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Updated: 04 फरवरी, 2020 05:12 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पहले भाजपा ने अपना संकल्प पत्र (BJP Manifesto) जारी किया और फिर कांग्रेस अपना घोषणा पत्र (Congress Manifesto) लाई. इन दोनों के बाद आम आदमी पार्टी ने भी अपना मेनिफेस्टो (AAP Manifesto) यानी घोषणा पत्र जारी कर दिया है. इस चुनाव में अगर गौर करें तो कांग्रेस का चांस तो दूर-दूर तक नहीं है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की ओर से अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी को तगड़ी टक्कर मिलना तय है. टाइम्स नाउ-IPSOS के ओपिनियन पोल (Opinion Poll) के अनुसार दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) में आम आदमी पार्टी को 54-60 सीटें मिल सकती हैं, जबकि भाजपा के खाते में महज 10-14 सीटें ही आएंगी और हो सकता है कि कांग्रेस भी 2 सीटें जीत जाए. यानी इस ओपिनियन पोल के अनुसार तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी की स्थिति मजबूत है, लेकिन पिछली बार दिल्ली चुनाव में ओपिनियन पोल जिस तरह गलत साबित हुआ था, उसे देखते हुए शायद अरविंद केजरीवाल अभी भी बहुत अधिक डरे हुए हैं. अरविंद केजरीवाल का ये डर और छटपटाहट उनकी पार्टी के घोषणा पत्र में भी साफ-साफ देखे जा सकते हैं.

AAP Manifesto Arvind Kejriwalभाजपा और कांग्रेस के बाद आम आदमी पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है.

1- सफाई कर्मचारियों की मौत पर परिजनों को 1 करोड़ रुपए

अरविंद केजरीवाल की सरकार सफाई कर्मचारियों की मौत पर उनके परिवारों को 1 करोड़ रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है. गटर साफ करते हुए सफाई कर्मियों की मौत होना बेशक गंभीर मामला है, लेकिन क्‍या दिल्‍ली की सत्‍ता पर बैठी आम आदमी पार्टी इसका कोई औचित्‍यपूर्ण हल ढूंढ पाने में इतनी नाकाम है कि उसे मौत के मुआवजे को मुद्दा बनाना पड़ा है. कई लोगों का कहना है कि यह मुआवजा तो सीमा पर शहीद हुए सैनिक के परिवार को दी जाने वाली राशि से बड़ा है. तो सवाल उठता है कि सफाई कर्मचारियों की मौत के मुआवजे के दम पर आम आदमी पार्टी कोई और हित साधना चाहती है? जवाब है- हां. अगर गौर करें तो पता चलेगा कि अधिकतर सफाई कर्मचारी दलित होते हैं और आम आदमी पार्टी अपनी इस घोषणा से दलितों को साधने की कोशिश कर रही है. सफाई कर्मचारी तो सिर्फ मोहरा हैं. अगर ऐसा नहीं होता जो 1 करोड़ रुपए वह सफाई कर्मचारी की मौत पर परिजनों को देने की बात कर रहे हैं, उतना खर्च अगर तकनीक पर कर दें तो किसी कर्मचारी की मौत ही नहीं होगी. सफाई कर्मचारियों को बिना सुरक्षा उपकरणों के काम करना होता है, जिसकी वजह से उनकी मौत होती है. ये कोई बॉर्डर नहीं है, जहां कर्मचारियों पर गोलियां चलती हैं, बल्कि कर्मचारी तकनीक के अभाव में मरते हैं और केजरीवाल को ये बात समझनी चाहिए.

2- स्कूलों में देशभक्ति कार्यक्रम चलाएंगे

जब से भाजपा केंद्र की सत्ता में आई है, तब से देशभक्ति पर एक अलग ही फोकस हो गया है. बल्कि भाजपा को लोग एक देशभक्त राजनीतिक पार्टी की तरह भी देखने लगे हैं. इसी बीच अरविंद केजरीवाल को भाजपा की ओर से आतंकी और नक्सली तक कहा जा रहा है. ये दिखाने की कोशिश हो रही है कि वह देश विरोधी हैं. कन्हैया कुमार को बचाने का इल्जाम पहले से ही उन पर लग रहा है और कहा जा रहा है देश के टुकड़े करने की सोच रखने वाले को अरविंद केजरीवाल बचा रहे हैं. अब अपनी छवि को देश विरोधी होने से बचाने के लिए उन्होंने दिल्ली चुनाव के लिए जारी किए गए मेनिफेस्टो का सहारा लिया है. इसमें आम आदमी पार्टी ने एक घोषणा की है कि स्कूलों में देशभक्ति के कार्यक्रम चलाए जाएंगे. यानी साफ हो रहा है कि वह भाजपा की राष्ट्रभक्त छवि से भी डर गए हैं और साथ ही ये भी समझ रहे हैं कि उन पर देश विरोधी छवि हावी हो रही है, जिसे भाजपा और बढ़ावा देने में लगी है. जो देशक्ति भारतीय जनता पार्टी बिना किसी स्कूल या कोर्स के देश भर को सिखा रही है, उसे सिखाने के लिए अरविंद केजरीवाल स्कूलों में नया कोर्स शुरू करेंगे.

3- भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराएंगे

आपको याद ही होगा कि अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि बिहार से एक आदमी 500 रुपए का टिकट कटवाकर दिल्ली आता है और 5 लाख रुपए का मुफ्त इलाज करवा लेता है. इस पर मनोज तिवारी ने कहा था कि अगर ऐसा हो रहा है तो अरविंद केजरीवाल का कलेजा क्यों फट रहा है? जेडीयू नेता केसी त्यागी ने भी कहा था कि यूपी-बिहार वालों की वजह से ही केजरीवाल जीते हैं. इस चुनाव में भी पूर्वांचल कार्ड खूब चल रहा है. मनोज तिवारी को तो दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष भी काफी हद तक इसी वजह से बनाया गया क्योंकि दिल्ली में पूर्वांचलियों की संख्या काफी अधिक है. नीतीश कुमार दिल्ली चुनाव में प्रचार के लिए इसीलिए उतरे हैं, ताकि वह बिहार के लोगों के मन बदल सकें. मनोज तिवारी ने हाल ही में कहा है कि दिल्ली में पूर्वांचलियों का बुरा हाल है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने भी पूर्वांचल कार्ड खेला है और अपने मेनिफेस्टो में घोषणा की है कि ये चुनाव जीतने पर वह भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव डालेंगे, क्योंकि भोजपुरी अब दिल्ली की एक अहम भाषा हो गई है. वैसे भी, दिल्ली की 25-27 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर जीत-हार पूर्वांचली ही तय करते हैं और ये बात आप-भाजपा-कांग्रेस सब अच्छे से जानते हैं.

4- कॉलोनियों का रजिस्ट्रेशन, असली वाला

दो तरह के रजिस्ट्रेशन होते हैं, एक असली और एक नकली. कुछ ऐसा ही कहना है आम आदमी पार्टी का. घोषणा पत्र जारी करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि वह अनऑथराइज कॉलोनियों को रेगुलर करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाएंगे और उन्हें उचित रजिस्ट्री दिलाएंगे. उन्होंने कहा कि फर्जी रजिस्ट्री नहीं, जिसमें लिखा हो कि इसे कभी भी तोड़ दिया जाएगा, बल्कि प्रॉपर रजिस्ट्री. बता दें कि दिल्ली में भाजपा ने एक धन्यवाद रैली की थी, जिसमें भी अनऑथराइज कॉलोनियों की रजिस्ट्री पर जोर दिया था. वह रैली तो थी ही इसीलिए कि भाजपा ने बहुत सी अनऑथराइज कॉलोनियों को रेगुलर किया. अब शहादरा में हुई रैली में भी पीएम मोदी ने अनऑथराइज कॉलोनियों को रेगुलर करते हुए पक्का करने की बात कही है और कहा है कि सरकारी बुल्डोजर से अब डरने की जरूरत नहीं होगी. आम आदमी पार्टी उसी रजिस्ट्री वाली बात को काटने के लिए कह रही है कि उनकी तरफ से फर्जी रजिस्ट्री नहीं कराई जाएगी, बल्कि असली रजिस्ट्री होगी. कोशिश ये संदेश देने की है कि भाजपा जो रजिस्ट्री कराएगी वह फर्जी होगी.

अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के मेनिफेस्टो को जारी करने के बाद नरेंद्र मोदी और भाजपा को चुनौती भी दी. उन्होंने कहा कि मैं कल दोपहर 1 बजे तक का समय देता हूं, भाजपा दिल्ली के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करे और मेरे साथ तमाम मुद्दों पर बहस करे. उन्होंने कहा कि जनतंत्र में मुख्यमंत्री जनता चुनती है, ना कि किसी पार्टी का अध्यक्ष. अरविंद केजरीवाल फ्री बिजली और पानी देकर पहले ही भाजपा और कांग्रेस से अलग दिख रहे हैं, लेकिन उन्होंने भाजपा पर हमला करने के लिए इसे भी एक मुद्दा बना दिया है. दरअसल, भाजपा कई राज्यों में पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ी और जीती और फिर बाद में मुख्यमंत्री पद के चेहरे का ऐलान किया. केजरीवाल को डर है कि कहीं दिल्ली में भी ऐसा ना हो जाए. पिछले चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भाजपा हारी थी, क्योंकि लोगों ने भाजपा उम्मीदवार किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल में तुलना की थी. इस बार ये तुलना केजरीवाल और मोदी के बीच है, जिसने आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल को डरा दिया है.

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