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Coronavirus के साथ-साथ 'छींको-फ़ोबिया' से भी बचना जरूरी

    • प्रीति अज्ञात
    • Updated: 16 अप्रिल, 2020 04:00 PM
  • 16 अप्रिल, 2020 04:00 PM
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कोरोना वायरस (Coronavirus) के इस दौर में पब्लिक प्लेस या आपसी गैदरिंग में छींकना (Sneezing) और खांसना (Coughing) किसी अपराध से काम नहीं है. लोगों में बीमारी का खौफ ऐसा है कि लोग एक दूसरे को गोली मारने से भी नहीं चूक रहे हैं.

जहां एक ओर देश भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचने और इसके लक्षणों को समझाने के लिए कोई भी क़सर नहीं छोड़ी जा रही है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस बात को मरते दम तक न समझने और भ्रांतियों पर भरोसा करने की ही ठान रखी है. यह अंधविश्वास भी नहीं कोरी बेवकूफ़ी ही है. यही बेवकूफ़ी तब अपराध में बदल जाती है जब मात्र खांसने भर से कोई किसी को गोली मार देता है. जी हां, पिस्तौल से निकलती गोली की ही बात हो रही है.

क्या है यह घटना?

यह अज़ीबोग़रीब घटना उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) के गौतमबुद्ध नगर की है. जहां ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में लूडो खेल रहे चार युवकों में से एक, प्रशांत को खांसी आ गई. बात बढ़ते-बढ़ते कोरोना वायरस फ़ैलाने के इल्ज़ाम तक पहुंच गई और वीर उर्फ गुल्लू ने गुस्से में आकर तमंचे से प्रशांत पर गोली चला दी, जिससे प्रशांत घायल हो गया. गोली उसकी जांघ पर लगी है और फ़िलहाल वह ख़तरे से बाहर है.

आज के समय में सरेआम छींकना और खांसना किसी अपराध से कम नहीं है

यह उसकी क़िस्मत थी कि वह बच गया लेकिन ऐसे न जाने कितने किस्से सोशल मीडिया पर रोज़ दिखाई दे जाते हैं जहां कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाकर लोगों से दुर्व्यवहार किया जाता है उन्हें प्रताड़ना दी जाती है. मृत्यु का भय समझ आता है पर स्वयं को बचाने के लिए किसी और की जान ले लेना कहां की बुद्धिमानी है.

क्या खांसना और छींकना ग़ुनाह है?

इस वायरस से पीड़ित मरीज़ों के लक्षण संचार के हर माध्यम फ़ोन, मैसेज, टीवी, रेडियो, अख़बार, सोशल मीडिया के द्वारा हम तक प्रतिदिन पहुंच रहे हैं. उसके बावजूद भी ऐसी घटनाएं हैरानी में डाल देती हैं. छींकना-खांसना स्वाभविक और अनैच्छिक क्रियाएं हैं, इन्हें चाहकर भी रोका नहीं जा सकता....

जहां एक ओर देश भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचने और इसके लक्षणों को समझाने के लिए कोई भी क़सर नहीं छोड़ी जा रही है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस बात को मरते दम तक न समझने और भ्रांतियों पर भरोसा करने की ही ठान रखी है. यह अंधविश्वास भी नहीं कोरी बेवकूफ़ी ही है. यही बेवकूफ़ी तब अपराध में बदल जाती है जब मात्र खांसने भर से कोई किसी को गोली मार देता है. जी हां, पिस्तौल से निकलती गोली की ही बात हो रही है.

क्या है यह घटना?

यह अज़ीबोग़रीब घटना उत्तर प्रदेश (ttar Pradesh) के गौतमबुद्ध नगर की है. जहां ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में लूडो खेल रहे चार युवकों में से एक, प्रशांत को खांसी आ गई. बात बढ़ते-बढ़ते कोरोना वायरस फ़ैलाने के इल्ज़ाम तक पहुंच गई और वीर उर्फ गुल्लू ने गुस्से में आकर तमंचे से प्रशांत पर गोली चला दी, जिससे प्रशांत घायल हो गया. गोली उसकी जांघ पर लगी है और फ़िलहाल वह ख़तरे से बाहर है.

आज के समय में सरेआम छींकना और खांसना किसी अपराध से कम नहीं है

यह उसकी क़िस्मत थी कि वह बच गया लेकिन ऐसे न जाने कितने किस्से सोशल मीडिया पर रोज़ दिखाई दे जाते हैं जहां कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाकर लोगों से दुर्व्यवहार किया जाता है उन्हें प्रताड़ना दी जाती है. मृत्यु का भय समझ आता है पर स्वयं को बचाने के लिए किसी और की जान ले लेना कहां की बुद्धिमानी है.

क्या खांसना और छींकना ग़ुनाह है?

इस वायरस से पीड़ित मरीज़ों के लक्षण संचार के हर माध्यम फ़ोन, मैसेज, टीवी, रेडियो, अख़बार, सोशल मीडिया के द्वारा हम तक प्रतिदिन पहुंच रहे हैं. उसके बावजूद भी ऐसी घटनाएं हैरानी में डाल देती हैं. छींकना-खांसना स्वाभविक और अनैच्छिक क्रियाएं हैं, इन्हें चाहकर भी रोका नहीं जा सकता. स्प्रिंग का यह मौसम ही एलर्जी का होता है जहां वातावरण में परागकण (pollens) उपस्थित होते हैं जिससे हमें खांसी, छींक, रैशेज़ या अन्य तरह की एलर्जी प्रतिवर्ष होती है, इस बार कुछ नया नहीं हो रहा है. सर्दी-गर्मी के कारण कितने ही लोग इस समय ज़ुकाम के भी शिकार हो जाते हैं.

तात्पर्य यह है कि खांसना और छींकना ग़ुनाह नहीं है. हर बात को कोरोना से जोड़ना ठीक नहीं. जनता को चाहिए कि इस 'छींको-फ़ोबिया' से बाहर निकले और इसे कोरोना जैसा घातक रंग देने की कोशिश न करे. इतना जरूर है कि कोरोना हो न हो पर इन क्रियाओं (coughing & sneezing) के शिष्टाचार (etiquette) का पालन सदैव और अवश्य ही होना चाहिए क्योंकि स्वच्छता की महत्ता हमेशा ही रहती है.

यदि आपके पास रूमाल नहीं है तो आप अपनी कोहनी की तरफ़ छींक या खाँस सकते हैं. डिस्पोज़ेबल टिशु भी स्वीकार्य है. यदि आपने हाथों का इस्तेमाल कर ही लिया है तो फिर वही 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धो लीजिये या सैनीटाइज़र का प्रयोग कीजिये.

लक्षणों का पुनर्पठन

WHO द्वारा जारी एक चार्ट के अनुसार बुख़ार, सूखी खांसी, सांस लेने में तक़लीफ़ COVID-19 के सामान्य लक्षण हैं कभी-कभी सिरदर्द, थकान और गले में दर्द भी रह सकता है. डायरिया, नाक बहना न्यूनतम है तथा केवल खांसना/ छींकना इस बीमारी का लक्षण नहीं देखा गया है. चूंकि यह वायरस, संक्रमित मरीज़ के खांसने से उसके आसपास दो मीटर के क्षेत्र में रह सकता है और यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति उस समय वहां से गुजर रहा हो या वहां उपस्थित हो तो श्वांस नलिका के माध्यम से यह वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर सकता है.

सामान्यजन को यह सावधानी रखनी है कि सार्वजनिक स्थानों पर दरवाजे, कुर्सी या अन्य वस्तुओं को स्पर्श करने के बाद अपने चेहरे को न छुएं और यथाशीघ्र अपने हाथ अच्छी तरह से स्वच्छ कर लें. धोना संभव नहीं हो तो सैनिटाइज़र का प्रयोग करें.

हमें बस इतना ही करना है -

बीमारी को समझें और अन्य गंभीर लक्षण दिखने पर भी तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें लेकिन यह कभी न भूलें कि सामान्य रूप से छींकने और खांसने में शर्मिंदा होने जैसा कुछ नहीं है. हमारे पास पर्याप्त मात्रा में समस्याएं हैं, नित नई अफ़वाहें फ़ैलाने से बेहतर कि हम अपनी ऊर्जा और समय उनको दूर करने और बीमारी से बचाव की सही प्रक्रिया में लगाएं. जनता को जागरूक करें. यह इस 'वैश्विक बीमारी' से एकजुट हो लड़ने का समय है. तब तक अपना ख़्याल रखें, स्वस्थ रहें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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