कांग्रेस मुख्यालय का एक 'अशुभ' कमरा जिससे हर नेता डरता है...
कांग्रेस मुख्यालय में कमरों की अदला-बदली जोरों पर है. लेकिन एक कमरा ऐसा है, जिसे कोई नहीं लेना चाहता. खुलकर तो कोई नहीं बोल रहा लेकिन अंदरखाने ये बात चल पड़ी है कि कमरा 'अशुभ' है...
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नई दिल्ली के 24 अकबर रोड में कांग्रेस मुख्यालय में कमरों की अदला-बदली जोरों पर है. वैसे तो कांग्रेस मुख्यालय में एक छोटा कमरा पाने की होड़ रहती है, लेकिन महासचिव स्तर का एक कमरा और उससे जुड़ा हॉल फिलहाल कोई नेता लेने को तैयार नहीं है. ये है कमरा नम्बर 11 सी. खुलकर तो कोई कुछ नहीं बोलता, लेकिन कमरे को अशुभ मानकर किसी ना किसी बहाने से इस कमरे से पीछा छुड़ा लेता है या फिर किसी दूसरे छोटे कमरे में जाने की अर्जी लगा देता है. फिलहाल ये कमरा खाली ही है और कोई नेता इसमें दफ्तर खोलने को राज़ी नहीं हैं.
क्या है कमरे की कहानी...
दरअसल, यूपीए 2 के दौरान महासचिव बने चौधरी विरेन्दर को कमरा नम्बर एलाट किया गया. इसमें बाहर के हाल, अटैच बाथरूम और अन्दर एक कमरा है. लेकिन चौधरी विरेन्दर सिंह को भूपिन्दर सिंह हुड्डा के चलते कमरा तो क्या पार्टी ही छोड़नी पड़ गई. जिसके बाद छोटे कमरे से काम-काज कर रहे शकील अहमद को ये कमरा दे दिया गया. लेकिन पहले दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के प्रभारी महासचिव बनाये गए शकील अहमद के इस कमरे में आने के बाद उनसे भी एक-एक करके सारे प्रभार ले लिए गए. फिर उनकी महासचिव पद से भी विदाई हो गई. तभी से ये कमरा खाली है.
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वैसे नेताओं के करीबियों का कहना है कि 11 सी में घुसते ही हॉल के साथ अटैच बाथरूम है. जिसका दरवाजा हॉल की तरफ खुलता है, जो वास्तु के हिसाब से सही नहीं है. हालांकि, कांग्रस मुख्यालय में ऐसे और भी कमरे हैं. लेकिन वीरेन्दर की पार्टी से विदाई और शकील की छुट्टी ने नेताओं के मन में वहम तो डाल ही दिया है.
एलॉट होने के बावजूद नेताओं ने नहीं लिया कमरा नम्बर 11सी-
कांग्रेस मुख्यालय की मेन बिल्डिंग में सीनियर नेताओं को मिले हुए हैं. लेकिन कमलनाथ और गुलाम नबी आज़ाद के महासचिव बनने के बाद कद के लिहाज छोटे दो नेताओं को पीछे की बिल्डिंग के कमरों में जाना था. ऐसे में तीन नेताओं को कमरे बदलने की नौबत आई. वो हैं रणदीप सुरजेवाला, बीके हरिप्रसाद और मुकुल वासनिक. सुरजेवाला को मेन बिल्डिंग से हटाकर पीछे के कमरों में जाना था, क्योंकि वो महज मीडिया प्रभारी हैं, महासचिव नहीं. लेकिन उनको जरूरत की चलते बड़े कमरे की दरकार थी.
मुकुल वासनिक इन तीनों में सीनियर हैं, इसलिए उनको मेन बिल्डिंग के फ्रंट की बजाए बैक साइड में बीके हरिप्रसाद का बड़ा कमरा दे दिया गया. बीके हरिप्रसाद महासचिव हैं, इसलिए वो चाहते तो शकील अहमद की जगह पीछे की बिल्डिंग में अटैच बाथरूम वाला बड़ा 11 सी ले सकते थे. लेकिन उन्होंने मेन बिल्डिंग के बैक साइड में बिना बाथरूम अटैच और 11 सी से छोटा दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको का कमरा मांग लिया.
पीसी चाको सिर्फ प्रभारी हैं, महासचिव नहीं. इसलिए उनको नार्थ-ईस्ट के प्रभारी रहे नारायन सामी का कमरा दे दिया गया. नारायन स्वामी के पुद्दुचेरी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ये कमरा खाली है.
ऐसे में रणदीप सुरजेवाला को आखिरकार शकील अहमद वाला 11सी एलाट कर दिया गया. लेकिन सुरजेवाला ने नहीं लिया और नये कमरे की अर्जी दे दी. साथ ही नए प्लान के साथ अर्जी दी, जो मंजूर कर ली गई. सुरजेवाला ने कहा कि, मेन बिल्डिंग के सबसे करीब पीछे की बिल्डिंग के मीडियाकर्मियों वाले कमरे को मीडिया कोआर्डिनेटर के कमरे के साथ जोड़कर एक कर दिया जाए और मीडियाकर्मियों को शकील अहमद वाला 11 सी दे दिया जाए.
मीडिया वालों के लिए तैयार किया जा रहा है ये कमरा |
बाथरूम अटैच होने से मीडिया वालों को सुविधा रहेगी और उनको बड़ी जगह भी मिल जाएगी. इस प्रस्ताव को मान लिया गया और कमरे पर काम शुरू हो गया. दो कमरों को जोड़ने के लिए दीवार तोड़कर दरवाजा लगाने का काम शुरु कर दिया गया. फिर भी सुरजेवाला पहले जिस कमरे में थे, उसमें अटैच बाथरूम था, अब वो कमलनाथ के लिए तैयार किया जा रहा है और इस नए दफ्तर में सुरजेवाला बिना अटैच बाथरूम के ही रहेंगे. हां, शायद दिल में आया वहम ज़रूर उनको राहत की सांस देगा.
वैसे दिलचस्प है, जब नेताओं ने नहीं लिया तो आखिर में 11सी को मीडिया कर्मियों के लिए एलाट कर दिया गया. 11 सी में साफ-सफाई, पुताई चालू कर दी गई है और उसको खाली किया जाने लगा है. जल्द ही इसे मीडियाकर्मियों के लिए तैयार कर दिया जाएगा.
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