जानें यूपी में किस-किस की है मुस्लिम वोटों पर नजर
चुनावी अखाड़े में मुस्लिम वोट हार को जीत और जीत को हार में बदलने का माद्दा रखते हैं. इसलिए उत्तर प्रदेश की पार्टियां अपने-अपने तरीके से इस वर्ग को लुभाने में जुटी हैं.
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चुनावी अखाड़े में मुस्लिम वोट हार को जीत और जीत को हार में बदलने का माद्दा रखते हैं. इसलिए उत्तर प्रदेश की पार्टियां अपने-अपने तरीके से इस वर्ग को लुभाने में जुटी हैं. हालांकि मुस्लिम तबका अब अपने हक के लिए पहले से ज्यादा जागरूक है और उसे बरगलाना आसान नहीं रहा. जानिए कौन सी पार्टी किस तरह लुभा रही है मुस्लिम मतदाताओं कोः
समाजवादी पार्टी मजबूतीः मुसलमानों में मुलायम सिंह की प्रभावी छवि. पिछले कई चुनावों में मुस्लिम वोटों का झुकाव, सरकार में मुसलमानों की अच्छी भागीदारी. कमजोरीः सच्चर, रंगनाथ कमेटी की रिपोर्ट लागू करवाने का वादा पूरा न होना. सांप्रदायिक तनाव की बढ़ती वारदातें, मुस्लिम नेताओं में गुटबाजी.प्रयासः युवा नेताओं के सहारे मुसलमानों से संपर्क. जिला स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन, बजट में मुसलमानों से जुड़ी योजनाओं को तरजीह. बहुजन समाज पार्टी मजबूतीः मुख्यमंत्री के रूप में मायावती के शासनकाल में एक भी बड़ा सांप्रदायिक दंगा न होना. पार्टी की विभिन्न कमेटियों में मुसलमानों की निश्चित भागीदारी.कमजेारीः नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अलावा कोई दूसरा प्रभावी मुस्लिम नेता न होना. मुजफफरनगर दंगे के दौरान मुसलमानों पर समय पर ध्यान न देना.प्रयासः मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर 2017 के चुनाव के लिए मुस्लिम उम्मीदवारों की घोषणा. बूथ स्तर पर मुस्लिम समाज को जोडऩे का अभियान.
आम आदमी पार्टीमजबूतीः दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान मुसलमानों के बीच बनी अरविंद केजरीवाल की प्रभावी छवि. गरीब और पिछड़े मुसलमानों के मुद्दों पर आप का सीधा सरोकार. कमजोरीः सच्चर, रंगनाथ कमेटी की रिपोर्ट जैसे अहम मुद्दों पर राय स्पष्ट नहीं. यूपी में आप का प्रभावी संगठन न होना, मुस्लिम नेताओं का अभावप्रयासः स्वराज मार्च के जरिए मुसलमानों में आप के सुशासन के प्रति विश्वास जगाने की कोशिश. जिला स्तर पर साफ-सुथरी छवि वाले मुस्लिम नेताओं को पार्टी से जोडऩे को प्राथमिकता.
कांग्रेसमजबूतीः वरिष्ठ और राष्ट्रीय स्तर के मुस्लिम नेताओं की मौजूदगी. केंद्र में शासन के दौरान मुस्लिम समाज के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत.कमजोरीः मुसलमानों के बीच लगातार पार्टी का भरोसा कम होना. उसकी समस्याओं को वाजिब तवज्जो न देना और प्रदेश स्तर पर प्रभावी मुस्लिम नेतृत्व का अभाव. प्रयासः नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से अप्रैल में मुसलमानों के बड़े जलसे की शुरुआत. इसके बाद मेरठ में मुस्लिम युवाओं को जोडऩे के लिए विशेष अभियान.
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