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Updated: 17 दिसम्बर, 2019 10:44 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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Citizenship Amendment Act (CAA) और National Register of Citizens (NRC) के विरोध में Jamia छात्रों द्वारा मचाए गए तांडव और उस पर पुलिसिया कार्रवाई के बाद दिल्ली पुलिस (Delhi police) और केंद्र सरकार सवालों के घेरे में है. मामले को लेकर लगातार सरकार की आलोचना हो रही है. घटना के बाद देश के गृह मंत्री अमित शाह पहली बार सामने आए हैं और उन्होंने पुलिस द्वारा लिए गए एक्शन पर संतोष जताया है. एजेंडा आजतक (Agenda Aajtak) के मंच पर बोलते हुए अमित शाह ने स्पष्ट लहजे में इस बात को स्वीकारा है कि यदि जामिया कैंपस (Jamia campus) के अंदर से पथराव हुआ. छात्रों ने बाहरी लोगों के साथ मिलकर उत्पात मचाया. बसें जलाई तो अगर पुलिस ने उनपर एक्शन लिया है तो इसका मतलब उन्होंने अपना फर्ज निभाया है. अमित शाह का मानना है कि यदि पुलिस ऐसा नहीं करती तो इसका मतलब ये है कि पुलिस अपना काम सही से नहीं कर रही है. गृह मंत्री ने ये भी कहा है कि यदि प्रोटेस्ट हिंसा का रूप लेता है तो उसे रोकना पुलिस का फर्ज है. जो उन्होंने सही तरह से निभाया.

अमित शाह, जामिया मिलिया इस्लामिया, पुलिस, विरोध प्रदर्शन, Amit Shahएजेंडा आजतक के मंच पर एक बार फिर अमित शाह ने कांग्रेस की नीति को सवालों के घेरे में ला दिया है

एजेंडा आजतक के मंच से अमित शाह ने इस बात को भी स्पष्ट किया है कि CAA से किसी को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होने वाला. शाह का मानना है कि एक्ट सिटिजनशिप छीनने का नहीं बल्कि देने का काम करता है. इसके अलावा भी अमित शाह ने तमाम अलग अलग मुद्दों पर अपनी राय राखी है. जैसा उनका लहजा था उसने साफ़ बता दिया है कि अभी आगे भी ऐसे बहुत से मौके आएंगे जब वो कांग्रेस को ऐसे तमाम दर्द देंगे जो शायद ही वो कभी भूल पाए.

तो आइये जानें अमित शाह की उन तमाम बातों को जिन्होंने आने वाले वक़्त के लिए न सिर्फ अमित शाह के इरादे बताए हैं. बल्कि ये भी बताया है कि अभी वहां तक पहुंचने या ये कहें कि भाजपा की राजनीति को भेदने में विपक्ष विशेषकर कांग्रेस को लंबा वक़्त लगने वाला है.

नागरिकता कानून को लेकर क्या बोले अमित शाह

अमित शाह से जब नागरिकता कानून को लेकर सवाल हुआ तो उन्होंने इस बात को साफ़ कर दिया कि चाहे NRC हो या फिर CAA विपक्ष लगातार झूठ का सहारा ले रहा है. और लोगों के बीच भ्रम की स्थिति का निर्माण करने के लिए अफवाहों को प्रचारित और प्रसारित कर रहा है. देश में रह रहे अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों को आश्वासन देते हुए शाह का मानना है कि इन कानूनों के बाद किसी का भी रत्ती भर नुकसान नहीं होने वाला. शाह का मानना है क  ये तो सिटीजनशिप देने का कानून है जबकि इसे विपक्ष सिटीजनशिप छीनने वाला कानून बताकर लोगों को गुमराह कर रहा है. शाह के अनुसार इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के प्रताड़ित लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है.

अभी तक बच्चों ने ठीक से कानून पढ़ा नहीं है कानून

चाहे जामिया के हों या फिर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और नदवा के स्टूडेंट्स. अमित शाह ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर 224 में से सिर्फ 22 यूनिवर्सिटी में विरोध हुआ है जिसमें 4 में गंभीर विरोध हुआ है. एएमयू और जामिया के छात्रों से मुखातिब होते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि कानून को लेकर उग्र प्रदर्शन कर रहे बच्चों ने अभी ठीक से कानून नहीं पढ़ा है. जिस दिन छात्र इस कानून को भली प्रकार पढ़ लेंगे उस दिन वो खुद ही विरोध करना या किसी तरह के उग्र प्रदर्शन को अंजाम देना छोड़ देंगे.

साथ ही शाह ने इस बात पर भी बल दिया है कि यदि स्टूडेंट्स को लगता है कि इस कानून के तहत कोई गलत फैसला लिया गया है तो वो हमारे पास आएं छात्रों की तमाम चिंताओं का भली प्रकार निवारण किया जाएगा.

धर्म के आधार पर नहीं है CAA और NRC

CAA और NRC पर हुए सवाल का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि इसमें किसी को धर्म के आधार पर नहीं निकाला जाएगा. इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए अमित शाह ने ये भी बताया कि आखिर NRC लेकर कौन आया ? अमित शाह के अनुसार 1985 में असम समझौते के दौरान NRC की बात स्पष्ट की गई. शाह ने बताया कि 1955 के सिटिजन शिप एक्ट में  3 दिसंबर 2004 को क्लॉज़ 14 A जोड़ा गया. इसी तरह NRC को ताकत देने के लिए 9 नवंबर 2000 को रूल 4 जोड़ा गया और ये दोनों ही चीजें तक हुईं जब कांग्रेस पॉवर में थी.

क्या कांग्रेस ने शोकेस में सजाने के लिए NRC के साथ ये सब किया

कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी को घेरते हुए सख्त लहजे में अमित शाह ने इस बात को बल दिया कि ये सब कांग्रेस ने किया और आज वो अपने को सेक्युलर साबित कर भाजपा को कम्युनल बता रही है. शाह ने पूछा की आज CAA और NRC का विरोध कर रही कांग्रेस ने क्या ये सब  शोकेस में सजाने के लिए किया ?

नेहरू और लियाकत ने जो 1950 में तय किया, वो 70 साल तक नहीं हुआ

अमित शाह ने  बार बार इस बात को दोहराया कि कांग्रेस ने देश का विभाजन धर्म के आधार पर किया. ये नहीं होना चाहिए था. इसमें बहुत से लोगों का नुकसान हुआ. 1950 में नेहरू और लियाकत अली खान में समझौता हुआ कि दोनों देश अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करेंगे. तब से लेकर अब तक के आंकड़ों को देखिए, अल्पसंख्यकों की संख्या कम हो गई. जब नेहरू-लियाकत समझौते पर अमल नहीं हुआ. तब ये करने की जरूरत पड़ी. कांग्रेस ने 70 साल तक अल्पसंख्यकों पर ध्यान नहीं दिया.

सम्मान के लिए है CAA और NRC

एजेंडा आजतक के मंच पर जो कुछ भी अमित शाह ने कहा यदि उसका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि अमित शाह इसे पाकिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं के आत्म सम्मान का मसला मानते हैं. शाह का मानना है कि गुजरे 70 सालों में कांग्रेस ने इन दोनों ही देशों में रह रहे लोगों को तंगहाली में रहने के लिए बाध्य किया और अब जब ये आ गया है तो उन्हें उनका खोया हुआ सम्मान मिलेगा.

सिर्फ मुस्लिमों के लिए एनआरसी नहीं है

नागरिकता कानून को एनआरसी से जोड़कर देखने और फिर इसके नतीजे के बारे में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि एनआरसी में धर्म के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं होगी और जो कोई भी एनआरसी के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जाएगा, सबको निकालकर देश से बाहर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सिर्फ मुस्लिमों के लिए एनआरसी नहीं है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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