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Kabir Singh की बेशक बुराई करें, लेकिन Shahid Kapoor की तारीफ तो करनी होगी

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 25 जून, 2019 12:46 PM
  • 25 जून, 2019 12:34 PM
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कबीर सिंह फिल्म की जितनी भी बुराई की जाए, लेकिन Shahid Kapoor की तारीफ तो बनती है. जिस तरह से उन्होंने खुद को एक तय सांचे में ढाला है वो एक मंझा हुआ एक्टर ही कर सकता है.

शाहिद कपूर की फिल्म Kabir Singh अब 2019 की सबसे ज्यादा बड़ी ओपनिंग पाने वाली फिल्मों में से एक हो गई है. बिना किसी खास छुट्टी के भी कबीर सिंह ने एक ऐसा रिकॉर्ड कायम किया है जो इसे शाहिद के करियर की सबसे बड़ी फिल्म बनाता है. कबीर सिंह को लेकर Shahid Kapoor और Kiara Advani ने काफी मेहनत की है. शायद यही कारण है कि Kabir Singh Box Office Collection में ये दिखता है. कबीर सिंह के कई निगेटिव रिव्यू रहे हैं. पर एक बात जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है वो है शाहिद कपूर की एक्टिंग. शाहिद कपूर बॉलीवुड के एक टैलेंटेड एक्टर हैं और इसमें कोई शक नहीं कि वो एक चॉकलेटी हीरो भी बन सकते हैं और एक सीरियस ड्रग एडिक्ट भी.

फिल्म कबीर सिंह में शाहिद कपूर ने जो रोल निभाया है वो एक ऐसे सनकी आशिक का है जो खतरनाक है, जिसका गुस्सा उसे कुछ भी बना सकता है, जिसे ये भी नहीं पता कि अगले पल वो ड्रग्स के नशे में क्या कर दे. कबीर सिंह के रिव्यू सभी जगह निगेटिव आए हैं. फिल्म के किरदार को लेकर वाकई ये कहा जा सकता है कि वो बहुत ही बेकार कैरेक्टर है, समाज के लिए खतरा है, उससे लोग गलत मैसेज ले सकते हैं, कोई किसी के लिए सही नहीं है, फिल्म में महिलाओं को बहुत बुरा बनाया गया है, महिलाओं की कोई आइडेंटिटी नहीं है इस फिल्म में और ये सारी बातें सही भी हैं, लेकिन दो सवाल पूछने यहां जरूरी हैं..

  1. क्या फिल्म से परे उस एक्टर की मेहनत को नहीं देखा जा सकता है?
  2. फिल्म की कहानी सही नहीं है, वो सामाजिक नहीं है, लेकिन उसके कारण क्या एक्टर की मेहनत को नकारा जा सकता है?

बॉलीवुड की कहानियों में हीरो की जरूरत होती है. कबीर सिंह का हीरो, हीरो नहीं बल्कि विलेन है. ये वो विलेन है जिसे देखने के लिए लोग उतावले हो रहे हैं और कबीर सिंह का बिजनेस कम नहीं हो रहा.

कबीर सिंह को...

शाहिद कपूर की फिल्म Kabir Singh अब 2019 की सबसे ज्यादा बड़ी ओपनिंग पाने वाली फिल्मों में से एक हो गई है. बिना किसी खास छुट्टी के भी कबीर सिंह ने एक ऐसा रिकॉर्ड कायम किया है जो इसे शाहिद के करियर की सबसे बड़ी फिल्म बनाता है. कबीर सिंह को लेकर Shahid Kapoor और Kiara Advani ने काफी मेहनत की है. शायद यही कारण है कि Kabir Singh Box Office Collection में ये दिखता है. कबीर सिंह के कई निगेटिव रिव्यू रहे हैं. पर एक बात जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है वो है शाहिद कपूर की एक्टिंग. शाहिद कपूर बॉलीवुड के एक टैलेंटेड एक्टर हैं और इसमें कोई शक नहीं कि वो एक चॉकलेटी हीरो भी बन सकते हैं और एक सीरियस ड्रग एडिक्ट भी.

फिल्म कबीर सिंह में शाहिद कपूर ने जो रोल निभाया है वो एक ऐसे सनकी आशिक का है जो खतरनाक है, जिसका गुस्सा उसे कुछ भी बना सकता है, जिसे ये भी नहीं पता कि अगले पल वो ड्रग्स के नशे में क्या कर दे. कबीर सिंह के रिव्यू सभी जगह निगेटिव आए हैं. फिल्म के किरदार को लेकर वाकई ये कहा जा सकता है कि वो बहुत ही बेकार कैरेक्टर है, समाज के लिए खतरा है, उससे लोग गलत मैसेज ले सकते हैं, कोई किसी के लिए सही नहीं है, फिल्म में महिलाओं को बहुत बुरा बनाया गया है, महिलाओं की कोई आइडेंटिटी नहीं है इस फिल्म में और ये सारी बातें सही भी हैं, लेकिन दो सवाल पूछने यहां जरूरी हैं..

  1. क्या फिल्म से परे उस एक्टर की मेहनत को नहीं देखा जा सकता है?
  2. फिल्म की कहानी सही नहीं है, वो सामाजिक नहीं है, लेकिन उसके कारण क्या एक्टर की मेहनत को नकारा जा सकता है?

बॉलीवुड की कहानियों में हीरो की जरूरत होती है. कबीर सिंह का हीरो, हीरो नहीं बल्कि विलेन है. ये वो विलेन है जिसे देखने के लिए लोग उतावले हो रहे हैं और कबीर सिंह का बिजनेस कम नहीं हो रहा.

कबीर सिंह को लेकर शाहिद कपूर की तारीफ करना लाजमी है. शाहिद वो एक्टर हैं जिन्हें 'जब वी मेट' के आदित्य कश्यप की तरह चॉकलेटी हीरो बनना भी आता है, शाहिद वो एक्टर हैं जिन्हें 'हैदर' बनना भी आता है, शाहिद 'उड़ता पंजाब' के बिगड़ैल पॉप सिंगर भी हो सकते हैं और शाहिद 'कबीर सिंह' भी बन सकते हैं. शाहिद उन लोगों में से हैं जो अपनी छवि को लेकर कोई भी एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं. शाहिद को हीरो की जगह एक्टर के रूप में देखें तो शायद बेहतर होगा. क्योंकि कोई हीरो किसी सीन में हीरोइन को इस तरह से थप्पड़ नहीं मारेगा, कोई हीरो किसी सीन में लड़की को चाकू दिखाकर उसे कपड़े उतारने को नहीं कहेगा, कोई हीरो किसी सीन में सबके सामने अपनी पैंट में बर्फ नहीं डालेगा. लेकिन शाहिद ने ये सब किया.

इस सीन को गौर से देखिए और बताइए कि कितने सुपर स्टार हीरो इस तरह का सीन निभा पाएंगे? करियर की शुरुआत से लेकर अंत तक शाहिद ने अनेकों ऐसे रोल किए हैं जिसमें उनकी एक्टिंग में पागलपन दिखा है और यही पागलपन शायद उन्हें कबीर सिंह के इंटेंस परफॉर्मेंस तक पहुंचा पाया है. कबीर सिंह में शाहिद को हीरो के तौर पर देख रहे हैं तो आप निराश होंगे, हीरो बहुत हैं बॉलीवुड में, हीरो एक धर्मनिष्ठ, हिरोइन की रक्षा करने वाला, हिरोइन के नखरे झेलने वाला, रोमांटिक ब्वॉय जो हर मामले में बेहतरीन है उसे हीरो कहा जाता है. वो अगर Benam Badshah का अनिल कपूर भी है तो भी उसे हिरोइन आकर सुधार देती है और वो एक बेहतरीन इंसान बन जाता है, लेकिन कबीर सिंह हीरो नहीं है. कबीर सिंह एक आम सनकी है. शाहिद ने इस रोल के साथ पूरी सच्चाई से काम किया है.

बॉलीवुड के सबसे nderrated Actors के मसीहा हैं शाहिद..

शाहिद कपूर अपनी काबिलियत बहुत पहले दिखा चुके थे, एक बैकग्राउंड डांसर से आगे बढ़कर एक हिट हीरो बनने तक का सफर आसान नहीं था, लेकिन शाहिद ने इसे हंसते-हंसते तय कर लिया. सालों से वो इंडस्ट्री का हिस्सा हैं और लड़कियों के क्रश होने के साथ-साथ वो अब एक संजीदा एक्टर बन चुके हैं. उनके साथ हमेशा ये दिक्कत रही कि उनकी तुलना पंकज कपूर से की गई. पंकज कपूर की संजीदगी की उम्मीद लगाई गई, लेकिन शाहिद अलग हैं. पंकज कपूर कभी रोमांटिक हीरो नहीं बन सकते थे, लेकिन शाहिद ने ये सब किया. हीरो फिल्म इंडस्ट्री में बहुत हैं, पर कितने एक्टर हैं? शाहरुख, सलमान, आमिर, अमिताभ, अक्षय कुमार किसी से भी ऐसे सनकी पन की उम्मीद क्या की जा सकती है? क्या उनमें से कोई भी इतनी हिम्मत दिखाएगा कि स्क्रीन पर कबीर सिंह वाला रोल करे और अपनी पैंट में बर्फ डाले?

शाहिद कपूर की फिल्मों में किए गए रोल बताते हैं कि वो किस तरह से अपने आप को रोल के हिसाब से ढाल सकते हैं.

शाहिद कपूर को इस रोल के लिए बधाई देनी बहुत जरूरी है और वाकई उनकी मेहनत इस लायक थी कि ये फिल्म 100 करोड़ क्लब में शामिल हो जाए.

शाहिद कपूर बॉलीवुड के अंडर रेटेड एक्टर क्लब के प्राइम मेंबर कहे जा सकते हैं. खुद ही सोचिए सालों से उनके रोल के साथ न्याय नहीं हो रहा है. पर ऐसे ही बॉलीवुड के कई एक्टर्स हैं जिनको वो रोल नहीं मिल रहे और न ही वो स्टारडम मिल रहा है जो उन्हें मिलना चाहिए...

वो एक्टर्स जिनके टैलेंट को बॉलीवुड भुना नहीं पाया-

Ayushmann Khurrana को ही ले लीजिए? वो विक्की डोनर, अंधाधुन से लेकर Article 15 तक खुद को साबित कर चुका है. 'बधाई हो' के साथ वो नए कॉन्सेप्ट वाली फिल्म भी कर सकता है और 'शुभ मंगल सावधान' के साथ वो ऐसी फिल्म भी कर सकता है जिसमें हीरो को 'जेन्ट्स वाली समस्या' हो.

Vicky Kaushal न सिर्फ 'मसान' में खुद को साबित कर चुके हैं बल्कि 'संजू', 'ri' जैसी फिल्मों में अपना कौशल दिखा चुके हैं.

Jimmy Shergil को ही ले लीजिए वो 'मोहब्बतें' के क्यूट हीरो भी हैं और 'तनू वेड्स मनू' के फनी लेकिन खतरनाक विलेन भी. वहीं 'साहिब बीवी गैंगस्टर' के इंटेंस एक्टर भी हैं. A Wednesday के पुलिस वाले भी बन सकते हैं.

Randeep Hooda भी इस लिस्ट का हिस्सा है. वो एक रोल के लिए कितनी हद तक जा सकते हैं इसका उदाहरण Sarabjit में देख लीजिए. फिल्म 'हाईवे' हो या 'रंग रसिया' रणदीप ने अपनी एक्टिंग का जौहर दिखाया है. वो 'बॉम्बे टॉकीज' में एक समलैंगिक किरदार में भी हैं और Main aur Charles के सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज भी. क्या इससे ज्यादा कुछ कहने की जरूरत है?

Kay Kay Menon को इस लिस्ट में न रखा जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. Sajna ji vari vari में पागलों की तरह नाचने वाला आम आदमी, 'शौर्य' में एक आर्मी अफसर भी बन जाता है, वो 'ब्लैक फ्राइडे' में भी अपना रोल उतनी ही इमानदारी से निभाता है जितना Ghazi Attack में पाकिस्तान से नफरत करने वाले कैप्टन के रोल में निभाता है. Gulal, Haider, Life in a metro में उनके रोल को किसी भी मामले में कम नहीं आंका जा सकता.

Arshad Warsi के रोल को भी कम आंका गया है. वो मुन्ना भाई के सर्किट हैं और इश्किया के ठरकी आशिक भी. 'काबुल एक्सप्रेस', 'जिला गाजियाबाद', 'इरादा' जैसी फिल्मों की लिस्ट भी अर्शद के पास है. जॉली एलएलबी में भी वो कमाल कर गए थे. अर्शद वारसी की एंट्री एक रोमांटिक हीरो के तौर पर हुई थी, लेकिन उन्हें एक कॉमेडी हीरो बना दिया गया. पर अर्शद कितना काम कर सकते हैं ये वो साबित कर चुके हैं.

Manoj Bajpayee अब अगर इस नाम को कोई अंडर रेटेड नहीं मानता है तो वो शायद गलत करता है. गैंग्स ऑफ वासेपुर का सरदार खान हो चाहें तेवर का सनकी आशिक मनोज वाजपेई की बात ही कुछ और है.

Sanjay Mishra, Pankaj Tripathi, Boman Irani, Tabu जैसे कई नाम इस लिस्ट का हिस्सा बन सकते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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