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Updated: 01 जनवरी, 2022 02:27 PM
देवेश त्रिपाठी
देवेश त्रिपाठी
  @devesh.r.tripathi
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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपशब्द कहने के मामले में फरार चल रहे संत कालीचरण महाराज को गिरफ्तार कर लिया गया है. कालीचरण महाराज ने इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद एक वीडियो जारी कर कहा था कि 'मैं डरने वाला नही हूं. फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा, तो भी मैं अपनी बात पर कायम रहूंगा. मैं गांधी से नफरत करता हूं.' खजुराहो से गिरफ्तार किए गए कालीचरण महाराज पर देशद्रोह समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. इस गिरफ्तारी के बाद से ही सियासी भूचाल आ गया है. क्योंकि, रायपुर में आयोजित जिस धर्म संसद में कालीचरण ने महात्मा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही थीं, उसकी आयोजन समिति कई कांग्रेस नेता भी शामिल थे. और, जिस समय महात्मा गांधी के बारे में अपशब्द कहे जा रहे थे, वहां कई कांग्रेस नेता मौजूद भी थे. खैर, इस विवाद ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि क्या गांधी सचमुच में महात्मा थे? आइए जानते हैं बीआर आंबेडकर से लेकर वामन मेश्राम तक के बारे में जिन्होंने गांधी को महात्मा नहीं माना.

BR Ambedkar Mahatma Gandhiआंबेडकर ने गांधी को चालाक बताने में भी संकोच नहीं किया था.

गांधी के चरित्र में ईमानदारी से ज्यादा चालाकी- बीआर आंबेडकर

संविधान निर्माता बाबा साहेब भीराव आंबेडकर के महात्मा गांधी के बारे में विचार किसी से छिपे नही हैं. आंबेडकर ने अपने कई भाषणों में खुले तौर पर महात्मा गांधी की आलोचना की थी. उन्होंने महात्मा गांधी को महात्मा मानने से इनकार कर दिया था. यहां तक कि आंबेडकर ने गांधी को ईमानदार की तुलना में अधिक चालाक बता दिया था. ट्विटर पर आनंद रंगनाथन ने महात्मा गांधी को लेकर बीआर आंबेडकर द्वारा कही कुछ बातें शेयर कीं.

बीआर आंबेडकर ने कहा था कि भारत में किसी के लिए भी महात्मा बनना बहुत आसान है, इसके लिए केवल उसे अपने कपड़े बदलने होते हैं. अगर आप एक साधारण पोशाक पहन रहे हैं और एक सामान्य जीवन जी रहे हैं, तो भले ही आप असाधारण नेक काम कर रहे हों, कोई भी आप पर ध्यान नहीं देता है. लेकिन, जो व्यक्ति सामान्य तरीके से व्यवहार नहीं करता है और अपने चरित्र में कुछ अजीबोगरीब प्रवृत्ति और असामान्यता दिखाता है, वह संत या महात्मा बन जाता है. इन परिस्थितियों में अगर गांधी भारत में महात्मा बन जाते हैं तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है. अगर किसी अन्य सभ्य देश में इन बातों का अभ्यास किया जाता, तो लोग उस पर हंसते. 

बीआर आंबेडकर ने गांधी और गांधिवादियों पर भी सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि क्या यह सच नहीं है कि हजारों साल पहले भगवान बुद्ध ने दुनिया को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया था? इस मामले में मौलिकता के लिए एक अज्ञानी मूर्ख या जन्मजात मूर्ख के अलावा कोई भी गांधी को श्रेय नहीं देगा. आंबेडकर ने गांधी को चालाक बताने में भी संकोच नहीं किया था. उन्होंने का था कि जब मैं गांधी के चरित्र का गंभीरता से अध्ययन करता हूं, तो मुझे विश्वास हो जाता है कि उनके चरित्र में गंभीरता या ईमानदारी की तुलना में चालाकी अधिक स्पष्ट है. बीआर आंबेडकर ने गांधी के लिए ये भी कहा था कि छल और कपट दुर्बलों के हथियार हैं. और, गांधी ने हमेशा इन .हथियारों का इस्तेमाल किया है

आंबेडकर ने 'मुंह में राम, बगल में छुरी' वाली कहावत का उदाहरण देते हुए कहा था कि अगर ऐसे व्यक्ति को महात्मा कहा जा सकता है, तो गांधी को भी महात्मा कहा जाए. मेरे हिसाब से वह एक साधारण मोहनदास करमचंद गांधी से ज्यादा कुछ नहीं हैं. उन्होंने महात्मा गांधी की राजनीति को बेईमान राजनीति की संज्ञा दी थी. आंबेडकर ने कहा था कि गांधी राजनीति से नैतिकता को खत्म करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति थे. और, उन्होंने भारतीय राजनीति में व्यावसायिकता की शुरुआत की. बीआर आंबेडकर के अनुसार, समाज के कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों ने जानबूझकर जनता को अज्ञानी और अनपढ़ रखा. वस्तुत:, तर्क और तर्कवाद के बल पर महात्मा के विरुद्ध लड़ना असंभव है. यह चमत्कारों और मूर्खताओं के खिलाफ बौद्धिकता की लड़ाई है. केवल तर्क ही महात्मिक चमत्कारों के सम्मोहक प्रभाव को मिटा नहीं सकता.

बीआर आंबेडकर ने कहा था कि इन परिस्थितियों में मैं कुछ सुझाव देना चाहूंगा. महात्माओं की गतिविधियों को समाप्त करने के लिए अन्य महात्माओं को सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भाग लेने के लिए आगे आना चाहिए और अपनी खुद की एक राजनीतिक शाखा स्थापित करनी चाहिए. भारत में महात्माओं की कोई कमी नहीं है.

गांधी जी के बारे में अंबेडकर के खुले विचारों को यहां सुनिए...

गांधी को महात्मा नहीं बदमाश मानता हूं- वामन मेश्राम

बहुजन क्रांति मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक और दलित विचारक वामन मेश्राम भी कई मंचों से महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक भाषा और अपशब्दों का इस्तेमाल करते नजर आए हैं. ललित नारायण झा नाम के एक यूजर ने वामन मेश्राम का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि वामन मेश्राम का बोल तो सुन लीजिए भूपेश बघेल साहब. बस इतना पूछना चाहते हैं गांधीवादी और अम्बेडकरवादियों से कि आप इसको कितना उचित मानते हैं? दरअसल, वीडियो में वामन मेश्राम कहते नजर आ रहे हैं कि गांधी ने हमारा (दलित) साथ लेकर अपने लोगों को आजाद कराया. आज दो अक्टूबर के दिन ही ये शैतान पैदा हुआ. मैंने कांग्रेस के नेताओं से कहा कि मैं गांधी को शैतान मानता हूं, तो मुझे गलत साबित करो. लेकिन, कांग्रेस नेताओं ने कहा कि नेताओं से गलतियां हो जाती हैं. लेकिन, आप बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं.

 

लेखक

देवेश त्रिपाठी देवेश त्रिपाठी @devesh.r.tripathi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं. राजनीतिक और समसामयिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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