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Updated: 10 सितम्बर, 2018 04:46 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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कांग्रेस ने आज भारत बंद का आह्वान किया था, जिसमें अधिकतर विपक्षी पार्टियां उनके साथ भी दिखाई दीं. हालांकि, रामलीला मैदान में आयोजित कार्यक्रम में मंच पर बसपा, सपा और आप का ना होना विपक्षी एकता पर सवालिया निशान भी लगा रहा है. कांग्रेस ने भारत बंद का आह्वान डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए किया था, ताकि कीमतें कम करने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा सके. हालांकि, इन सबके बावजूद सोमवार को भी दामों में बढ़ोत्तरी हुई, जिसके बाद दिल्ली में डीजल 72.51 रुपए और पेट्रोल 80.38 रुपए प्रति लीटर हो गया. यूं तो ये बंद पूरी तरह से अंहिसात्मक होना था, लेकिन इस बंद ने कई जगह हिंसा का रूप ले लिया, जिसके शिकार बच्चे तक हुए हैं. चलिए जानते हैं कांग्रेस के भारत बंद से जनता को क्या मिला और उन्होंने क्या कुछ खो दिया?

भारत बंद, डीजल, पेट्रोल, कांग्रेस, भाजपा, राजनीतियूं तो ये बंद पूरी तरह से अंहिसात्मक होना था, लेकिन इस बंद ने कई जगह हिंसा का रूप ले लिया.

एक पिता ने अपनी बेटी खो दी

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट करते हुए कहा है कि बिहार में एंबुलेंस समय रहते अस्पताल नहीं पहुंच पाने की वजह से 2 साल की एक बच्ची की मौत हो गई है. राहुल गांधी जवाब दें कि इसका जिम्मेदार कौन है? ये घटना बिहार के जहाना बाद की है. भारत बंद की वजह से बच्ची के पिता को कोई वाहन नहीं मिला, जिसकी वजह से वह समय से अस्पताल नहीं पहुंच सकी. दो दिन से बच्ची की तबियत खराब थी. वहीं दूसरी ओर जहानाबाद के एसडीओ ने कहा है कि बच्ची की तबियत पहले से ही खराब थी और घरवालों ने उसे अस्पताल ले जाने में देरी की. एसडीओ ने परिजनों और भाजपा के उस आरोप को गलत बता दिया है कि जाम में फंसने की वजह से एंबुलेंस अस्पताल नहीं पहुंच सकी. उन्होंने कहा है कि इसका भारत बंद से कोई संबंध नहीं है. ये मामला भी देखकर साफ पता चल रहा है कि एक मासूम बच्ची की मौत अब सियासी हो चुकी है, जिस पर भाजपा-कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप लगाएंगे.

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव रामलीला मैदान में राहुल गांधी के साथ भले ही खड़े नहीं दिखे, लेकिन विपक्ष के बंद का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार को खुद पर इतना घमंड हो गया है कि आज विपक्ष के भारत बंद आह्वान के बावजूद उन्होंने तेल कीमतें बढ़ाई हैं. सरकार अभी भी कह सकती है कि महंगाई से विकास होता है.

मुंबई के बाद पटना देश का दूसरा ऐसा राज्य है, जहां पर डीजल-पेट्रोल की कीमतें सबसे अधिक हैं. यहां पेट्रोल की कीमत 86.69 रुपए और डीजल 78.24 रुपए प्रति लीटर हो गया है. मुंबई और पटना में ही सबसे अधिक विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिल रहा है और राजनीति भी खूब हो रही है.

भाजपा सांसद अनिल शिरोले ने पुणे में स्कूल बस पर हमला करने की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर ट्वीट की हैं. उन्होंने दावा किया है कि केलम स्कूल बस पर भारत बंद के तहत प्रदर्शन कर रहे लोगों ने हमला किया है और जब हमला किया गया, तब स्कूल बस में बच्चे भी मौजूद थे. हालांकि, जब इंडिया टुडे ने संस्कृत स्कूल के प्रिंसिपल प्रनीत मुंगली से बात की तो पता चला इस स्कूल बस को न तो भारत बंद के प्रदर्शन के दौरान तोड़ा गया है ना ही हमले के वक्त बस में कोई बच्चा या स्टाफ मौजूद था. दरअसल, इस बस को एक रात पहले तोड़ा गया है, जिस समय वह पार्किंग में खड़ी थी. भारत बंद को लेकर राजनीति कितनी गरम हो चुकी है, ये छोटी से घटना से भी उसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

भारत बंद एक राजनीतिक फैसला है तो इसमें राजनीति तो होनी ही थी. कपिल मिश्रा भी इस राजनीतिक बहस में कूद पड़े हैं. उन्होंने एक ट्वीट करते हुए राहुल गांधी और संजय सिंह पर हमला बोला है.

बिहार में जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं ने तो कई गाड़ियों को तोड़ डाला.

मध्य प्रदेश के उज्जैन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एक पेट्रोल पंप पर तोड़-फोड़ मचाई.

अभी तो रविशंकर प्रसाद की पार्टी सत्ता में है तो वह कह रहे हैं कि डीजल-पेट्रोल के दाम उनके हाथ में नहीं है. लेकिन जब भाजपा सत्ता से बाहर थी, तब वह खुद भी यह बात समझने को तैयार नहीं थे और कुछ और ही बात कहते थे. देखिए तब क्या-क्या कहा करते थे रविशंकर प्रसाद.

यूं तो मध्य प्रदेश के उज्जैन में पेट्रोल पंप पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तोड़-फोड़ की है, लेकिन कांग्रेस के अजय माकन का कहना है कि कांग्रेस ने हर पेट्रोल पंप पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया है. पेट्रोल पंप पर खड़ी बैलगाड़ी को ही अपना स्टेज बनाकर अजय माकन ने विरोध प्रदर्शन किया.

कुछ लोग कांग्रेस और भाजपा के कार्यकाल के दौरान डीजल-पेट्रोल की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी को लेकर भी ट्वीट कर रहे हैं.

जहां एक ओर कांग्रेस डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के लिए भारत बंद कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों को यह विरोध भी पसंद नहीं है. उनका कहना है कि भले ही पेट्रोल 200 रुपए हो जाए, लेकिन कांग्रेस नहीं चाहिए. पिछले सालों में सत्ता में रहने के दौरान कांग्रेस से कुछ लोग इतने परेशान हैं कि वह किसी भी हालत में दोबारा उन्हें मौका नहीं देना चाहते.

राहुल गांधी ने अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर भारत बंद का आह्वान तो किया, लेकिन शायद जैसा सोचा था, वैसा हुआ नहीं. विपक्षी एकता तक देखने को नहीं मिली. राहुल गांधी के साथ मंच पर बसपा, सपा, आप और टीएमटी दिखाई ही नहीं दी. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तो फिर भी अप्रत्यक्ष रूप से बंद का समर्थन कर दिया, लेकिन कोलकाता में तो टीएमसी का कोई कार्यकर्ता विरोध प्रदर्श के लिए सड़क पर ही नहीं उतरा. कांग्रेस के भारत बंद के आह्वान का सबसे अधिक असर मुंबई और बिहार में देखने को मिला, जहां डीजल-पेट्रोल के दाम सबसे अधिक हैं. विरोध प्रदर्शन उग्र भी हो गया, जिसके चलते हिंसा तक हो गई. मोदी सरकार भी भारत बंद से जरा सा भी नहीं डरी और भारत बंद के दिन भी डीजल-पेट्रोल की कीमतों में तगड़ा उछाल देखने को मिला. अब देखना ये होगा आगे भी सरकार दाम बढ़ाती ही रहती है या फिर भारत बंद का कोई असर देखने को मिलता है.

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