• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

2024 के लिए केजरीवाल ने दिखाया 2014 के मोदी वाला तेवर, निशाने पर तो कांग्रेस है

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 19 अगस्त, 2022 07:27 PM
  • 19 अगस्त, 2022 07:27 PM
offline
ऊपर से तो ऐसा ही लग रहा है जैसे अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) 2024 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को चैलेंज करने जा रहे हैं, लेकिन उनके राजनीतिक इरादे अलग हैं - वो तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पछाड़ने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का नया अंदाज भी कुछ कुछ पुराना ही है. असल में अरविंद केजरीवाल अब पहले जैसे बिलकुल नहीं रह गये हैं. राजनीति में आने के बाद अपने सपने को राष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के मुद्दे को काफी पीछे छोड़ हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की राह पकड़ चुके हैं.

जब वो 75 साल की बात करते हैं तो शुरुआती दिनों वाला तेवर नजर आता है, जब वो कहा करते थे संसद में हत्यारे, बलात्कारी और लुटेरे बैठे हुए हैं. बातें वैसी ही हैं, लेकिन भाषा में थोड़ा संयम महसूस किया जा सकता है, 'अगर हम इस देश को इन नेताओं के भरोसे छोड़ देंगे, तो हम और पिछड़ जाएंगे.'

लेकिन जब वो 'भारत को नंबर 1 बनाने' के राष्ट्रमिशन से जुड़ने की अपील करते हैं तो लगता है जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के 2014 वाले 'अच्छे दिन...' के स्लोगन को नयी पैकेजिंग के साथ पेश कर रहे हों - मतलब, अरविंद केजरीवाल की राजनीति में अब आधे पुराने और आधे नये का मिलाजुला भाव महसूस किया जा सकता है.

अपनी तरफ से अरविंद केजरीवाल तो यही मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कि वो 2024 में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चैलेंज करने का मिशन शुरू कर चुके हैं - लेकिन क्या आपको भी ऐसा ही लगता है?

हो सकता है कुछ लोगों को ऐसा महसूस भी हो रहा हो. बेशक बहुत सारे लोगों को निराश होना पड़ा है, जिनको अरविंद केजरीवाल से राजनीति में अनलिमिटेड उम्मीदें थी, लेकिन ऐसे भी तो लोग हैं ही जो अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हैं. दिल्ली और पंजाब के लोगों ने तो सबूत भी दे दिया है. गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक तक पहुंच कर केजरीवाल और उनके साथी वैसे ही सबूतों की तलाश में हैं - और देश की पूरी आबादी से जुड़ने के मिशन ने तो केजरीवाल ऐंड कंपनी के आगे का इरादा भी साफ कर दिया...

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का नया अंदाज भी कुछ कुछ पुराना ही है. असल में अरविंद केजरीवाल अब पहले जैसे बिलकुल नहीं रह गये हैं. राजनीति में आने के बाद अपने सपने को राष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के मुद्दे को काफी पीछे छोड़ हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की राह पकड़ चुके हैं.

जब वो 75 साल की बात करते हैं तो शुरुआती दिनों वाला तेवर नजर आता है, जब वो कहा करते थे संसद में हत्यारे, बलात्कारी और लुटेरे बैठे हुए हैं. बातें वैसी ही हैं, लेकिन भाषा में थोड़ा संयम महसूस किया जा सकता है, 'अगर हम इस देश को इन नेताओं के भरोसे छोड़ देंगे, तो हम और पिछड़ जाएंगे.'

लेकिन जब वो 'भारत को नंबर 1 बनाने' के राष्ट्रमिशन से जुड़ने की अपील करते हैं तो लगता है जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के 2014 वाले 'अच्छे दिन...' के स्लोगन को नयी पैकेजिंग के साथ पेश कर रहे हों - मतलब, अरविंद केजरीवाल की राजनीति में अब आधे पुराने और आधे नये का मिलाजुला भाव महसूस किया जा सकता है.

अपनी तरफ से अरविंद केजरीवाल तो यही मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कि वो 2024 में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चैलेंज करने का मिशन शुरू कर चुके हैं - लेकिन क्या आपको भी ऐसा ही लगता है?

हो सकता है कुछ लोगों को ऐसा महसूस भी हो रहा हो. बेशक बहुत सारे लोगों को निराश होना पड़ा है, जिनको अरविंद केजरीवाल से राजनीति में अनलिमिटेड उम्मीदें थी, लेकिन ऐसे भी तो लोग हैं ही जो अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हैं. दिल्ली और पंजाब के लोगों ने तो सबूत भी दे दिया है. गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक तक पहुंच कर केजरीवाल और उनके साथी वैसे ही सबूतों की तलाश में हैं - और देश की पूरी आबादी से जुड़ने के मिशन ने तो केजरीवाल ऐंड कंपनी के आगे का इरादा भी साफ कर दिया है.

ये तो माना जा सकता है कि अरविंद केजरीवाल ने बाकी दलों से पहले देश के मिजाज को भांप लिया है. अब पूरी कोशिश देश की राजनीति के मौजूदा समीकरणों में मिसफिट होने से बचने की है. मूड ऑफ द नेशन सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले अरविंद केजरीवाल मीलों पीछे पाये जाते हैं - और फासला इतना लंबा है कि 2024 तक खत्म कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन लगता है.

ऐसी सूरत में भला अरविंद केजरीवाल क्या सोच कर तैयारी कर रहे होंगे? पहला इरादा तो प्रधानमंत्री बनने का ही प्रदर्शित हुआ है, दूसरा इरादा राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पछाड़ कर विपक्ष का नेता बनने का लगता है - और ये सब संभव न हो सका तो AAP को देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनने की कोशिश तो की ही जा सकती है.

अरविंद केजरीवाल का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चैलेंज करना तोप के लाइसेंस मांगने जैसा है, ताकि कम से कम पिस्टल का तो मिल ही जाये!

तो फिर तैयार हो जाइये. पूरे 10 साल बाद अरविंद केजरीवाल अपने हिसाब से नये सिरे से अच्छे दिन के अपग्रेडेड वर्जन के साथ आने वाले हैं - और अभी तो इसे चुनावी जुमला कहना ठीक नहीं ही होगा.

2024 के मिशन पर केजरीवाल

17 अगस्त को सुबह के दस बजने वाले थे. ठीक एक मिनट पहले अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट किया - और बताया, 'भारत को नंबर वन देश बनाने की शुरुआत करने जा रहे हैं.'

अपनी नयी मुहिम की शुरुआत करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक पॉलिटिकल डिस्क्लेमर भी पहले ही पेश कर दिया, 'इस मिशन का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है.' और बोले, 'मैं बीजेपी, कांग्रेस, इस पार्टी... उस पार्टी... के लोगों से अपील करना चाहता हूं कि इस मिशन से जुड़ें,' - और फिर मिशन को लेकर प्रेस कांफ्रेंस में बहुत सारी बातें भी बतायीं.

1. "आज मैं बहुत खुश हूं... ये करोड़ों भारतीयों का सपना है और आज उसकी शुरुआत होने जा रही है... हर भारतीय चाहता है कि भारत नंबर वन बने, हमारी गिनती अमीर देशों में हो... हमें फिर से नंबर एक बनना है."

2. "मैं देश के सभी राष्ट्रभक्तों से अपील करता हूं कि वे इससे जुडे़ं... जो लोग देश को नंबर 1 देखना चाहते हैं, वे जुड़ें... हमें अब लड़ाई नहीं लड़नी है... हमने 75 साल लड़ाई में निकाल दिये... बीजेपी, कांग्रेस से लड़ रही है... कांग्रेस आप से लड़ रही है."

1. "आजादी के 75 साल हो गये... हमने बहुत कुछ पाया, लेकिन लोगों में गुस्सा है... एक सवाल है कि 75 सालों में कई छोटे छोटे देश हमारे बाद आजाद होकर भी हमसे आगे निकल गये!'

रेवड़ी कल्चर पर केजरीवाल जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति में रेवड़ी कल्चर पर हमला बोला था, केजरीवाल उसी दिन मैदान में उतर आये थे. तब से रेवड़ी कल्चर पर बहस काफी आगे बढ़ चुकी है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. तमिलनाडु से भी विरोध के स्वर सुनायी देने लगे हैं.

मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने पर जोर दे रहे अरविंद केजरीवाल कहते हैं, 'हमें 27 करोड़ बच्चों के लिए अच्छी और फ्री शिक्षा का इंतजाम करना होगा... हम ये नहीं कह सकते कि पहाड़ों या आदिवासी इलाकों में स्कूल नहीं खोल सकते... जितना भी खर्च करना हो, ये करना पड़ेगा.'

और अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के साथ जो सपना देखते हैं वो भी शेयर करते हैं, 'एक एक बच्चा... एक एक परिवार को गरीब से अमीर बना देगा. फिर भारत का नाम अमीर देशों में लिखा जाएगा.'

पांच प्रण के मुकाबले पांच काम

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के पांच प्रण सामने रखे थे, अब अरविंद केजरीवाल मुकाबले में पांच काम गिना रहे हैं. वैसे भी चुनावी सीजन में बीजेपी के संकल्प पत्रों के मुकाबले अरविंद केजरीवाल अपनी गारंटी स्कीम पेश करते रहे हैं.

मोदी के पांच प्रण:

1. प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि 'हमें 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य पर काम करना होगा.' ये अमृत महोत्सव से आगे का एजेंडा है, जब देश को आजाद हुए 100 साल पूरे हो जाएंगे. मतलब, आठ साल के शासन में ही मोदी को यकीन हो गया है कि अगले 25 साल तक बीजेपी का ही शासन रहने वाला है.

2. मोदी का कहना है, 'हमें गुलामी की मानसिकता से आजादी पर काम करना चाहिये.' मोदी के निशाने पर कांग्रेस है - और केजरीवाल के निशाने पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही हैं.

3. मोदी कहते हैं, 'हम सबको मिलकर अपनी विरासत के प्रति गर्व का भाव विकसित करना चाहिये... हमें अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व होना चाहिये.' अरविंद केजरीवाल गर्व के साथ आगे बढ़ने की बात करतेहुए देश को दुनिया में नंबर वन बनाने का दावा कर रहे हैं.

4. मोदी कहते हैं, 'अगर 130 करोड़ भारतीय एकजुट हो जायें... न कोई अपना, न पराया का भाव हो... तो विकास की रफ्तार को तेज करने से कोई नहीं रोक सकता है. अरविंद केजरीवाल भी अब सीधे 130 करोड़ भारतीयों से ही संवाद कर रहे हैं.

5. मोदी का कहना है, 'नागरिकों को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होना चाहिये... नागरिकों का कर्तव्य देश के लिए होना जरूरी है... कर्तव्यों के प्रति जागरूक नागरिक ही देश को प्रगति की राह पर ले जाने में कामयाब होंगे.' ये असल में रेवड़ी कल्चर के काउंटर की कोशिश लगती है.

केजरीवाल के पांच काम:

1. 130 करोड़ लोगों से कनेक्ट होने की कोशिश में अरविंद केजरीवाल कहते हैं, 'हमें 27 करोड़ बच्चों के लिए अच्छी और फ्री शिक्षा का इंतजाम करना होगा.' ये मोदी के रेवड़ी कल्चर वाले कटाक्ष पर केजरीवाल का अपना एनडोर्समेंट लगता है.

2. शिक्षा के साथ जोर स्वास्थ्य पर भी है, 'हर एक व्यक्ति के लिए फ्री में अच्छे इलाज का इंतजाम करना पड़ेगा.' प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं कि ये सब करने वाले एक्सप्रेसवे जैसे विकास के काम नहीं कर सकते.

3. राहुल गांधी की ही तरह मोदी सरकार के खिलाफ बेरोजगारी केजरीवाल को बढ़िया मुद्दा लगता है, 'हमारी युवा शक्ति सबसे बड़ी ताकत है... आज युवा बेरोजगार घूम रहे हैं... एक एक युवा के लिए रोजगार का इंतजाम करना होगा.'

4. मोदी के भाषण में भी महिला सम्मान का जिक्र था और अरविंद केजरीवाल भी कह रहे हैं, 'हर महिला को सम्मान मिलना चाहिये... सुरक्षा और बराबरी का अधिकार मिलना चाहिये.' लेकिन ये भी है कि बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई और जेल से बाहर आने पर लड्डू और माला के साथ स्वागत सत्कार पर बीजेपी और उसके सहयोगी हिंदू संगठन फिलहाल घिरे हुए हैं.

5. यूपी में सत्ता में बीजेपी की वापसी के बावजूद अरविंद केजरीवाल को किसानों के मुद्दे पर स्कोप खत्म हुआ नहीं लगता, 'आज किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता... ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि किसानों को फसल का पूरा दाम मिले और किसान का बेटा फख्र से कहे कि हमें भी किसान बनना है.'

क्या केजरीवाल मोदी-शाह को चैलेंज कर रहे हैं?

ऐसा तो बिलकुल नहीं लगता कि अरविंद केजरीवाल मोदी-शाह और बीजेपी को चैलेंज कर रहे हैं. गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक तीनों राज्यों बीजेपी की सरकारें हैं - अब चुनावों में पांव जमाने के लिए ये सब तो करना ही पड़ेगा.

मुद्दे की बात ये है कि केजरीवाल बस मोदी-शाह का नाम ही ले रहे हैं, निशाने पर तो दरअसल कांग्रेस और राहुल गांधी हैं. हो सकता है नजर ममता बनर्जी और अब नीतीश कुमार पर भी हो.

केजरीवाल कांग्रेस को ही रिप्लेस करना चाहते हैं: ऐसा अरविंद केजरीवाल इसलिए करना चाहते हैं ताकि वो आम आदमी पार्टी को देश का सबसे बड़ा विपक्षी दल बना सकें - और खुद, नेता प्रतिपक्ष.

मुमकिन है, अगली बार अरविंद केजरीवाल दिल्ली की किसी लोक सभा सीट से चुनाव मैदान में भी देखने को मिलें - क्योंकि दिल्ली की सातों सीटों पर बीजेपी का कब्जा खत्म करने का इससे बेहतर उपाय भी तो नहीं नजर आ रहा है. 2019 में तो आप उम्मीदवारों की कई सीटों पर जमानत भी जब्त हो गयी थी और बाकी पर कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर पर रहे.

केजरीवाल की कोशिश AAP को राष्ट्रीय पार्टी बनाने की है: गोवा में आम आदमी पार्टी को स्टेट पार्टी का दर्जा मिल जाने के बाद एक और राज्य में ऐसा ही स्टेटस हासिल करने की कोशिश है. और उसके बाद कोशिश ये होगी कि देश में कांग्रेस को जगह जगह रिप्लेस किया जा सके. ऐसे उम्मीदवारों को उतारा जा सकता है जो अपने बूते चुनाव जीतने में सक्षम नजर आयें - जैसे 2014 में पंजाब में आप के चार सांसद बन गये थे.

ये ठीक है कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की संगरूर सीट पर उपचुनाव में अरविंद केजरीवाल गच्चा खा गये. सिमरनजीत सिंह मान जीत गये. अरविंद केजरीवाल का प्रयोग धरा का धरा रह गया.

अपनी तरफ से अरविंद केजरीवाल ने संगरूर में भी बिलकुल वैसा ही प्रयोग किया था जैसा विधानसभा चुनाव में अमृतसर की सीट पर कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ हुआ था. संगरूर में मोबाइल की दुकान वाला हार जरूर गया, लेकिन अमृतसर का प्रयोग तो सफल ही रहा है.

केजरीवाल ने पंजाब में बीजेपी कांग्रेस को गलत साबित किया: संगरूर में अरविंद केजरीवाल के आइडिया पर सिमरनजीत सिंह मान भारी पड़े. चाहे बीजेपी और कांग्रेस मिलकर केजरीवाल को कितना भी अतिवादी साबित करने की कोशिश करते रहे हों, लेकिन मान की विचारधारा भारी पड़ी है. ये तो ऐसा लगता है कि पंजाब चुनाव जीत कर तो अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस और बीजेपी को गलत साबित किया ही था, संगरूर सीट हार कर एक बार फिर बीजेपी-कांग्रेस को गलत साबित कर दिया है.

इन्हें भी पढ़ें :

केजरीवाल के हर मौजूदा एक्ट में 2024 की तैयारी देखी जा सकती है!

The Kashmir Files के बहाने नरेंद्र मोदी को कोसते हुए पुराने फॉर्म में लौट आए केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल को बड़ा नेता बनाने के पीछे संघ ही तो नहीं?


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲