New

होम -> सियासत

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 13 अक्टूबर, 2018 04:04 PM
प्रवीण शेखर
प्रवीण शेखर
  @praveen.shekhar.37
  • Total Shares

3 अक्टूबर को मायावती ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मध्य प्रदेश और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ नहीं लड़ेगी. मायावती के इस ऐलान से संभावित परिणाम क्या होगा? इसके विश्लेषण से ये परिणाम नज़र आते हैं कि मायावती के इस निर्णय से कांग्रेस पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचेगा और मध्य प्रदेश और राजस्थान में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को फायदा होगा. यहां तक कि छत्तीसगढ़ में भी जहां मायावती ने कांग्रेस विद्रोही अजीत जोगी से हाथ मिला लिया है. इन तीनों राज्यों में साल के अंत तक चुनाव होना है.

विधानसभा चुनाव, भाजपा, मायावती, कांग्रेसमायावती का कांग्रेस से हाथ न मिलाना दोनों को नुकसान पहुंचाएगा.

बसपा की विभिन्न राजनीति

बहुजन समाज पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन में जाने पर कड़ा रुख अपनाना थोड़ा असामान्य प्रतीत होता है. ज्ञात हो कि बसपा ने पिछले कुछ सालों में अपने चुनावी प्रदर्शन में काफी कमी देखी है. 2014 चुनाव में एक भी लोकसभा सीट जीतने में यह विफल रही है, और 2017 विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बसपा ने 5% से भी कम सीटें जीतीं. राजस्थान विधानसभा में पार्टी के पास 3 सीटें और मध्य प्रदेश में 4 सीटें हैं. फिर भी मायावती को अपने आप पर आत्मविश्वास और पार्टी पर विश्वास रहा है.

बहुजन समाज पार्टी अपने मूल मतदाताओं पर मजबूत नियंत्रण रखती है और वे अपने मतदान मायावती के इशारे पर करती है. यह हमें देखने को तब मिला जब उत्तर प्रदेश में फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में बसपा ने सपा के साथ हाथ मिलकर भाजपा को पराजित किया. इसलिए, भाजपा के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस के लिए मायावती के साथ गठबंधन करना एक मूल्यवान हथियार साबित होगा.

मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश में, कांग्रेस और बसपा के गठबंधन से कितना लाभ होता, यह दोनों के संयुक्त वोट शेयरों से स्पष्ट नजर आता है. 2008 विधानसभा चुनाव और 2009 लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के संयुक्त वोट शेयर भाजपा के मुकाबले ज्यादा थे. 2003 और 2013 के राज्य चुनावों में दोनों पार्टियों के संयुक्त वोट शेयर बीजेपी के वोट शेयर के करीब था.

वोट शेयर (%) मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव

   2003 2008 2013
कांग्रेस + बसपा  39 41 43
भाजपा  42 38 45
कांग्रेस 32 32 36

हलांकि, 2014 लोकसभा चुनावों में 'मोदी लहर' के कारण कांग्रेस और बसपा के संयुक्त वोट शेयर की तुलना में बीजेपी का वोट शेयर बहुत ज्यादा था. देखना ये होगा कि 2019 लोकसभा चुनाव भी एक 'लहर चुनाव' होगा या नहीं. लेकिन नियमित राजनीति से यह स्पष्ट होता है कि बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस की मदद करता रहा है.

वोट शेयर (%) मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव

  2004 2009 2014 
कांग्रेस + बसपा 39 46 39 
भाजपा 48 43 54
कांग्रेस  34 40 35

राजस्थान

राजस्थान में बसपा के साथ गठबंधन करने का कांग्रेस को कितना लाभ होता, यह बहुत स्पष्ट नहीं है. लेकिन, यह देखते हुए कि भारतीय जनता पार्टी को राज्य में अलोकप्रिय पार्टी के रूप में माना जा रहा है, तो एक करीबी प्रतियोगिता में मायावती की पार्टी का वोट शेयर कांग्रेस को आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है.

वोट शेयर (%) राजस्थान विधानसभा चुनाव

  2003 2008 2013
कांग्रेस + बसपा 40  44 36
भाजपा 39 34 45
कांग्रेस 36 37 33

वोट शेयर (%) राजस्थान लोकसभा चुनाव

  2004   2009 2014
कांग्रेस + बसपा  45 51  33
भाजपा    49 37  55
कांग्रेस 41 47 30

छत्तीसगढ़

सितंबर में ही मायावती ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. छत्तीसगढ़ में बसपा की ताकत को मद्देनज़र रखते हुए मायावती के इस फैसले से कांग्रेस पार्टी को बहुत नुकसान पहुंच सकता है.

पिछले तीन विधानसभा चुनावों में से प्रत्येक में, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का संयुक्त वोट शेयर भाजपा के वोट शेयर से कहीं ज्यादा रहा है.

वोट शेयर (%) छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव

  2003 2008 2013
कांग्रेस + बसपा 41 45 45 
भाजपा 39 40 41
कांग्रेस  37 39 40

जाहिर है, बसपा का सहयोग नहीं मिलना कांग्रेस के लिए अभिशाप साबित हो सकता है, क्योंकि इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की लड़ाई सीधे बीजेपी से है. यदि कांग्रेस का रवैया अपने संभावित सहयोगियों को समायोजित करने में यही रहा तो पार्टी की आगामी 2019 लोकसभा चुनावों में बहुत बुरी तरह पराजय होगी. विशेष रूप से यह देखते हुए कि बीजेपी को अकेले हराने में कांग्रेस का हाल का राजनितिक इतिहास इसके पक्ष में नहीं रहा है.

ये भी पढ़ें-

जम्मू-कश्मीर में रिलायंस इंश्‍योरेंस में भी राहुल को 'राफेल' म‍िला, लेकिन हकीकत...

क्या चुनाव आयोग ने मोदी की अजमेर रैली के लिए प्रेस कांफ्रेंस का वक्त बदला?

राहुल गांधी जब तक खानदानी राजनीति से आगे नहीं बढ़ेंगे - अच्छे दिन नहीं आने वाले

#विधानसभा चुनाव, #भाजपा, #मायावती, Bjp In Assembly Elections, Mayawati And Congress, Alliance Between Mayawati And Rahul Gandhi

लेखक

प्रवीण शेखर प्रवीण शेखर @praveen.shekhar.37

लेखक इंडिया ग्रुप में सीनियर प्रोड्यूसर हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय