ़ हो जाता है कि अपने एजेंडे और खोखले दंभ को पूरा करने के लिए वो उन बातों को दोहरा रही हैं जिनका कोई आधार ही नहीं है. भाजपा के विरोध में झूठ फैलाने वाली अरुंधती को इस बात को समझना होगा कि NPR एक सरकारी प्रक्रिया है जिसका सम्मान सभी देशवासियों को करना चाहिए.

बहरहाल जब अरुंधती ने इतना बड़ा बयान दे ही दिया है तो इसपर प्रतिक्रियाओं का आना स्वाभाविक था. देश की सक्रिय राजनीति से गायब भाजपा नेता उमा भारती भी अरुंधती रॉय के विरोध में खुलकर सामने आ गई हैं और उन्होंने अपनी ट्विटर प्रोफाइल से अरुंधती पर तीखा हमला बोला है.

ऊमा भारती ने लिखा है कि, मैं शर्मिंदा हूं कि मुझे इस महिला के नाम का ज़िक्र करना पड़ रहा है, जिसके दिमाग़ में रंगा-बिल्ला जैसे लोग भी आदर्श हो सकते हैं. यह विचार महिला विरोधी, मानवता विरोधी एवं बेहद घृणित एवं विकृत मानसिकता की पहचान है.

ऊमा भारती इस मुद्दे पर लगातार लिख रही हैं. उन्होंने ये भी लिखा है कि, अरुंधती रॉय जैसे पढ़े लिखे वर्ग की महिला के दिमाग़ में सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद एवं अशफ़ाक़ुल्लाह खां का नाम नहीं आया, रंगा-बिल्ला का नाम आया. रंगा-बिल्ला वो धृणित अपराधी थे जिन्होंने स्कूल की छात्रा के साथ दुराचरण कर के उसकी हत्या की तथा उसको बचाने की कोशिश में लगे उसके भाई की भी हत्या कर दी. देशवासियों को याद आ जाएगा कि वह कितना धृणित एवं जघन्यतम कृत्य था.

इसी तरह भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने भी अरुंधती के इस बयान की निंदा करते हुए इसे देशद्रोह करार दिया है. अपने ट्विटर पर स्वामी ने अरुंधती को समाज के लिए खतरा बताया है.

मामला प्रकाश में आने के बाद तमाम लोग ऐसे हैं जिन्होंने मांग की है कि इस झूठ के लिए अरुंधती को सख्त से सख्त सजा मिले ताकि उन जुबानों को लगाम लगे जो अपने एजेंडे के लिए झूठ का सहारा ले रहे हैं.

उमा भारती और स्वामी के अलावा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अरुंधती रॉय के विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं. शिवराज ने लिखा है कि, अगर यही हमारे देश के बुद्धिजीवी है तो पहले हमें ऐसे ‘बुद्धिजीवियों’ का रजिस्टर बनाना चाहिए. शिवराज सिंह ने ये भी कहा है की  अरुंधती जी को शर्म आनी चाहिए! ऐसे बयान देश के साथ विश्वासघात नहीं है तो क्या है?

इन मामले पर सरकार क्या फैसला लेती है ? प्रोपोगेंडा फैलाने के लिए अरुंधती पर कोई मुकदमा होगा या नहीं होगा? सारे सवालों के जवाब वक़्त देगा. मगर जो कृत्य अरुंधती ने मोदी और भाजपा के विरोध में किया है उसकी निंदा इसलिए भी होनी चाहिए क्योंकि फेक न्यूज़ के इस दौर में झूठ की कमर तोड़ना बहुत जरूरी है. यदि आज अरुंधती जैसे लोगों को ढील दे दी गई तो फिर निकट भविष्य में स्थिति संभालने में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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