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Updated: 23 नवम्बर, 2021 05:24 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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चुनावी चौपड़ जब उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में बिछी हो तो मुद्दे की.बात करता ही कौन है. नेता भी इस बात को बखूबी जानते हैं कि जब हिंदू मुस्लिम का कार्ड उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में धड़ल्ले से चलता हो तो किसे पड़ी है कि वो गरीबी पर बात करे महंगाई, बेरोजगारी, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा पर बात करे. उत्तर प्रदेश की सियासत में ध्रुवीकरण का अध्याय खुल गया है. श्री गणेश किया है एआईएमआईएम सुप्रीमो असद उद्दीन ओवैसी ने. प्रधानमंत्री द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिए जाने को मुद्दा बनाकर यूपी के बाराबंकी में रैली करने आए असदउद्दीन ओवैसी ने अपने तरकश से CAA -NRC के तीर निकाले हैं और भाजपा को चेतावनी देते हुए यूपी को शाहीन बाग बनाने की चेतावनी दी है. बाराबंकी में पीएम मोदी, भाजपा, किसानों, सीएए को लेकर जो कुछ भी ओवैसी ने कहा है साफ है कि जहां एक तरफ उन्होंने अपना एजेंडा बताया है तो वहीं अपनी जहर बुझी बातों से इस बात की भी तस्दीख कर दी है कि उनकी नीयत क्या है.

UP Elections 2022 Asaduddin Owaisi Plays CAA NRC card Barabanki says will turn up UP Streets into ShaheenBagh if Act not Scrapped यूपी विधानसभा चुनावों में एजेंडा क्या होगा ओवैसी ने अपनी बाराबंकी की जनसभा में बता दिया है

चुनाव सामने हों और नेताओं के बोल न बिगड़ें ये भारतीय राजनीति उसमें भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में नया नहीं है. ओवैसी ने देश और यूपी दोनों की नब्ज पहचान ली है. बाराबांकी की रैली में मंच पर से जो कुछ भी ओवैसी ने कहा है उसने इस बात के भी संदेश दे दिये हैं कि ओवैसी को यूपी में अगर थोड़े बहुत वोट मिले तो उसका कारण मुस्लिम समुदाय के बीच व्याप्त वो डर है जिसको हथियार बनाकर ओवैसी ने मुस्लिम तुष्टिकरण के घिनौने खेल की शुरुआत कर दी है.

ओवैसी और उनकी राजनीति के पैटर्न पे कहने बताने को बहुत कुछ है लेकिन उसे समझने से पहले हमारे लिए ये जरूरी है कि हम उन बातों का अवलोकन और विश्लेषण करें जो उन्होंने उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में कही हैं. बाराबंकी में अपनी सभा के दौरान ओवैसी ने कहा कि अगर केंद्र की मोदी सरकार कृषि कानूनों की तर्ज पर सीएए और एनआरसी को वापस नहीं लेती है तो यूपी को शाहीन बाग़ बना देंगे.

बाराबंकी के एक तबके को संबोधित करते हुए असद उद्दीन ओवैसी ने कहा कि, 'सीएए संविधान के खिलाफ है, अगर भाजपा सरकार इस कानून को वापस नहीं लेती है, तो हम सड़कों पर उतरेंगे और यहां एक और शाहीन बाग बन जाएगा. ध्यान रहे गत वर्ष जामिया हिंसा के बाद दिल्ली का शाहीन बाग सीएए और एनआरसी के प्रोटेस्ट का केंद्र रहा था.

शाहीन बाग प्रोटेस्ट क्यों देश के बच्चे बच्चे की जुबान पर रहा इसके एक बड़ी वजह सैकड़ों महिलाओं समेत कई लोगों का महीनों तक प्रोटेस्ट साइट पर प्रदर्शन करना था. भले ही कोरोना की शुरुआत के बाद दिल्ली पुलिस ने तत्काल प्रभाव से एक्शन लेते हुए प्रदर्शनकारियों को हटा दिया हो लेकिन मुस्लिम समुदाय के बीच आज भी जख्म हरे हैं जिन्हें बाराबंकी की अपनी जनसभा में एआईएमआईएम सुप्रीमो असद उद्दीन ओवैसी ने कुरेद दिया है. 

असद उद्दीन ओवैसी के दिल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कितनी और किस हद तक नफरत है इसका अंदाजा उनकी उस बात से भी बड़ी ही आसानी के साथ लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री को नौटंकीबाज बताया.

ओवैसी ने कहा कि, 'प्रधानमंत्री मोदी देश के सबसे बड़े ‘नौटंकीबाज’ हैं, और गलती से राजनीति में आ गए हैं. नहीं तो फिल्म उद्योग के लोगों का क्या होता? सभी पुरस्कार मोदी ही जीते होते. ओवैसी ने पीएम मोदी की छवि का जिक्र करते हुए ये भी कहा कि जब मोदी को लगा कि उनकी छवि खराब हो रही है तो उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किसान कानून को वापस ले लिया.

भले ही ओवैसी ने सपा, बसपा और बीजेपी पर जातीय वोट बैंक बना कर यूपी की सत्ता हासिल करने का आरोप लगाया हो. लेकिन बड़ा सवाल ये भी है कि जो वो खुद कर रहे हैं आखिर वो क्या है? क्या उसे जातीय वोट बैंक हासिल करने की चाल नहीं कहा जाएगा?

विषय बहुत सीधी है. उत्तर प्रदेश जैसे सूबे के लिहाज से तुष्टिकरण का खेल कोई आज का नहीं है. ओवैसी इस बात को बखूबी समझते हैं कि चाहे वो सी ए ए हो या फिर एनआरसी मुस्लिमों के लिहाज से ये मुद्दे अभी भी ताजे हैं अगर इन्हें सही समय पर सही तरह से कैश किया जाए तो यक़ीनन कुछ सीटें उनकी पार्टी के खाते में चली आएंगी.

बात एक नेता के रूप में ओवैसी की हुई है और पुनः यूपी को शाहीन बाग़ बनाने की हुई है. तो जिस तरह शाहीन बाग़ का भूत ओवैसी के जरिये एक बार फिर बाहर निकला है. तस्दीख हो गयी है कि वो कौन कौन से मुद्दे रहेंगे जिनको आधार बनाकर एआईएमआईएम जैसे दलों द्वारा तुष्टिकरण का खेल खेलते हुए उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा.

साथ ही जिस तरह अभी से सियासी बयानबाजी का दौर शुरू हुआ है. ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति न होगा कि चुनावों के चलते यूपी की फिजा आने वाले वक़्त में खासी दिलचस्प होने वाली है.  

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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