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Updated: 04 फरवरी, 2019 06:22 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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भाजपा समर्थकों के सुपर हीरो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरोधी सेंसेक्स में, पश्चिम बंगाल की शेरनी कही जाने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम नंबर वन पर आ गया. CBI से सीधी टक्‍कर लेकर मोदी को सीधे चैलेंज करने वाली ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री की दावेदारी में मायावती को पछाड़ दिया है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस वक्त ममता की छांव में हैं तो मायावती उनका साया हैं. मायावती का साया बनना अखिलेश यादव की मजबूरी है और ममता की छांव में वो राष्ट्रीय राजनीति में कदम रख रहे हैं. बताया जाता है कि ममता बनर्जी के इशारे पर ही अखिलेश यादव अपना हर राजनीतिक कदम उठा रहे हैं. यूपी में खनन मामले में सीबीआई की जांच शुरू होने पर अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सलाह दी थी कि सपा-बसपा जनाधार के बल पर वो सीबीआई से सीधा मुकाबला करने का दबाव डालने वाले बयान दें. राजनीतिक द्वेष में की जाने वाली सीबीआई कार्रवाई के खिलाफ सड़कों पर उतरने का आह्वान करें.

ममता की इस सलाह के बाद अखिलेश यादव ने सीबीआई कार्रवाई को लेकर कुछ इस तरह के बयान दिये भी थे. साथ ही बसपा प्रमुख मायावती ने भी अखिलेश के समर्थन में खनन मामले पर सीबीआई की कार्रवाई का विरोध किया और इसे राजनीति से प्रेरित बताया. दरअसल इस वक्त मोदी सरकार वर्सेज विपक्ष की लड़ाई में सीबीआई की हर जांच को विपक्षी राजनीतिक द्वेष की भावना से प्रेरित बता रहे हैं. यूपी में सपा के अखिलेश-मायावती के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सीबीआई की रडार पर हैं. अपने अपने प्रदेश के इन धुरंधर सियासतदाओं ने मिलकर एक रणनीति तय की है. डरने के बजाये सीबीआई कार्रवाई को राजनीतिक हथकंडा बताकर विपक्ष ने अपने जनसमर्थन के भरोसे सीबीआई से दो-दो हाथ करने का मूड बनाया है.

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यूपी, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे इन बड़े राज्यों की भाजपा विरोधी ताकतों की एकता भाजपा के लिए खतरा बनी है. किंतु माया और ममता दोनों की ही प्रधानमंत्री बनने की ख्वाहिश इनके बीच कलह बनकर भाजपा को राहत दे सकती है. इन स्थितियों में सपा अध्यक्ष कशमकश में हैं. अखिलेश यादव के साथ बिहार के सबसे बड़े सियासी दल राजद( लालू का यादव परिवार) के अलावा पश्चिम बंगाल की टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी के साथ बेहतरीन सामंजस्य है. राजद के तेजस्वी यादव ने लखनऊ आकर मायावती से मुलाकात कर अघोषित तौर पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाने का वादा किया है. सपा-बसपा के साथ गठबंधन में भी सपा ने अघोषित तौर पर मायावती को पीएम प्रोजेक्ट करने का वादा किया है.

इस बीच सीबीआई से भिड़ कर मोदी विरोधियों में ममता बनर्जी की चर्चाएं प्रधानमंत्री के दावेदार के रूप में हो रही हैं. ऐसे में मायावती की खिसियाहट और अखिलेश की कशमकश जाहिर होने लगी है. सीबीआई मामले पर  कांग्रेस और सपा सहित अनेक भाजपा विरोधी दलों ने ममता बनर्जी का समर्थन किया. लेकिन मायावती अब तक खामोश हैं. शायद माया को सीबीआई प्रकरण में ममता की राजनीति उभरने और उनकी प्रधानमंत्री पद की दावेदारी का नया माहौल कचोट रहा है. मौजूदा वक्त में विपक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी के विकल्प के तौर पर खुल कर कोई भी नाम प्रोजेक्ट नहीं किया है. विपक्ष दो खेमों में बंटा है. एक कांग्रेस और दूसरे खेमे में गैर भाजपा और गैर कांग्रेस क्षेत्रीय दल शामिल हैं.

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कांग्रेस के पीएम दावेदार पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी है और एकजुट क्षेत्रीय दलों में अभी तक बसपा प्रमुख मायावती के नाम की सुगबुगाहट थी. सीबीआई अफसरों को गिरफ्तार करने के एतिहासिक फैसले से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को पश्चिम बंगाल की जमीन पर उतरने की इजाजत नहीं दी गई. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते रविवार को जो अप्रत्याशित और साहसिक (जिसे अलोकतांत्रिक और तानाशाह कदम भी कहा जा रहा है) कदम उठा लिए, उसे देखकर मोदी या भाजपा विरोधियों में ममता को लेकर एक बड़ा विश्वास पैदा हो गया है. चर्चाएं हैं कि मोदी से मुकाबला करने वाली एक ही साहसिक महिला है- जिनका नाम ममता बनर्जी है.

चर्चाओं में कोई ममता को तानाशाह और भ्रष्टाचार का साथ देने वाला बता रहा है. किसी ने ममता बानो कहकर टीएमसी की राजनीति को मुस्लिम तुष्टिकरण से प्रेरित बताया. तो कोई इन्हें बंगाल की शेरनी कह रहा है. ममता प्रशंसकों में कुछ ने तो इन्हें दुर्गा का अवतार तो किसी ने मां काली की शक्ति बता दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लड़कर कौन उसका विकल्प बनेगा ये नूरा-कुश्‍ती भाजपा विरोधी खेमे में भी जारी है. मोदी का जमकर विरोध करके ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी ब्रांडिंग की. दबी जुबान से कांगेस ने राहुल को प्रधानमंत्री का दावेदार भी घोषित कर दिया. इसके बावजूद भी तीसरी सियासी ताकत बन कर उभरे यूपी के सपा-बसपा गठबंधन में बसपा प्रमुख मायावती का नाम प्रधानमंत्री की रेस में राहुल गांधी को पछाड़ने लगा.

प्रधानमंत्री पद की दावेदारी में मायावती का नाम इसलिए भी तेज हुआ क्योंकि वो इकलौती बड़ी दलित नेता हैं. देशभर में दलितों की बड़ी तादाद है. देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में सपा के साथ बसपा का मजबूत गठबंधन है. सारी सर्वे रिपोर्ट्स यूपी में इस गठबंधन की पचास से 65 सीटें जीतना बता रही हैं. यूपी में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता अखिलेश यादव और बिहार में सबसे बड़े विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी मायावती को प्रधानमंत्री बनाने में अपना योगदान देने का इशारा कर दिया.

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इस बीच राजनीतिक समीकरण कुछ बदलते दिखने लगे. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मोदी सरकार पर आक्रामक होकर शेरनी की तरह केंद्र सरकार से टकरा गई हैं. केंद्र की सीबीआई वर्सेज पश्चिम बंगाल की पुलिस के बीच जंग के बाद ममता का नाम सुर्खियों में आ गया है. रातों-रात ममता बनर्जी देश में मोदी विरोधी खेलें का तारा बन गयी हैं. एक महिला और बंगाली होने के नाते ममता को मोदी सरकार से सीधी टक्कर लेने का अधिक लाभ मिल रहा है. देश का बंगाली समाज और मोदी विरोधियों की चर्चाओं में ममता का नाम पीएम की मजबूत दावेदारी में शामिल हो गया.

कुछ लोगों ने सोशल मीडिया में लिखा कि कठपुतली यानी असंवैधानिक ढंग से इस्तेमाल होने वाले तोते (सीबीआई) की गर्दन मोड़ने की हिम्मत केवल ममता बनर्जी में है. इन सबके बीच सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कशमकश मे हैं. देखना दिलचस्प रहेगा कि वो अपने गठबंधन की साथी मायावती की प्रधानमंत्री बनने की कोशिश में मदद करेंगे या राजनीतिक गुरू ममता बनर्जी को मोदी के विकल्प के रूप में स्वीकार करेंगे? सवालों के जवाब पाने के लिए हमें इंतजार करना होगा वक़्त हमें सारे जवाब जल्द ही दे देगा.

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लेखक

नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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