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Updated: 11 फरवरी, 2023 03:05 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने अपने मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट पेश कर दिया है. ये शायद पहला मौका रहा जब बजट भाषण के दौरान राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी. पहली बार करीब आधे घंटे के लिए - और फिर 15 मिनट के लिए.

विधानसभा जाने से पहले अशोक गहलोत बहुत खुश रहे होंगे. असल में वो कम से कम बजट (Rajasthan Budget 2023) पेश करने तक मुख्यमंत्री बने रहना चाहते थे. ये बात तब सामने आयी थी, जब अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की बात करीब करीब पक्की हो चुकी थी. तब अशोक गहलोत कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के लिए तैयार भी हो गये थे, लेकिन उसके साथ ही वो राजस्थान के मुख्यमंत्री भी बने रहना चाहते थे.

एक वक्त ये आया जब उनके करीबियों के हवाले से खबर आयी कि पूरे कार्यकाल तक नहीं तो, कम से कम राजस्थान का बजट किये जाने तक वो मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं. लेकिन तभी भारत जोड़ो यात्रा के संयोजक दिग्विजय सिंह ने 'एक व्यक्ति, एक पद' की बात याद दिला दी - और फिर राहुल गांधी ने भी मीडिया के सामने आकर साफ कर दिया कि उदयपुर चिंतन शिविर में जो कमिटमेंट कर चुके हैं, उस पर हर हाल में कायम रहेंगे.

और तभी अशोक गहलोत ने अपनी रणनीति तैयार कर ली. अपने लोगों को सक्रिय कर दिया. कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव न लड़ने का मन बना लिया, लेकिन लगे हाथ ये इंतजाम भी कर लिया कि कांग्रेस आलाकमान उनको हटा कर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री न बना पाये.

अशोक गहलोत की पुतली फिरी नहीं कि उनके समर्थक सारे विधायक चेतक बन गये और मजबूर होकर तब के कांग्रेस ऑब्जर्वर मल्लिकार्जुन खड़गे और राजस्थान प्रभारी रहे अजय माकन को बैरंग लौटना पड़ा. असल में विधायक दल की बुलायी गयी बैठक से पहले ही बागी बने विधायकों ने सामूहिक इस्तीफे की पेशकश कर दी.

आपको याद होगा विधायकों की बगावत के लिए भी अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से जाकर माफी मांग ली थी - और पुराना बजट भाषण पढ़ने के बाद भी वैसे ही माफी मांगनी पड़ी है. ये भी है कि विपक्ष ने हंगामा भी खूब किया है.

कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस गलती ने केंद्र में कांग्रेस के शासन में ही विदेश मंत्री रहे एसएम कृष्णा की याद दिला दी है. हालांकि, एसएम कृष्णा कांग्रेस छोड़ कर कर्नाटक बीजेपी में 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले ही शामिल हो चुके थे.

लेकिन विपक्ष ने राजस्थान के बजट को लेकर जो सवाल उठाया है, वो भी काफी गंभीर बात है. बीजेपी (BJP) और विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया का आरोप है कि बजट लीक हुआ है - और जिस दलील के साथ वो आरोप लगा रहे हैं वो तो सही ही है.

गहलोत की गलती बड़ी है या एसएम कृष्णा की?

जैसे ही अशोक गहलोत के राजस्थान विधानसभा में गलत बजट भाषण पढ़ने की खबर आयी, एकदम से पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा का चेहरा सामने आ गया. हो सकता है आप में से भी कुछ लोगों को ऐसा ही महसूस हुआ हो - मौसम भी तो बिलकुल वैसा ही रहा.

विदेश मंत्री रहते एसएम कृष्णा ने अपना गलत भाषण 11 फरवरी 2011 को पढ़ डाला था, जबकि अशोक गहलोत की तरफ से गलती से ये मिस्टेक ठीक एक दिन पहले यानी 10 फरवरी, 2023 को हुई है.

ashok gehlotराजस्थान के बजट का वाकया अशोक गहलोत के शासन की घोर लापरवाही का सबसे बड़ा नमूना है

कॉमन बात ये है कि गलती का एहसास भी दोनों को खुद नहीं हुआ, बल्कि किसी और को ध्यान दिलाना पड़ा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को उनके ही साथी मंत्री महेश जोशी ने टोका है, जबकि विदेश मंत्री रहते एसएम कृष्णा को संयुक्त राष्ट्र में तत्कालीन भारतीय राजदूत हरदीप सिंह पुरी ने रोका था. ये भी संयोग ही है कि फिलहाल एसएम कृष्णा और हरदीप पुरी दोनों ही बीजेपी में हैं. अब हरदीप पुरी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय मंत्री बन चुके हैं.

हुआ ये कि राजस्थान विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट भाषण पढ़ना शुरू किया, और पढ़ते रहे. तभी उनकी ही सरकार में मंत्री महेश जोशी के कान में कहते ही अशोक गहलोत ठिठक गये और भाषण रोक दिया. अशोक गहलोत के भाषण रोकते ही विपक्ष की तरफ से हंगामा शुरू हो गया.

विपक्ष को मालूम हो चुका था कि अशोक गहलोत ने पुराना बजट भाषण पढ़ दिया है. सदन की कार्यवाही दोबारा स्थगित किये जाने के बाद अशोक गहलोत जब तीसरी बार खड़े हुए तो माफी भी मांगी. बोले, जो कुछ हुआ है उसके लिए सॉरी फील करता हूं. करीब करीब वैसे ही जैसे राजस्थान में विधायकों की बगावत के बाद जब वो सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे थे, तब भी ऐसे ही माफी मांगी होगी.

लेकिन क्या उस माफी की इस माफी से बराबरी की जा सकती है? हो सकता है, ये सब गलती से हुआ हो? हो सकता है, ताजा गलती के बारे में अशोक गहलोत को कुछ भी मालूम न हो? लेकिन सोनिया गांधी से जिस गलती के लिए अशोक गहलोत ने सॉरी कहा था उसके आर्किटेक्ट तो वो खुद ही थे.

माफी तो माफी होती है, लेकिन जानबूझ कर की गयी गलती के लिए माफी भी नाकाफी लगती है. है कि नहीं?

बहरहाल, अशोक गहलोत की गलती और एसएम कृष्णा की गलती में बुनियादी फर्क है जिससे सवाल भी खड़े होते हैं. बेशक दोनों ही मामलों में लापरवाही हुई है. ये लापरवाही भी अफसरों की ही लगती है, और न भी हो तो उनके ही मत्थे मढ़ी जाती है.

संयुक्त राष्ट्र के वाकये और राजस्थान के मामले में सबसे बड़ा फर्क ये है कि अशोक गहलोत ने जो बजट भाषण पढ़ा है वो एक गोपनीय दस्तावेज होता है - और वैसी गोपनीयता एसएम कृष्णा के मामले में नहीं बरती गयी होगी.

ऐसे में जहां एसएम कृष्णा को संदेह का सीधा लाभ मिलना चाहिये, अशोक गहलोत आसानी से कठघरे में खड़ा हो जाते हैं - और बीजेपी भी यही तो आरोप है.

जब कृष्णा ने पुर्तगाल का भाषण पढ़ डाला

भारतीय विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर सुषमा स्वराज के भाषण खासे चर्चित रहे हैं, लेकिन एसएम कृष्णा का भाषण गलत वजहों से चर्चा में रहा - और अशोक गहलोत उनसे भी दो कदम आगे बढ़ गये लगते हैं.

संयुक्त राष्ट्र में तत्कालीन विदेश मंत्री एसएम कृष्णा लगातार तीन मिनट तक पुर्तगाल के तब के विदेश मंत्री लुइस अमाडो का बयान पढ़ते रहे. एसएम कृष्णा को अपनी गलती का एहसास भी नहीं हो रहा था जब तक कि तत्कालीन भारतीय राजदूत हरदीप पुरी ने उनको ध्यान नहीं दिलाया.

तब एसएम कृष्णा को संदेह का थोड़ा लाभ इसलिए भी मिला था, क्योंकि पुर्तगाली विदेश मंत्री के भाषण की शुरुआती लाइनें थोड़ा संदेह पैदा करने वाली भी थीं. उन्हीं दिनों ब्राजील ने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भी की थी.

पुर्तगाल के विदेश मंत्री अपना भाषण पढ़ चुके थे और फिर एसएम कृष्णा पढ़े रहे थे, 'पुर्तगाली भाषा बोलने वाले दो मुल्कों, ब्राजील और पुर्तगाल के यहां एक साथ होने के सुखद संयोग को देखते हुए मुझे गहरा संतोष जाहिर करने की इजाजत दीजिये...’ अब ब्राजील के लिए ऐसी बातें तो कही ही जा सकती थीं. खासकर तब जब कोई पहले से अलर्ट न हो. या फिर परफेक्शनिस्ट न हो.

जैसे ही एसएम कृष्णा ने पढ़ा, '...यूरोपीय संघ भी संयुक्त राष्ट्र के साथ इसी तरीके से जवाब दे रहा है’ हरदीप पुरी का माथा ठनका और वो एसएम कृष्णा को बोले और वो वहीं रुक गये. हरदीप पुरी ने ध्यान दिलाने के बाद सलाह दी कि वो फिर से शुरू कर सकते हैं.

बाद में एसएम कृष्णा का कहना था कि दुर्भाग्यवश वो हादसा हो गया. कृष्णा ने अपनी तरफ से तर्क दिया कि ज्यादातर भाषणों की शुरुआत एक जैसी होती है. सुरक्षा परिषद के बैठक की अध्यक्षता करने वाले देश का अभिवादन और कुछ औपचारिक बातें होती हैं.

महज गलती है या घोर लापरवाही का नमूना

बजट भाषण को लेकर बीजेपी के सवाल उठाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सफाई भी पेश की है. कहते हैं, 'बजट भाषण की इस कॉपी में फर्क हो तो बताइये. एक एक्स्ट्रा पेज लग गया गलती से... मैं एक पेज गलत पढ़ने लग गया... लीक होने का सवाल कहां से आ गया?'

राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने बजट भाषण के लीक होने का आरोप लगाया है. हंगामे के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुख्य सचिव ऊषा शर्मा को तलब किया और नौकरशाहों की लापरवाही पर नाराजगी भी जाहिर की.

बीजेपी नेता गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि कुछ मिनट तक गलत पढ़ने के बाद किसी तीसरे व्यक्ति ने मुख्यमंत्री को बताया कि वो गलत पढ़ रहे हैं - बीजेपी ने बजट की गोपनीयता भंग होने का बड़ा इल्जाम लगाया है.

गुलाबचंद कटारिया का कहना है, "बजट लीक हुआ है, बजट गोपनीय होता है... और कॉपी मुख्यमंत्री के अलावा किसी दूसरे के पास कैसे पहुंच गई?"

नेता प्रतिपक्ष का सवाल है कि किसी तीसरे व्यक्ति को ये कैसे मालूम पड़ा कि मुख्यमंत्री जो बजट भाषण पढ़ रहे हैं वो गलत है?

होता तो यही है कि जब तक मुख्यमंत्री बजट पेश न कर दें, वित्त विभाग के अफसरों के अलावा किसी भी को भी कंटेंट की कोई जानकारी नहीं होती. ऐसा हो सकता है कि ब्रीफकेस में गलती से पुराना बजट भाषण रख दिया गया हो - लेकिन नया और असली वाला बजट भाषण किसी और को कैसे मालूम हुआ?

जो भी हुआ है वो कोई हादसा या मामूली गलती नहीं है, बल्कि घोर लापरवाही है. लापरवाही तो बजट भाषण पेश करने वाले की भी है, लेकिन सबसे बड़ी गलती एक गोपनीय दस्तावेज का सही हाथों से फिसल कर किसी और की नजर से गुजरना है.

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लेखक

मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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