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UNPAUSED: दिल की तहों तक पहुंचती बेमिसाल कहानियां...

    • सरिता निर्झरा
    • Updated: 22 जनवरी, 2022 03:14 PM
  • 22 जनवरी, 2022 03:10 PM
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दो साल की एक लम्बी कहानी जिसे हम-आप खुद जी रहे हों. कहानी जिसकी शुरुआत हुई थी मार्च 2020 से. घरों में बंद हम कैसे खुद ही खुद से नराज़ रहने लगे थे. फोन पर अपनों को देख कर बेबसी जी है हम सबने. घर में कुछ दिन का सुकून चाहने वाले घर में घुटन महसूस कर कर के थक चुके. इसके अलावा बहुत कुछ है जो नज़र से छूट हुआ दिखेगा इन कहानियों में.

अगर बड़े पर्दे की बेसिर पैर, ज़िंदगी से दूर, करोड़ों की बजट की, बिना कहानी की नींव वाली फिल्म से आप हालिया परेशान हुए हों तो मेरी मानिये छोटे पर्दे पर आइये. वैसे पिछले 2 सालों में OTT छोटा नहीं रह गया लेकिन बड़ी स्क्रीन पर वाहियात कहानियों का नशा आज भी लोगो के सिर छाया दिखता है लेकिन फिर ऐसे ही मौके पर आती है 'unpaused' जैसी एक सीरीज़.

पांच कहानियां, पांच फ़िल्मकार और ढेरों एहसास!

एक एक कहानी हंसाती है, गुदगुदाती है, कचोटती है, रुलाती है लेकिन आपको हिम्मत देती है और शाबाशी भी. शाबाशी की हम और आप इंसानी नस्ल में इस वैश्विक महामारी को झेल गए. बचा ले गए शारीरिक मानसिक और भवतानमक संतुलन. हर एक कहानी अपने आप में कमाल है. इंसानी जज़्बातों को यूं निचोड़ कर आपको ऐसे बिंदु पर छोड़ती है कि आप रुक कर महसूस करते है और फिर दूसरी कहानी की तरफ अपने आप बढ़ जाते हैं.

हालिया दौर में हम जो जिंदगी जी रहे हैं उसे अपने में समेटे हैं अमेजन प्राइम की वेब सीरीज अनपॉज्ड नया सफर

याद कीजिये वो दुनिया जिसमे हम आप रहते थे. 2019 की दुनिया. कैसी विडंबना की खुद का जिया हुआ ही अंजाना सा लगता है. ये दो साल फर्स्ट वेव सेकंड वेव थर्ड वेव के परे भी रहे हैं. क्या कुछ, कितनो के लिए बदला इसका हिसाब नहीं. कॉर्पोरेट ने कितनो की नौकरी ली ये शायद हम आप के लिए आंकड़ा होगा लेकिन उनका क्या जिन्होंने नौकरी खोई. आपदा में जॉबलेस हो जाना एक ऐसा मानसिक झटका है जिसे बर्दाश्त करने के लिए भी ऑक्सीजन की दरकार होती है.

मदद करने का इरादा सबका था लेकिन अगर मदद मांगने वाला वो हो जिसकी मौत की दुआ हम खुद मांगते हो तो?ऐसे दोराहे पर इंसानियत का दामन थाम कर रखना कितना आसान या मुश्किल है. चोर उच्चके भी तो शिकार थे इस बेरोज़गारी का ? उनका क्या हुआ होगा. ज़ाहिर सी बात है हर कोई...

अगर बड़े पर्दे की बेसिर पैर, ज़िंदगी से दूर, करोड़ों की बजट की, बिना कहानी की नींव वाली फिल्म से आप हालिया परेशान हुए हों तो मेरी मानिये छोटे पर्दे पर आइये. वैसे पिछले 2 सालों में OTT छोटा नहीं रह गया लेकिन बड़ी स्क्रीन पर वाहियात कहानियों का नशा आज भी लोगो के सिर छाया दिखता है लेकिन फिर ऐसे ही मौके पर आती है 'unpaused' जैसी एक सीरीज़.

पांच कहानियां, पांच फ़िल्मकार और ढेरों एहसास!

एक एक कहानी हंसाती है, गुदगुदाती है, कचोटती है, रुलाती है लेकिन आपको हिम्मत देती है और शाबाशी भी. शाबाशी की हम और आप इंसानी नस्ल में इस वैश्विक महामारी को झेल गए. बचा ले गए शारीरिक मानसिक और भवतानमक संतुलन. हर एक कहानी अपने आप में कमाल है. इंसानी जज़्बातों को यूं निचोड़ कर आपको ऐसे बिंदु पर छोड़ती है कि आप रुक कर महसूस करते है और फिर दूसरी कहानी की तरफ अपने आप बढ़ जाते हैं.

हालिया दौर में हम जो जिंदगी जी रहे हैं उसे अपने में समेटे हैं अमेजन प्राइम की वेब सीरीज अनपॉज्ड नया सफर

याद कीजिये वो दुनिया जिसमे हम आप रहते थे. 2019 की दुनिया. कैसी विडंबना की खुद का जिया हुआ ही अंजाना सा लगता है. ये दो साल फर्स्ट वेव सेकंड वेव थर्ड वेव के परे भी रहे हैं. क्या कुछ, कितनो के लिए बदला इसका हिसाब नहीं. कॉर्पोरेट ने कितनो की नौकरी ली ये शायद हम आप के लिए आंकड़ा होगा लेकिन उनका क्या जिन्होंने नौकरी खोई. आपदा में जॉबलेस हो जाना एक ऐसा मानसिक झटका है जिसे बर्दाश्त करने के लिए भी ऑक्सीजन की दरकार होती है.

मदद करने का इरादा सबका था लेकिन अगर मदद मांगने वाला वो हो जिसकी मौत की दुआ हम खुद मांगते हो तो?ऐसे दोराहे पर इंसानियत का दामन थाम कर रखना कितना आसान या मुश्किल है. चोर उच्चके भी तो शिकार थे इस बेरोज़गारी का ? उनका क्या हुआ होगा. ज़ाहिर सी बात है हर कोई किसी राजनेता का गुर्गा तो है नहीं तो ऐसे में क्या कोई कहानी बन सकती है इनपर. वो भी बिना किसी सीख के. कोई ऊंगलीमाल नहीं. निरि कहानी.

हमारी रोज़ की ज़रूरतें पूरी करने वाले डिलीवरी भैया के बारे में जानते ही कहां है हम. होगा न उसका भी परिवार, कुछ सपने कोई दोस्त, गर्लफ्रेंड से मिलने की जल्दी अरे कितना कुछ! कोविड वॉर रूम सुना भर है देखा नहीं होगा. हां शायद बहुतों ने बात की होगी लेकिन उसका माहौल. फ़ोन उठा कर 'हेलो कोविड वॉर रूम हम क्या मदद कर सकते हैं आपकी,? ये बोलने वाले भी तो हम आप जैसे ही हैं. उन्हें समय पर मदद मिली है.

और वो जिन्होंने इस चक्र के आखिरी सिरे पर डेरा जमाया हुआ है? जीवन और मोक्ष के बीच की कड़ी- अंतिम दाह करने वाले! कैसा समय की अंतिम समय किसी अनजान के अलावा कोई पास नहीं. उनके भी तो परिवार है. 'नया सफर,' 'वॉर रूम', 'तीन तिगाड़ा', 'गोंद के लड्डू' और 'वैकुण्ठ' - npaused 2 की पांच कहानियां. जिनका निर्देशन किया है नुपर अस्थाना, अय्यपा के एम, रुचिर अरुन, शिखा माकन, और नागराज मंजुले ने.

90 के दशक वाले 'हिप हिप हुर्रे' का नाम लेते ही शायद पहचान पाएंगे. न शक्ल नहीं क्योंकि हम वो हैं जो सिर्फ 100 करोड़ लेने वाले हीरो हीरोइन को याद करते है पर्दे के पीछे के लोगोके हुनर को समझना!

खैर फ्रेश एप्रोच मोहब्बत ज़िंदगी उलझने सब पर नई ताज़गी. कितनी ही प्यारी सी प्यार की कहानी. अय्यपा के एम अपनी तरह की सटायर डार्क कॉमेडी के अनूठे काम के लिए जाने जाते हैं और उनकी निर्देशित वॉर रूम आपको सोच में डालेगी. टू बी और नॉट टू बी!

रुचिर अरुन की तीन तिगाड़ा देखिये कहानी बीनने की कला के लिए! लिखने वाले बहुत कुछ सीख सकते हैं. शिखा माकन की 'गोंद के लड्डू' , हर उस अच्छे पल की याद दिलाएगी जिनसे आप इन दो सालों की जंग में रु-ब- रु हुए होंगे.

आखिर में नागराज मंजुले - सैराट फेम के परे ये कहानी आपको उनका मुरीद बना देगी. उम्मीद और ख़ुशी आंखों से बहने की गारंटी देती है पांचवी कहानी 'वैकुण्ठ ' उफ़ उम्मीद, ज़िन्दगी और इंसानी जज़्बातों की ये पांच कहानियां पूरे दो सालों के एहसासों को मथानी की तरह आपके भीतर मथ देंगी.

कहानी -निर्देशन की निगाह से कमाल और एक्टिंग पर हर किरदार को पांच में से पांच!

ये सीरीज़ उम्मीद है कि करोड़ों के सेट लगा कर, आइटम सांग सेक्सिस्ट स्टोरीलाइन और स्टारडम को भुनाने वाली वाहियात फिल्मों की दुनिया में 'कहानी ' और निर्देशन की 'कला' पर काम करने वाले हैं. अच्छी कहानियां आएंगी, पर्दा बड़ा छोटा कोई भी हो उन तक पहुंचना दर्शको के ऊपर है. अपने आप में बहुत कुछ कहती हुई- unpaused की टैग लाइन है 'नया सफर'.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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