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Coronavirus: हरिद्वार काशी मथुरा अयोध्या उज्जैन में क्या कर रहे थे तब्लीग़ी?

    • आर.के.सिन्हा
    • Updated: 14 अप्रिल, 2020 08:24 PM
  • 14 अप्रिल, 2020 08:24 PM
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कोरोना वायरस (Coronavirus) के मद्देनजर जमातियों के आतंक से पूरा देश खौफजदा है. इस बीच हरिद्वार (Haridwar) काशी (Kashi) मथुरा (Mathura) अयोध्या (Ayodhya) उज्जैन (Ujjain) से तमाम जमातियों को पकड़ा गया है. बड़ा सवाल ये है कि हिन्दुओं के सबसे खास धार्मिक स्थानों में शुमार इन जगहों पर क्या कर रहे थे तब्लीग़ी जमात के लोग ?

एक बात समझ नहीं आ रही है कि हिन्दुओं के अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों क्रमश: हरिद्वार (Haridwar) और बनारस (Varanasi) में तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के कार्यकर्ता निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) से क्यों पहुंच गए? इसके पीछे उनका इरादा क्या था? यह हरिद्वार और काशी तक ही सीमित नहीं रहा. लगभग सभी महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक स्थानों पर पहुंच गये जो वहां के निवासी नहीं थे. आखिर हफ़्तों मरकज के जलसे के बाद इन्हें अपने घरों की याद क्यों नहीं आई? वे किनके निर्देश पर वहां गये. पहले बात हरिद्वार की. कोरोना वायरस (Coronavirus) की जांच से कथित तौर पर बचने का प्रयास कर रहे तबलीगी जमात के 5 सदस्यों के खिलाफ स्थानीय पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है. तबलीगी जमात के ये सदस्य राजस्थान के अलवर के रहने वाले हैं और निजामुद्दीन, दिल्ली की मरकज से लौटे थे. वे जांच से बचने के लिए जानबूझकर छिपे हुए थे. इनके एक साथी में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि भी हुई है.

प्रशासन द्वारा बार-बार अपील करने और चेतावनी देने के बावजूद ये जांच कराने से बचने के लिए छिप रहे थे, क्यों ? इस कारण उन्होंने अपना और दूसरों का जीवन भी खतरे में डाल दिया. इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की मदद से उनका पता लगाकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. आखिर इन्हें जांच से पहरेज क्यों था? इन सवाल का जवाब तो इन्हें देना होगा. अब बनारस की ओर चलते हैं. वहां पर तबलीगी जमात के दो सदस्यों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इनमें से एक तो दशाश्वमेध थाना क्षेत्र में रहता है.

सबको पता है कि दशाश्वमेध घाट गंगातट का सुप्रसिद्ध स्थान है. इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. काशीखंड के अनुसार शिवप्रेषित ब्रह्मा ने काशी में आकर यहीं दस अश्वमेध यज्ञ किये थे. यहाँ प्रयागेश्वर का मंदिर है. हिन्दुओं के इतने महत्वपूर्ण स्थान में वह तबलीगी क्या कर रहा था? किसे नहीं मालूम कि तबलीगी जमात का मूल मकसद तो गैर-मुसलमानों को इस्लाम से जोड़ना है.

एक बात समझ नहीं आ रही है कि हिन्दुओं के अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों क्रमश: हरिद्वार (Haridwar) और बनारस (Varanasi) में तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के कार्यकर्ता निजामुद्दीन मरकज (Nizamuddin Markaz) से क्यों पहुंच गए? इसके पीछे उनका इरादा क्या था? यह हरिद्वार और काशी तक ही सीमित नहीं रहा. लगभग सभी महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक स्थानों पर पहुंच गये जो वहां के निवासी नहीं थे. आखिर हफ़्तों मरकज के जलसे के बाद इन्हें अपने घरों की याद क्यों नहीं आई? वे किनके निर्देश पर वहां गये. पहले बात हरिद्वार की. कोरोना वायरस (Coronavirus) की जांच से कथित तौर पर बचने का प्रयास कर रहे तबलीगी जमात के 5 सदस्यों के खिलाफ स्थानीय पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है. तबलीगी जमात के ये सदस्य राजस्थान के अलवर के रहने वाले हैं और निजामुद्दीन, दिल्ली की मरकज से लौटे थे. वे जांच से बचने के लिए जानबूझकर छिपे हुए थे. इनके एक साथी में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि भी हुई है.

प्रशासन द्वारा बार-बार अपील करने और चेतावनी देने के बावजूद ये जांच कराने से बचने के लिए छिप रहे थे, क्यों ? इस कारण उन्होंने अपना और दूसरों का जीवन भी खतरे में डाल दिया. इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की मदद से उनका पता लगाकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. आखिर इन्हें जांच से पहरेज क्यों था? इन सवाल का जवाब तो इन्हें देना होगा. अब बनारस की ओर चलते हैं. वहां पर तबलीगी जमात के दो सदस्यों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इनमें से एक तो दशाश्वमेध थाना क्षेत्र में रहता है.

सबको पता है कि दशाश्वमेध घाट गंगातट का सुप्रसिद्ध स्थान है. इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. काशीखंड के अनुसार शिवप्रेषित ब्रह्मा ने काशी में आकर यहीं दस अश्वमेध यज्ञ किये थे. यहाँ प्रयागेश्वर का मंदिर है. हिन्दुओं के इतने महत्वपूर्ण स्थान में वह तबलीगी क्या कर रहा था? किसे नहीं मालूम कि तबलीगी जमात का मूल मकसद तो गैर-मुसलमानों को इस्लाम से जोड़ना है.

तब्लीग़ी जमात के लोग सरकार के साथ साथ पूरे देश के लिए किसी चुनौती की तरह नजर आ रहे हैं

क्या ये दोनों तबलीगी बनारस में यह सब कर रहे थे? यह बिलकुल मुमकिन लगता है कि ये बेशर्मी से नवरात्रों में संक्रमण फ़ैलाने के उद्देश्य से आये थे.इस बीच, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से आई खबरों के अनुसार, वहां पर कुछ इंडोनेशिया के तबलीगी जमात के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने पकड़ा है. बड़ा सवाल यह है कि वे दिल्ली में अपने कार्यक्रम की समाप्ति के बाद सहारनपुर में क्या झक मार रहे थे? देखिए सहारनपुर बहुत दूर नहीं है हरिद्वार के.

ये कोई बहुत पुरानी बात नहीं है जब हरिद्वार हिस्सा भी हुआ करता था सहारनपुर जिले का. क्या ये सब तबतीगी जमात के सदस्य देश को कोरोना वायरस के जाल में फंसाने के इरादे से घूम रहे थे? इन्हें यह तो पता ही था कि ऋषिकेश-हरिद्वार में लाखों की संख्या में भक्त गंगा स्नान के लिये आयेंगें. क्या इनके निशाने पर हिन्दुओं के खास धार्मिक स्थल थे? जाहिर है, इन सवालों के जवाब इन धूर्त लोगों से सघन जांच के बाद ही तो मिल सकेंगे.

इन सबके हरिद्वार और बनारस में पाए जाने से ये संकेत भी लग रहे है कि ये एक तरह से आत्मघाती संक्रामक मानवबम का काम कर रहे थे. क्या ये हिन्दुओं की बड़ी आबादी को कोरोना के वायरस के जाल में फंसा रहे थे. अकेले उत्तर प्रदेश में ही 287 विदेशी नागरिक पकड़े गए हैं. इनमें से 211 के पासपोर्ट भी सीज कर दिए हैं. लखनऊ में कई विदेशी नागरिकों को पकड़ा गया था, जिन्होंने दिल्ली के निजामुद्दीन में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था.

अब इन्हें 14 दिन क्वोंरनटाइन करवा कर अब जेल भेज दिया गया है. इसी तरह दो संक्रमित तबलीगी तो महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में ही छिपे हुये थे. अब ये आइसोलेशन में रखे गये हैं. यही हाल तमिलनाडु और तेलंगाना के धार्मिक शहरों का भी है. अब ये बात पूरी दुनिया को पता चल चुकी है कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति बहुत सारे लोगों को इस भयानक वायरस का शिकार बना देता है.

बेशक, इन पकड़े गए तबलीगी जमात के सदस्यों ने न मालूम कितने मासूस लोगों को कोरोना वायरस का शिकार बनाकर मौत के मुंह में धकेल दिया है. दिल्ली में अपने सम्मेलन को खत्म करने के बाद तबलीगी जमात के सारे देश में गए. जहां भी गए वे कोरोना वायरस का संक्रमण लेकर ही गए. ताजा जानकारी पर यकीन करें तो इन्होंने देश के 17 राज्यों में कोरोना के वायरस को पहुंचाया.

अभी तक देश में कोरोना के कुल रोगियों में इनके द्वारा संक्रमित होने वालों का आंकड़ा तीस फीसद तक जाता है. सिर्फ तमिलनाडू के एक हजार संक्रमित लोगों में से 900 से ज्यादा संक्रमण का इतिहास दिल्ली से लौटे तबलीगी जमायतियों से ही जुड़ा है. यह केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रलाय का आंकड़ा है. अब जरा सोच लें कि इन्होंने देश को कितने बड़े संकट में डाल दिया है.

ये तो भला हो उन दिन-रात मेहनत कर रहे डाक्टरों, नर्सों, पुलिस, सफाई योद्धाओं वगैरह का जो इन तबलीगियों का जमीन पर मुकाबला कर रहे हैं. वर्ना तो मानवता के ये दुश्मन अपने मकसद में सफल हो ही जाते. एक बात तो साफतौर पर लग रही है कि तबलीगी जमात के लोग उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को कोरोना के माध्यम से बड़ा नुकसान पहुंचाने की फिराक में थे. इसलिए ही इन राज्यों में और तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडू में इतने सारे देसी-विदेशी तबलीगी कार्यकर्ता घूम रहे थे.

कहना न होगा कि अपने को सच्चा मुसलमान कहने वालों के कारण ही इस्लाम की भी बदनामी हुई है. ये कुछ हजार लोग देश के बीस करोड़ मुसलमानों का प्रतिनिधित्व तो कदापि नहीं करते. इन्होंने गाजियाबाद के एमएमजी जिला अस्पताल की महिला नर्सों पर थूका भी. लानत है इन पर अच्छी बात यह है कि इन टुच्चे तबलीगी जमात के लोगों पर सख्ती कर रही है योगी सरकार की पुलिस.

मुख्यमंत्री योगी ने सभी ऐसे आरोपियों पर रासुका (एनएसए) के तहत कार्रवाई करने के निर्देश देकर एक नजीर रखी है जिन्होंने पुलिस की अपील की परवाह नहीं की और जिन्हें बाद में पुलिस को खोजकर पकड़ना पड़ा. बेशक, देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी जमातियों पर सख्ती दिखानी चाहिए. यह तो साबित हो गया कि ये देश के कानून को नहीं मानते हैं.

ये मानवता के दुश्मन हैं. इन्होंने देश- समाज के साथ जघन्य अपराध किया है. इनका यह कृत्य राष्ट्रद्रोह नहीं तो और क्या है? देखिए, कोरोना संकट ने देश को एक बड़ा अवसर भी दिया है कि वह अपने को बदल ले. यहां पर लुंज-पुंज तरीके से शासन ना चले. जो भी कानून का उल्लंघन करे उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई हो. अब देखिए कि लॉकडाउन के समय पुलिसकर्मियों पर हमलों के समाचार भी लगातार ही मिल रहे हैं.

पंजाब में एक पुलिस अधिकारी का हाथ काट देने के मामले से देश सन्न है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अपने पैतृक शहर पटियाला में बिना पास के सब्जी मंडी के अंदर जाने से रोकने पर निहंग सिखों ने पुलिसकर्मियों पर तलवारों से हमला कर दिया. इस हमले में एक पुलिसकर्मी का हाथ ही काटकर अलग कर दिया गया.

निहंगों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया. ये निहंग हमला करने के बाद एक गुरुद्वारे में छिप गए. गुरुद्वारे से आरोपियों ने कथित तौर पर फायरिंग भी की और पुलिसवालों को वहां से चले जाने के लिए भी कहा. खैर, उन हमलवर निहंगों को पकड़ लिया गया है. तो बात यह है कि चाहें वे निहंग हों या तबलीगी जमात के लोग या फिर भी कोई और.

किसी को भी कानून के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत ना दी जाए. इसमें धर्म और आस्था का सवाल नहीं है. जरा सोचिए कि इन तबलीग जमात के गुंडों और निहंगों में कानून के खिलाफ चलने की हिम्मत कैसे आई. इस तरह से तो देश नहीं चल सकता.  देश तो कानून और संविधान के रास्ते पर ही चलेगा. इस बात को सबको समझ लेना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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