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बड़ा आर्टिकल  |  
Updated: 17 मई, 2018 07:41 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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कर्नाटक में सरकार बनाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और कोर्ट ने येदियुरप्पा को नोटिस भी भेज दिया है. इस बात से कांग्रेस कितनी खुश है, ये तो कांग्रेसी नेताओं के ट्वीट ही बता रहे हैं. जो कांग्रेस आज सुप्रीम कोर्ट की तारीफों के पुल बांधती दिख रही है, वही कांग्रेस लोकतंत्र और संविधान को खतरे में बताते हुए अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर कुछ समय पहले देश के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाई थी, जिसे करीब 50 सासंदों की सहमति भी मिली हुई थी. इस महाभियोग को उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया था, तब कांग्रेस हमलावर हो गई थी. यानी जब फैसला विरोध में आए तो सुप्रीम कोर्ट गलत और अगर फैसला हक में आए तो सुप्रीम कोर्ट सही. ऐसे में कांग्रेस को एक बार ये जरूर सोचना चाहिए कि देश के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाना गलत क्यों था.

कर्नाटक चुनाव 2018, कांग्रेस, भाजपा, सुप्रीम कोर्ट, महाभियोग

पत्रकार शेखर गुप्ता ने अभिषेक शांघवी के एक ट्वीट का रिप्लाई करते हुए लिखा है- 'सुप्रीम कोर्ट ने देर रात कर्नाटक चुनाव के मामले पर सुनवाई का फैसला किया और अपनी खोई हुई कुछ इज्जत दोबारा हासिल कर ली. इसके बाद अब कांग्रेस को मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की बेवकूफी भरी राजनीति और संवैधानिक लापरवाही के लिए माफी मांगनी चाहिए.' शेखर गुप्ता का ये ट्वीट साफ दिखाता है कि क्यों कांग्रेस द्वारा जज के खिलाफ महाभियोग लाना गलत था. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट अपना काम बखूबी कर रही है.

अब सुप्रीम कोर्ट की हो रही तारीफ

कर्नाटक चुनाव के बाद से ही भाजपा सरकार बनाने का दावा कर रही है और जेडीएस-कांग्रेस साथ मिलकर भी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. लेकिन राज्यपाल ने भाजपा के विधायक दल के नेता येदियुरप्पा को ये मौका पहले देने का फैसला किया. यहां तक कि 17 मई सुबह 9 बजे येदियुरप्पा शपथ तक ले चुके हैं. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को वो दो पत्र अदालत में पेश करने का आदेश दिया है, जो येदियुप्पा ने राज्यपाल वाजुभाई वाला को भेजे थे. सुप्रीम कोर्ट द्वारा कांग्रेस और जेडीएस की उस याचिका को तो खारिज कर दिया गया, जिसमें येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था, लेकिन कोर्ट ने येदियुरप्पा को नोटिस भेजकर जवाब जरूर मांगा है. देखिए कैसे अब कांग्रेस के नेता सुप्रीम कोर्ट की तारीफ कर रहे हैं:

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है- मैं सुप्रीम कोर्ट को सैल्यूट करता हूं. अगर मैं येदियुरप्पा की जगह होता तो शुक्रवार सुबह 10.30 बजे तक शपथ नहीं लेता.

वहीं दूसरी ओर अभिषेक सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को रात में 2 बजे से कोर्ट चलाने के लिए उसकी तारीफ की है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर रोक नहीं लगाई. जिस तरह से कोर्ट रात में चली है, उस पर अभिषेक सिंगवी ने कहा है कि यह दिखाता है, सिस्टम कितना अच्छे से काम कर रहा है. यह दिखाता है कि न्याय कभी नहीं सोता, 24 घंटे सातों दिन काम करता है, ऐसे दुनिया की अन्य किस सुप्रीम कोर्ट में हो सकता है?

वहीं अगर थोड़ा पीछे जाएं तो मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने पर अभिषेक सिंघवी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि जैसी अपेक्षा थी, श्री नायडू ने महाभियोग को खारिज कर दिया. उन्होंने यह बाहर से वापस आने के बाद महज एक दिन में ही कर दिया. उम्मीद है कि यह फैसला लेने में तत्परता इसलिए नहीं दिखाई गई होगी ताकि मुख्य न्यायाधीश के प्रशासनिक कामों में कोई रुकावट न आए.

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की सराहना की है. उन्होंने कहा है कर्नाटक में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. यह भारत के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. अब सभी नजरें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जो देश के आधार यानी संविधान की रक्षा कर सकता है.

महाभियोग खारिज होने पर अलग थे तेवर

जब मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव को वेंकैया नायडू ने खारिज किया था, तो कांग्रेस के नेताओं का तेवर कुछ अलग ही दिख रहा था. आपको बता दें कि इस महाभियोग प्रस्ताव को 7 विपक्षी पार्टियों ने मिलकर पेश किया था, जिनकी अगुआई कांग्रेस ने ही की थी. ऐसे में प्रस्ताव खारिज होने पर सबसे अधिक दुखी कांग्रेस की दिखी थी. वेंकैया नायडू ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि न तो मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ लाया गया ये महाभियोग उचित है, ना ही अपेक्षित. इसके बाद सभी कानूनी सलाह लेने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ लाए गए महाभियोग को खारिज कर दिया था. यूं तो इस फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा था कि उन्हें पहले से ही पता था कि कुछ ऐसा ही होगा, लेकिन उनकी प्रतिक्रियाओं में उनका गुस्सा साफ दिख रहा था. देखिए तब क्या कहा था कांग्रेस के नेताओं ने:

राहुल गांधी ने पीएम मोदी और मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि आमतौर पर लोग कोर्ट में न्याय मांगने जाते हैं, लेकिन मौजूदा सरकार में जज जनता से न्याय मांग रहे हैं.

राहुल गांधी और कपिल सिब्बल ने तो यहां तक कह दिया था कि अब लोकतंत्र खतरे में है. राहुल गांधी ने कहा था कि संविधान सबकी रक्षा करता है, लेकिन आरएसएस और भाजपा के लोग उसे कुचलना चाहते हैं, हम ऐसा होने नहीं देंगे. उस समय तो लोकतंत्र और संविधान पर खतरा बताया गया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की तारीफ की जा रही है.

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने तो पूरा गणित बताते हुए कहा था- महाभियोग की प्रक्रिया 50 सांसदों की सहमति से शुरू की गई. इस प्रक्रिया पर राज्य सभा के सभापति फैसला नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उनके पास इसका अधिकार नहीं है. यह लोकतंत्र को नकारने और लोकतंत्र के बचाने के बीच की लड़ाई है. 64 सांसदों द्वारा महाभियोग दायर करने के चंद घंटों बाद ही राज्य सभा के नेता (वित्त मंत्री) ने इसे बदले वाली याचिका करार दिया, जो एक तरह से राज्यसभा सभापति को ये बताना था कि क्या फैसला देना है. तो क्या अब बदले की याचिका बचाने की याचिका बन गई है?

पीएल पुनिया ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग को खारिज किए जाने पर कहा था- 'यह बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है. हम नहीं जानते कि महाभियोग को खारिज करने का कारण क्या है. कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां कुछ लीगल एक्सपर्ट्स से बात करेंगी और अगला कदम उठाएंगे.' हालांकि, अभी तक उस मामले में आगे कोई कदम नहीं उठाया गया है.

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर मनमाने ढंग से केस किसी भी बेंच को देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस महाभियोग तो ले आई थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला हक में आने के बाद तारीफ करती दिखाई दे रहे हैं. कांग्रेस अभी करे भी क्या, राज्यपाल ने तो येदियुरप्पा को सरकार बनाने का मौका दे दिया है और कांग्रेस के सामने सुप्रीम कोर्ट इकलौता विकल्प दिख रहा है. ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट भी रूठ गया तो कांग्रेस मुक्त भारत जल्द ही बन जाएगा.

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