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Updated: 03 अप्रिल, 2019 02:42 PM
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लोकसभा इलेक्शन 2019 का घमासान 11 अप्रैल से शुरू होने वाला है और इस घमासान का सबसे विध्वंसक युद्ध पूर्वी उत्तर प्रदेश में होगा. वो पांच सीटें जो इतनी काबिलियत रखती हैं कि चुनावों का नतीजा ही बदल दें. पीएम मोदी से लेकर राजनीति के कई बड़े दिग्गजों तक सभी इन्हीं पांच सीटों पर दांव लगाए बैठे हैं. मुलायम सिंह यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, मायावती सभी के लिए ये सीटें अहम हैं.

सपा-बसपा गठबंधन और प्रियंका गांधी की वाइल्ड कार्ड एंट्री ने तो इस घमासान को और भी रोमांचक बना दिया है. पहले ही फूलपुर और गोरखपुर उपचुनावों में सपा-बसपा गठबंधन का असर देखने को मिला है.

भले ही देश में मोदी बयार चल रही है, लेकिन इन पांच में से तीन सीटें बहुत हाईप्रोफाइल हैं. 2014 में कांग्रेस के वोट इन सीटों पर बढ़े थे यहां तक कि वाराणसी में भी ऐसा हुआ था जहां नरेंद्र मोदी खुद कैंडिडेट थे. हालांकि, नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट को कोई नुकसान नहीं होने वाला भले ही सपा-बसपा गठबंधन के साथ कांग्रेस या आप भी हाथ मिला ले.

कैसे पहुंचे इस अनुमान पर?

ये अनुमान 2009 और 2014 के वोटिंग पैटर्न के आधार पर निकाला जा सकता है. लोकसभा इलेक्शन पर सपा-बसपा गठबंधन और प्रियंका गांधी की एंट्री का असर पड़ना लाजमी है. बसपा-सपा गठबंधन पर भरोसा करने वाला वोटर ज्यादा परिवर्तनशील है. उदाहरण के तौर पर वाराणसी में ही बसपा के 67 प्रतिशत वोट और सपा के 63 वोट 2014 के चुनावों में कट गए थे. कांग्रेस के 14 प्रतिशत वोट इस चुनाव में बढ़े थे. नरेंद्र मोदी की दो लाख वोटों से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जीत को देखते हुए लगता है कि सपा-बसपा के पास गठबंधन के अलावा कोई चारा नहीं था.

कांग्रेस और सपा-बसपा पूर्वी उत्तर प्रदेश की इन पांच सीटों को टार्गेट करने के बारे में सोच रहे हैं. इनमें से अधिकतर हाई प्रोफाइल सीटें भाजपा के राज में हैं.

1. वाराणसी -

सांसद: नरेंद्र मोदी (पीएम)

2019 चुनाव का अनुमान: सुरक्षित

2019 चुनावों के लिए सबसे ज्यादा हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है वाराणसी की सीट. प्रियंका गांधी के आने से यहां कुर्सी की रेस थोड़ी और दिलचस्प हो गई है. 2014 में सिर्फ सपा और बसपा ने अपने वोट गंवाए थे और कांग्रेस को इस सीट पर नुकसान तो नहीं हुआ था. सपा-बसपा के जो वोट कटे थे वो नरेंद्र मोदी और आप के अरविंद केजरीवाल की तरफ बंट गए थे. कांग्रेस के तो 14 % वोट बढ़े थे यानी बसपा-सपा के नुकसान से कांग्रेस को भी थोड़ा फायदा ही हुआ था.

आंकड़े बताते हैं कि सपा-बसपा का गठबंधन भी नरेंद्र मोदी को टक्कर देने की स्थिति में नहीं हैं. यहां तक कि सभी विपक्षी पार्टियां जिनमें कांग्रेस और आप भी शामिल हैं वो भी नरेंद्र मोदी से करीब दो लाख वोट पीछे रहेंगी.

वाराणसी सीट पर मोदी को टक्कर देना किसी भी विपक्षी पार्टी के लिए आसान नहीं है. डेटा सोर्स: इलेक्शन कमीशन.वाराणसी सीट पर मोदी को टक्कर देना किसी भी विपक्षी पार्टी के लिए आसान नहीं है. डेटा सोर्स: इलेक्शन कमीशन.

2. मिर्जापुर

सांसद: अनुप्रिया सिंह पटेल (राज्य स्वास्थ्य मंत्री)

2019 चुनाव का अनुमान: खतरे में

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया सिंह पटेल की बात करें तो उनकी सीट खतरे में है. भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल से ये सांसद हैं और 2019 की लड़ाई में पीछे रह सकती हैं. 2014 में उन्हें 40% से ज्यादा वोट मिले थे और ये उनके विपक्षी की तुलना में दुगने थे. उनके खिलाफ समुद्र बींद (बसपा) लड़े थे. बसपा को इस सीट से पिछले चुनाव के मुकाबले 9% ज्यादा वोट मिले थे, लेकिन सपा के 50% वोट कट गए थे. यहां भी कांग्रेस को 174 प्रतिशत ज्यादा वोट मिले थे.

सपा-बसपा गठबंधन विपक्षी दलों को कुछ नुकसान जरूर पहुंचा सकता है, लेकिन उन्हें हरा नहीं पाएगा जब तक कांग्रेस भी उनके साथ नहीं हो लेती. पुराने चुनावों का वोटिंग पैटर्न देखें तो सपा-बसपा और कांग्रेस मिलकर 2019 चुनावों की दिशा इस सीट के लिए बदल सकते हैं. हालांकि, प्रियंका गांधी के आने के बाद से माहौल थोड़ा बदल गया है और इस सीट पर कांग्रेस अकेली ही कड़ी टक्कर दे सकती है.

कांग्रेस को पिछले इलेक्शन में इस सीट पर 172% वोटों का फायदा हुआ था.कांग्रेस को पिछले इलेक्शन में इस सीट पर 172% वोटों का फायदा हुआ था.

3. चंदौली

सांसद: महेंद्र नाथ पांडेय (पूर्व मंत्री और यूपी के भाजपा चीफ)

2019 चुनाव का अनुमान: खतरे में

महेंद्र नाथ पांडेय ने 2014 में चंदौली की सीट पर करीब एक तिहाई वोट पाए थे और बसपा के अनिल कुमार मौर्या को हराया था. वोटों का अंतर 1.5 लाख के करीब था. 2019 में उन्हें सपा-बसपा गठबंधन से कड़ी टक्कर मिल सकती है. 2014 में पांडेय को 4.14 लाख वोट जरूर मिले थे, लेकिन उस चुनाव में सपा-बसपा को मिलाकर 4.61 लाख वोट मिले थे. इस बार भी ये गठबंधन भाजपा उम्मीदवार के लिए मुसीबत बन सकता है. अगर इस गठबंधन के साथ कांग्रेस पार्टी भी मिल जाती है तो सीट हाथ से जाएगी और वोटों का मामला 74 हज़ार हो सकता है.

सपा-बसपा गठबंधन इस चुनाव में महेंद्र नाथ पांडेय के लिए खतरा पैदा कर सकता है.सपा-बसपा गठबंधन इस चुनाव में महेंद्र नाथ पांडेय के लिए खतरा पैदा कर सकता है.

4. आजमगढ़

सांसद: मुलायम सिंह यादव (सपा सुप्रीमो)

2019 चुनाव का अनुमान: सुरक्षित

आजमगढ़ सीट सपा-बसपा गठबंधन के लिए एक अहम सीट है और खुद सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भाजपा प्रत्याशी रमाकांत यादव को इस सीट से 2014 में करीब 50 हज़ार वोटों से हरा चुके हैं. ये पिछले चुनावों के मुकाबले 175% ज्यादा था.

वोटिंग पैटर्न और गठबंधन को देखें तो सपा के लिए 2019 में आजमगढ़ सीट सुरक्षित लगती है. पिछली बार भाजपा को इस सीट से सिर्फ 12 प्रतिशत वोटों में बढ़त मिली थी. आजमगढ़ उन दो सीटों में से एक है जहां कांग्रेस का पत्ता साफ हो गया था. मुलायम सिंह यादव 3.4 लाख वोट पाए थे और अगर इसमें पिछली बार के बसपा के वोट भी गिन लिए जाएं तो ये 6.06 लाख हो जाएगा. बसपा और भाजपा के बीच का अंतर इस सीट से सिर्फ 10,574 वोटों का था. कांग्रेस को सिर्फ 17000 वोट मिले थे इस सीट से जो 2009 की तुलना में 42 प्रतिशत कम थे.

 इस सीट को सपा का गढ़ कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इस सीट को सपा का गढ़ कहा जाए तो गलत नहीं होगा.

5. कुशीनगर

सांसद: राजेश पांडेय (भाजपा)

2019 चुनाव का अनुमान: सुरक्षित

कुशीनगर सीट प्रियंका गांधी के लिए असली अग्नि परीक्षा होगी. कांग्रेस पिछले चुनावों में इस सीट को दोबारा हासिल करने में नाकाम रही थी. कांग्रेस प्रत्याशी आरपीएन सिंह 2014 चुनावों में 2009 के मुकाबले कांग्रेस को 27% वोट ज्यादा दिलाने में कामियाब रहे थे, लेकिन फिर भी भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले 85 हज़ार वोटों से पराजित हुए थे. भाजपा के राजेश पांडेय को इस सीट से 39 प्रतिशत वोट मिले थे.

उत्तर प्रदेश, लोकसभा चुनाव 2019, पूर्वी यूपीयूपी की ये सीट प्रियंका गांधी की सबसे बड़ी चुनौती होगी.

वोटिंग डेटा के आधार पर ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस इस सीट को सपा-बसपा गठबंधन की मदद से ही जीत सकती है. अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के कैंडिडेट को 1.5 लाख ज्यादा वोट मिल सकते हैं. 2009 में आरपीएन सिंह ने ये सीट बसपा प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्या की तुलना में ज्यादा वोट पाकर जीती थी. फिर मौर्या भाजपा से जुड़ गए. ऐसे मामले में कांग्रेस को इस सीट से 85000 ज्यादा वोट लाने होंगे जीतने के लिए.

(यह स्टोरी IndiaToday online के लिए दीपू राय ने की थी.)

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