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केजरीवाल का राष्ट्रवाद सिर्फ चुनावी मौसम के लिए है या कोई स्थाई भाव भी है?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 06 जून, 2022 10:44 PM
  • 06 जून, 2022 10:44 PM
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जय श्रीराम के नारे के बाद अब अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की नजर अब बीजेपी के राष्ट्रवाद के एजेंडे पर भी लग गयी है. कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) की हत्या का मुद्दा उठाते वो पाकिस्तान (Pakistan) को भी ललकार रहे हैं - ये आने वाले चुनावों का असर है या आगे भी कायम रहेगा?

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की मौजूदा मुश्किल आसानी से समझी जा सकती है. जो शख्स भ्रष्टाचार खत्म करने के वादे के साथ राजनीति में आया हो, मुख्यमंत्री बनने और फिर सत्ता में वापसी के बाद उसका मंत्री करप्शन केस में गिरफ्तार हो जाये - कोई भी तिलमिला उठेगा. ये बिलकुल स्वाभाविक है.

अरविंद केजरीवाल जोर जोर से सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस को फर्जी बता रहे हैं. सपोर्ट में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया बीजेपी के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा देते हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा अब सिसोदिया के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करने की बात कर रहे हैं. बात आगे बढ़ती ही नहीं.

मुसीबत ये है कि दो-दो उपचुनाव सिर पर हैं - पंजाब में संगरूर लोक सभा सीट और दिल्ली में राजेंद्र नगर विधानसभा क्षेत्र. कुछ ही महीने बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभाओं के चुनाव भी होने वाले हैं. ऐसे में कोई भी नेता कितना भी संयम बरतने की कोशिश करे, परेशान तो होगा ही.

हिमाचल प्रदेश से लेकर कर्नाटक तक अरविंद केजरीवाल डेडलाइन के साथ आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा कर रहे हैं. पंजाब में ये वादा पहले ही पूरा कर डालने का दावा करते हुए मिसाल भी देते हैं - और दलील को मजबूत बनाने के लिए भ्रष्टाचार के नाम पर भगवंत मान के जरिये उनके मंत्री विजय सिंघला को बर्खास्त भी करा देते हैं.

ये सारी कवायद और तर्क सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद कमजोर पड़ने लगे हैं - और इसीलिए देशभक्ति की बातें जरूरी हो जाती हैं. अरविंद केजरीवाल आजमाये हुए नुस्खों पर आंख मूंद कर भरोसा करते हैं. आयुर्वेदिक नुस्खों और प्राकृतिक चिकित्सा के उनके पक्षधर होने की भी एक वजह लगती है.

भ्रष्टाचार के...

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की मौजूदा मुश्किल आसानी से समझी जा सकती है. जो शख्स भ्रष्टाचार खत्म करने के वादे के साथ राजनीति में आया हो, मुख्यमंत्री बनने और फिर सत्ता में वापसी के बाद उसका मंत्री करप्शन केस में गिरफ्तार हो जाये - कोई भी तिलमिला उठेगा. ये बिलकुल स्वाभाविक है.

अरविंद केजरीवाल जोर जोर से सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस को फर्जी बता रहे हैं. सपोर्ट में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया बीजेपी के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा देते हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा अब सिसोदिया के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करने की बात कर रहे हैं. बात आगे बढ़ती ही नहीं.

मुसीबत ये है कि दो-दो उपचुनाव सिर पर हैं - पंजाब में संगरूर लोक सभा सीट और दिल्ली में राजेंद्र नगर विधानसभा क्षेत्र. कुछ ही महीने बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभाओं के चुनाव भी होने वाले हैं. ऐसे में कोई भी नेता कितना भी संयम बरतने की कोशिश करे, परेशान तो होगा ही.

हिमाचल प्रदेश से लेकर कर्नाटक तक अरविंद केजरीवाल डेडलाइन के साथ आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा कर रहे हैं. पंजाब में ये वादा पहले ही पूरा कर डालने का दावा करते हुए मिसाल भी देते हैं - और दलील को मजबूत बनाने के लिए भ्रष्टाचार के नाम पर भगवंत मान के जरिये उनके मंत्री विजय सिंघला को बर्खास्त भी करा देते हैं.

ये सारी कवायद और तर्क सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद कमजोर पड़ने लगे हैं - और इसीलिए देशभक्ति की बातें जरूरी हो जाती हैं. अरविंद केजरीवाल आजमाये हुए नुस्खों पर आंख मूंद कर भरोसा करते हैं. आयुर्वेदिक नुस्खों और प्राकृतिक चिकित्सा के उनके पक्षधर होने की भी एक वजह लगती है.

भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ राष्ट्रवाद का हथियार: अरविंद केजरीवाल देखते आ रहे हैं कि कैसे राष्ट्रवाद के नाम पर बीजेपी चुनाव दर चुनाव जीतती जा रही है - और दूसरी छोर पर देश विरोधी गतिविधियों के इल्जाम के साथ कठघरे में खड़ी कर दी गयी कांग्रेस के लिए हर कदम कदम पर हार का मुंह देखना पड़ रहा है. धर्म और राष्ट्रवाद की कॉकटेल पॉलिटिक्स कितनी असरदार होती है, बीजेपी का ट्रैक रिकॉर्ड देख कर अरविंद केजरीवाल अच्छी तरह समझ चुके हैं. देश का राजनीतिक माहौल भी तो ऐसा ही है कि धारा के उलट चलने में नुकसान ही है. कांग्रेस और राहुल गांधी से कोई जाकर पूछ ले.

शायद इसीलिए अरविंद केजरीवाल अब सीधे पाकिस्तान (Pakistan) को ललकारने लगे हैं - और कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) को इंसाफ दिलाने के लिए आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता जंतर मंतर पर धरना भी दे रहे हैं. आखिर कश्मीरी पंडितों की हाल की हत्याओं को मुद्दा जो बनाना है. जब तक फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के जरिये बीजेपी कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उछाल रही थी, अरविंद केजरीवाल राजनीति करने का आरोप लगाते रहे, लेकिन अब इस मुद्दे पर भी वो यूटर्न ले चुके हैं - क्या पता कल कश्मीर फाइल्स की दिल्ली में नये सिरे से स्क्रीनिंग होने लगे और फिर ट्विटर पर केजरीवाल का नया फिल्म रिव्यू पढ़ने भी को मिले.

दिल्ली में स्कूली छात्रों को देशभक्ति के पाठ के जरिये कट्टर देशभक्त बनाने का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि 15 अगस्त तक दिल्ली में 500 तिरंगा फहराने की तैयारी कर रहे हैं - और आम आदमी पार्टी नेता के मुताबिक, ये सब दिल्ली सरकार के देशभक्ति बजट के जरिये मुमकिन हो रहा है. भई वाह - देशभक्ति बजट. क्या बात है.

कश्मीरी पंडितो और पाकिस्तान के नाम पर राष्ट्रीय राजनीति में दस्तक देने की कोशिश में जुटे अरविंद केजरीवाल.

अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में कहा था कि उनका मकसद है कि हर हाथ में तिरंगा होना चाहिये. बताते हैं कि जल्दी ही दिल्ली सरकार 'हर हाथ तिरंगा' कार्यक्रम लांच करने जा रही है - ये जानकारी देते हुए अरविंद केजरीवाल कहते हैं, 'जिस दिन 130 करोड़ लोग मिलकर भारत के लिए सोचना शुरू करेंगे... गरीबी दूर हो जाएगी, भारत तरक्की करेगा - और विश्व गुरु बन जाएगा.'

सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अपने मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों से ध्यान हटाने के लिए केजरीवाल राष्ट्रवाद की राजनीति का कवच के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं - या फिर जय श्रीराम के नारे को अपना लेने के बाद बीजेपी के राष्ट्रवाद की लाइन पर आगे की राजनीतिक राह अख्तियार करने वाले हैं?

कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर केजरीवाल की नयी सक्रियता

जिस तरह कश्मीरी पंडितों का मुद्दा अब तक बीजेपी उठाती रही, अरविंद केजरीवाल भी अब वही कर रहे हैं. बीजेपी कश्मीरी पंडितों के साथ हुई नाइंसाफी के लिए पहले की कांग्रेस सरकार को दोष देती रही, अरविंद केजरीवाल हाल की हत्याओं को लेकर मौजूदा बीजेपी सरकार को कोस रहे हैं.

कांग्रेस भले ही सफाई देती फिर रही हो कि 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के पलायन के वक्त उसकी सरकार नहीं थी, लेकिन सुनने वाला कोई है नहीं. जहां कांग्रेस चूक जाती है, अरविंद केजरीवाल राजनीतिक तौर पर काबिज हो जाते हैं. कश्मीरी पंडितों की हत्याओं को लेकर जो कांग्रेस के जो सवाल नक्कारखाने की तूती साबित हो रहे थे, पाकिस्तान को ललकार कर अरविंद केजरीवाल सुर्खियां बटोर रहे हैं - कश्मीरी पंडित तो जैसे इंसान न होकर राजनीति का झुनझुना हो गये हैं.

विनोद अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को भी राजनीतिक तौर पर वैसे ही भुनाने की कोशिश की गयी, जैसे अब सम्राट पृथ्वीराज के रूप में नया पैकेट मिल गया है. सम्राट पृथ्वीराज पर तो अभी अरविंद केजरीवाल की कोई राय नहीं आयी है, लेकिन कश्मीर फाइल्स को लेकर वो दिल्ली विधानसभा में काफी लंबा चौड़ा भाषण दे चुके हैं - ये बात अलग है कि अब अरविंद केजरीवाल भी वही काम कर रहे हैं जिसे लेकर वो बीजेपी और केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावार रहे हैं - चूंकि जम्मू-कश्मीर का मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आता है, इसलिए फिलहाल आप नेता के निशाने पर अमित शाह हैं.

मीटिंग नहीं, एक्शन चाहिये: अरविंद केजरीवाल जंतर मंतर पर कश्मीर में हाल में हुई हत्याओं के विरोध में धरना दे रहे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे - और कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाने के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी खूब जोर से बरसे.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार की नीतियां कश्मीर में पूरी तरह से फेल हो चुकी हैं. केजरीवाल का कहना है कि बीजेपी की मोदी सरकार के पास आतंकवादियों के हमले रोकने का कोई प्लान नहीं है, ये अगर कुछ कर सकते हैं तो सिर्फ मीटिंग.

अरविंद केजरीवाल कह रहे थे, जब भी कश्मीर में मर्डर होता है, खबर आती है कि गृह मंत्री ने उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाई है, लेकिन मीटिंग से आगे कुछ भी नहीं होता. लोग मरते रहते हैं.

गरजते हुए केजरीवाल बोले, 'कितनी मीटिंग बुलाओगे यार... अब हम लोगों को एक्शन चाहिये... अब कश्मीर एक्शन मांगता है... भारत एक्शन मांगता है... हिन्दुस्तानी एक्शन मांगते हैं... बहुत हो गई तुम्हारी मीटिंग... योजना क्या है तुम्हारे पास? प्लान क्या है तुम्हारे पास? देश को प्लान बताओ... एक्शन कब करोगे... मीटिंग बहुत हो गई तुम्हारी... कुछ एक्शन करके दिखाओ... लोग मर रहे हैं.'

अरविंद केजरीवाल का कहना है कि जम्मू कश्मीर में 1990 का दौर वापस आ चुका है. तब भी लोग घाटी को लेकर चिंतित थे, आज भी चिंतित हैं. ये बात तो बिलकुल सही है. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के बाद भी न तो आतंकवाद में कोई खास कमी आयी है, न आम कश्मीरियों की हत्याओं में.

कहां जम्मू-कश्मीर में चुनावी माहौल देखा जाने लगा था, और कहां ताबड़तोड़ हत्याओं की खबर आने लगी है. ये हत्याएं भी चुन चुन कर हो रही हैं. मान लेते हैं कि कश्मीर में आतंकवादियों की शेल्फ-लाइफ कम हो गयी है, लेकिन जो कोहराम मचा है वो खत्म क्यों नहीं हो रहा है? सबसे बड़ा सवाल यही है.

मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उप राज्यपाल बनाये जाने के बाद ऐसी उम्मीद जगी थी कि नये माहौल में राजनीतिक नेतृत्व से चीजें बदलेंगी. चीजें बदल तो रही हैं, लेकिन हालात तो बद से बदतर ही होते जा रहे हैं.

कश्मीर को लेकर केजरीवाल की 4 मांगें: अपने भाषण के दौरान ही अरविंद केजरीवाल ने बताया कि वो कश्मीर पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से समय मांगेंगे - और ये समझने की कोशिश करेंगे कि कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार के पास प्लान क्या है?

कश्मीर और पाकिस्तान को लेकर अरविंद केजरीवाल का ये स्वरूप पंजाब चुनाव जीतने के बाद ही नजर आ रहा है. जाहिर है दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में तो अमित शाह से वो मोदी सरकार का कश्मीर प्लान समझने तो जाएंगे नहीं. अगर जाएंगे भी तो अमित शाह उनको ये सब बताएंगे ही क्यों? अगर वो बीजेपी के मुख्यमंत्री होते तो एक बार सोचा भी जा सकता था.

फिर तो अरविंद केजरीवाल को अमित शाह से मोदी सरकार का कश्मीर प्लान समझने के लिए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के लेटर हेड पर लिख कर ही गुजारिश करनी होगी. वैसे कश्मीर और पाकिस्तान पर अरविंद केजरीवाल का ये रुख पहली बार देखने को मिल रहा है - अब से पहले तो वो सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत ही मांगते देखे जाते रहे.

बहरहाल, अरविंद केजरीवाल ने अमित शाह से प्रस्तावित मुलाकात से पहले अपनी चार मांगे रखी हैं -

1. केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों और फौज के लोगों के नरसंहार को रोकने की योजना देश के सामने रखे.

2. कश्मीरी पंडितों के साथ साइन किया हुआ बॉन्ड रद्द किया जाये.

3. कश्मीरी पंडितों की सारी डिमांड मानी जाएं

4. कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा प्रदान की जाये.

केजरीवाल का नेशनलिस्ट एजेंडा

अरविंद केजरीवाल पर उनके राजनीतिक विरोधी देश विरोधी तत्वों के साथ सांठगांठ के आरोप लगाते हैं. अब तक ऐसे दो मौके देखे गये जब आतंकवाद को लेकर अरविंद केजरीवाल राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहे हैं - पहले 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान और अभी अभी 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों के वक्त.

दिल्ली चुनावों में तो सिर्फ बीजेपी नेता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ हमलावर रहे, लेकिन पंजाब चुनाव के दौरान तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी बेहद आक्रामक देखे गये. खासकर केजरीवाल के पुराने साथी कवि कुमार विश्वास के बयानों के बाद.

पाकिस्तान को केजरीवाल का चैलेंज: दिल्ली के मुख्यमंत्री ने जंतर मंतर के मंच से कहा, 'आज इसी मंच से पाकिस्तान को ललकारना चाहता हूं... ज्यादा हिम्मत मत करो... ये छिछोरी हरकतें मत करो... अगर तुमको लगता है कि इस तरह की छिछोरी हरकतें करके तुम कश्मीर ले लोगे... कश्मीर हमारा था, हमारा है - और हमारा रहेगा.'

लगे हाथ अरविंद केजरीवाल ने मंच से ही ऐलान कर दिया कि अब तो पाकिस्तान बचने से रहा, 'पाकिस्तानियों को हम चैलेंज करते हैं... अगर हिन्दुस्तान अपने पर आ गया तो पाकिस्तान नहीं बचेगा फिर...'

15 अगस्त तक 500 तिरंगा: एक आईएएस कपल के डॉग-वॉक को लेकर हाल ही में सुर्खियों में रहे त्यागराज स्टेडियम में दिल्ली सरकार की तिरंगा सम्मान कमेटी के वॉलंटियर्स का सम्मेलन बुलाया गया था. अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार देशभक्ति बजट के तहत पूरी दिल्ली में 500 तिरंगे लगाएगी. तिरंगे की देखभाल के लिए कमेटियां बनायी गयी हैं. मुख्यमंत्री के मुताबिक, हर तिरंगा सम्मान कमेटी अपने साथ एक हजार युवा वॉलंटियर को जोड़ेगी - और वे समाज कल्याण से जुड़े काम भी करेंगे.

अरविंद केजरीवाल का कहते हैं, मेरा प्रस्ताव कमेटियों के लिए स्थानीय लोगों में प्रेरणा जगाने का है...ये वॉलंटियर्स आप, भाजपा या कांग्रेस के नहीं होंगे... वे भारत के वॉलंटियर्स होंगे.

दिल्ली में देशभक्ति पाठ्यक्रम: सितंबर, 2021 में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति पाठ्यक्रम भी लागू किया था. केजरीवाल का कहना था कि आजादी के बाद से ही स्कलों में सारे विषय पढ़ाये जाते रहे, लेकिन बच्चों को देशभक्ति नहीं पढ़ायी गयी - और दावा किया कि पाठ्यक्रम लागू होने के बाद दिल्ली का हर बच्चा सच्चे अर्थों में देशभक्त होगा.

तभी केजरीवाल ने कहा था, 'हम इस पाठ्यक्रम को इसलिए लागू कर रहे हैं, जिससे बच्चों को कट्टर देशभक्त बनाया जा सके... हमें अपने बच्चों को कट्टर देशभक्त बनाना है.'

अब तो अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रवाद के राजनीतिक एजेंडे को विस्तार देने के लिए पूरा पैकेज तैयार कर लिया है. दिल्ली में सरकार होने के कारण केजरीवाल के लिए ढेरों प्रयोग के विकल्प होते हैं. तभी तो मॉडल स्कूल और मोहल्ला क्लिनिक के साथ साथ वो 'देशभक्ति बजट' भी बना चुके हैं - और जब इतना सब हो तो उत्साहित होकर कोई भी पाकिस्तान को ललकारने लगेगा ही.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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