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राफेल विमानों के भारतीय वायुसेना में शामिल होते ही बदल गया सीमाओं पर शक्ति संतुलन

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 10 सितम्बर, 2020 01:56 PM
  • 10 सितम्बर, 2020 01:56 PM
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राफेल विमानों की भारतीय वायुसेना में औपचारिक एंट्री (Rafale induction) हो गई है. भारत-चीन सीमा विवाद के बीच राफेल विमानों की रणनीतिक भूमिका को काफी महत्वपूर्ण समझा जा रहा है. जानिए, इन विमानों की आक्रामक अग्रिम पंक्ति से इस इलाके के शक्ति संतुलन पर क्या असर पड़ेगा.

आज का दिन भारत (India) के लिए बेहद खास है. वजह है लड़ाकू विमान राफेल (Rafale) की भारतीय वायुसेना में एंट्री. अत्‍याधुनिक मिसाइलों और घातक बमों से लैस 5 राफेल विमान आज भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) के बेड़े में शामिल हो गए हैं. गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंंस पाएर की मौजूदगी में राफेल को भारतीय वायुसेना में और औपचारिक रूप से शामिल किया गया. पांच राफेल विमान 29 जुलाई को ही फ्रांस से उड़ान भरकर अंबाला एयरबेस पहुंचे थे. जो कि राफेल विमानों की स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज़ (Golden Arrows) का हेडक्वार्टर है. पिछले कई दिनों से राफेल फाइटर पायलटों की विमान उड़ानें से लेकर उस पर लगे हथियारों के उपयोग की ट्रेनिंग चल रही थी. जिसके पूरा होने की घोषणा भी की गई. वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने भारत-चीन तनाव के बीच राफेल विमानों की तैनाती को बेहद महत्वपूर्ण बताया. याद रहे राफेल विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े का अब तक का सबसे घातक फाइटर जेट है, जो न सिर्फ ज़मीन बल्कि आसमान से भी अचूक निशाना साध सकता है. इसकी क्षमता चीन (China) के जे-20 और पाकिस्तान (Pakistan) के F-16 से कहीं ज्यादा बेहतर है. वैसे भारत एकलौता देश नहीं है जिसने फ्रांस (France) से राफेल जेट को खरीदा है. दुनिया के कुछ देश और हैं जिसने ये विमान फ्रांस से खरीद रखा है. कुछ को ये विमान मिल भी चुके हैं कुछ अभी भी इस विमान के इंतजार मे हैं.

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार राफेल हिंदुस्तान आ ही गया

भारत ने इससे पहले सन् 1997-98 में रूस से सुखोई विमान खरीदे थे. जो मौजूदा वक्त में भी भारत के सबसे खास विमानों में से एक हैं. भारत को राफेल आसानी से नहीं मिला है. सन 2001 में भारत ने 126 लड़ाकू विमानों को खरीदने का फैसला किया था. वर्ष...

आज का दिन भारत (India) के लिए बेहद खास है. वजह है लड़ाकू विमान राफेल (Rafale) की भारतीय वायुसेना में एंट्री. अत्‍याधुनिक मिसाइलों और घातक बमों से लैस 5 राफेल विमान आज भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) के बेड़े में शामिल हो गए हैं. गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंंस पाएर की मौजूदगी में राफेल को भारतीय वायुसेना में और औपचारिक रूप से शामिल किया गया. पांच राफेल विमान 29 जुलाई को ही फ्रांस से उड़ान भरकर अंबाला एयरबेस पहुंचे थे. जो कि राफेल विमानों की स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज़ (Golden Arrows) का हेडक्वार्टर है. पिछले कई दिनों से राफेल फाइटर पायलटों की विमान उड़ानें से लेकर उस पर लगे हथियारों के उपयोग की ट्रेनिंग चल रही थी. जिसके पूरा होने की घोषणा भी की गई. वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने भारत-चीन तनाव के बीच राफेल विमानों की तैनाती को बेहद महत्वपूर्ण बताया. याद रहे राफेल विमान भारतीय वायुसेना के बेड़े का अब तक का सबसे घातक फाइटर जेट है, जो न सिर्फ ज़मीन बल्कि आसमान से भी अचूक निशाना साध सकता है. इसकी क्षमता चीन (China) के जे-20 और पाकिस्तान (Pakistan) के F-16 से कहीं ज्यादा बेहतर है. वैसे भारत एकलौता देश नहीं है जिसने फ्रांस (France) से राफेल जेट को खरीदा है. दुनिया के कुछ देश और हैं जिसने ये विमान फ्रांस से खरीद रखा है. कुछ को ये विमान मिल भी चुके हैं कुछ अभी भी इस विमान के इंतजार मे हैं.

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार राफेल हिंदुस्तान आ ही गया

भारत ने इससे पहले सन् 1997-98 में रूस से सुखोई विमान खरीदे थे. जो मौजूदा वक्त में भी भारत के सबसे खास विमानों में से एक हैं. भारत को राफेल आसानी से नहीं मिला है. सन 2001 में भारत ने 126 लड़ाकू विमानों को खरीदने का फैसला किया था. वर्ष 2008 में अमेरिका, रूस, फ्रांस और स्वीडन की कंपनियों ने विमानों के लिए बोली लगाई. आखिर में फ्रांस की कंपनी के साथ करार तय हुआ.

वर्ष 2015 में मोदी सरकार ने पूरी डील को बदल डाला और 126 राफेल की जगह 36 राफेल जेट का नया करार हुआ. इसमें कुछ आधुनिक चीजों में बदलाव भी किया गया था. इसी नए करार को लेकर विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार को खूब घेरा भी था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस नए करार को सही माना था. राजनीति से अलग हटकर ये सौदा अपने अंजाम को पहुंचा और आज राफेल ने भारत की सरज़मीन पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है जिस पर हर एक भारतवासी को गर्व है.

भारत को राफेल मिल चुका है अब चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की धड़कनें बढ़ गई हैं. राफेल बेहद आधुनिक विमान है जो भारत के पड़ोसी देशों में से किसी के पास भी नहीं है. भारत (36 राफेल) के अलावा इजिप्ट (24 राफेल), और कतर (25 राफेल) की डील फ्रांस से पक्की हुई है और इन्हीं देशों को अभी राफेल की सप्लाई की जा रही है. जबकि फिनलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और स्विटजरलैंड जैसे देशों की डील अभी जारी है.

कुछ ऐसे भी देश हैं जिनका करार तक तय नहीं हो पाया है और डील फेल हो चुकी है. इनमें ब्राजील, कनाडा, कुवैत, लीबिया और सिंगापुर जैसे देश हैं. भारत विश्व का चौथा सबसे शक्तिशाली वायुसेना वाला देश है, इसलिए भारत के पास राफेल के अलावा भी कई अन्य विमान हैं जो दुश्मन देशों को चारों खाने चित कर सकते हैं. इनमें मिग-21, सुखोई-30, मिग-27, जगुआर, मिराज-2000, मिग-29, एसयू-30 और तेजस जैसे शक्तिशाली विमान पहले से ही भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हैं. और अब राफेल के आने से भारत की ताकत और बढ़ गई है. फ्रांस की ओर से 36 राफेल भारत को 2021 के अंत तक मिल जाएंगे जिसके बाद भारत का दबदबा विश्व में और बढ़ जाएगा.

एक नज़र विश्व की 5 शक्तिशाली वायुसेनाओं पर -

अमेरिका - कुल विमान (5638), लड़ाकू विमान (3680), सैनिक (3 लाख 32 हजार)

रूस - कुल विमान (1000), लड़ाकू विमान (4500), सैनिक (1 लाख 60 हजार)

इजराइल - कुल विमान (1964), लड़ाकू विमान (396), सैनिक (27 हजार)

भारत - कुल विमान (1500), लड़ाकू विमान (300), सैनिक (1 लाख 70 हजार)

युनाइटेड किंगडम - कुल विमान (1004) लड़ाकू विमान (240), सैनिक (41 हजार)

(आंकड़े 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार वायुसेना से लिए गए हैं)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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