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Kabir Singh Review: पुरुषों के लिए ही बनाई गई है ये फिल्म!

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 21 जून, 2019 12:27 PM
  • 21 जून, 2019 12:27 PM
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शाहिद कपूर और कियारा आडवाणी की फिल्म Kabir Singh एक बेहद संजीदा फिल्म है जिसे सिर्फ पुरुषों को ध्यान में रखकर बनाया गया है.

शाहिद कपूर और कियारा आडवाणी की फिल्म Kabir Singh अब रिलीज हो गई है और इस फिल्म को लेकर शुरुआत में जितनी भी बातें कहीं गई हैं वो सभी सच हैं. मसलन ये फिल्म पूरी तरह से Arjun Reddy की कॉपी है. फिल्म में Shahid Kapoor एक ड्रग एडिक्ट और दिल टूटे हुए आशिक के रोल में हैं जो बेहद गुस्से वाला है. ये सनकी आशिक एक ग्लास टूटने पर अपनी काम वाली बाई को मारने के लिए दौड़ता है और ड्रग्स के साथ-साथ महिलाओं के साथ बुरी तरह से पेश आता है. कभी ये एक्टर अच्छा हुआ करता था, लेकिन सनकी स्टॉकर तब भी था जो अपने प्यार को पाने के लिए कुछ भी करता था. पर अब कबीर सिंह बदल चुका है और Kabir Singh Review में एक बात लोगों के लिए जान लेना बहुत जरूरी है.

चेतावनी: ये फिल्म महिलाओं के लिए बिलकुल नहीं है..

जी हां, यही सबसे अहम चेतावनी भी है और यही बात लोगों के लिए जान लेना जरूरी भी है. इस फिल्म की महिलाओं को मारने के लिए दौड़ाया जाता है, उन्हें जबरन क्लास से निकाल लिया जाता है, उन्हें बिना मर्जी किस किया जाता है, चाकू दिखाकर कपड़े उतारने को कहा जाता है, थप्पड़ मारे जाते हैं. कुल मिलाकर इस फिल्म में कबीर सिंह के कुत्ते का रोल इस फिल्म की महिलाओं से ज्यादा अच्छा है.

डायरेक्टर Sandeep Reddy Vanga ने जो दक्षिण की फिल्म Arjun Reddy के साथ किया वही Kabir Singh के साथ करने की कोशिश की. लेकिन ये बिलकुल सही नहीं था. दो ऐसी फिल्में जो पितृसत्ता से लेकर महिलाओं के प्रति घृणा का भाव रखने वाले लोगों के लिए बनाई गई हैं, वो किसी भी तरह से मास ऑडियंस के लिए नहीं हो सकती. अर्जुन रेड्डी के साथ तो फिर भी पहला एक्सपेरिमेंट था, लेकिन कबीर सिंह के साथ जो हुआ वो तो बेहद शर्मनाक ही है.

फिल्म में बहुत ज्यादा महिला विरोधी सेंटिमेंट्स देखे जा सकते हैं.

कबीर सिंह...

शाहिद कपूर और कियारा आडवाणी की फिल्म Kabir Singh अब रिलीज हो गई है और इस फिल्म को लेकर शुरुआत में जितनी भी बातें कहीं गई हैं वो सभी सच हैं. मसलन ये फिल्म पूरी तरह से Arjun Reddy की कॉपी है. फिल्म में Shahid Kapoor एक ड्रग एडिक्ट और दिल टूटे हुए आशिक के रोल में हैं जो बेहद गुस्से वाला है. ये सनकी आशिक एक ग्लास टूटने पर अपनी काम वाली बाई को मारने के लिए दौड़ता है और ड्रग्स के साथ-साथ महिलाओं के साथ बुरी तरह से पेश आता है. कभी ये एक्टर अच्छा हुआ करता था, लेकिन सनकी स्टॉकर तब भी था जो अपने प्यार को पाने के लिए कुछ भी करता था. पर अब कबीर सिंह बदल चुका है और Kabir Singh Review में एक बात लोगों के लिए जान लेना बहुत जरूरी है.

चेतावनी: ये फिल्म महिलाओं के लिए बिलकुल नहीं है..

जी हां, यही सबसे अहम चेतावनी भी है और यही बात लोगों के लिए जान लेना जरूरी भी है. इस फिल्म की महिलाओं को मारने के लिए दौड़ाया जाता है, उन्हें जबरन क्लास से निकाल लिया जाता है, उन्हें बिना मर्जी किस किया जाता है, चाकू दिखाकर कपड़े उतारने को कहा जाता है, थप्पड़ मारे जाते हैं. कुल मिलाकर इस फिल्म में कबीर सिंह के कुत्ते का रोल इस फिल्म की महिलाओं से ज्यादा अच्छा है.

डायरेक्टर Sandeep Reddy Vanga ने जो दक्षिण की फिल्म Arjun Reddy के साथ किया वही Kabir Singh के साथ करने की कोशिश की. लेकिन ये बिलकुल सही नहीं था. दो ऐसी फिल्में जो पितृसत्ता से लेकर महिलाओं के प्रति घृणा का भाव रखने वाले लोगों के लिए बनाई गई हैं, वो किसी भी तरह से मास ऑडियंस के लिए नहीं हो सकती. अर्जुन रेड्डी के साथ तो फिर भी पहला एक्सपेरिमेंट था, लेकिन कबीर सिंह के साथ जो हुआ वो तो बेहद शर्मनाक ही है.

फिल्म में बहुत ज्यादा महिला विरोधी सेंटिमेंट्स देखे जा सकते हैं.

कबीर सिंह के दिमाग में कुछ केमिकल लोचा है और उन्हें या तो गुस्सा आता है या फिर वो अपने स्टूडेंट्स के सामने बेहतरीन हीरो बनने की कोशिश करते हैं. मेडिकल स्टूडेंट्स उन्हें हीरो ही मानते हैं. वो टॉप क्लास सर्जन कम स्टूडेंट ही लग रहे होते हैं. कबीर सिंह को नए बैच की प्रीती सिक्का से पहली नजर में प्यार हो जाता है और बिना उसकी मर्जी के उसके गाल पर किस भी कर लेते हैं. यही नहीं प्रीती के लिए कबीर एक दोस्त भी ढूंढ देते.

इस फिल्म में सुरेश ओबेरॉय, कामिनी कौशल, अर्जन बाजवा, सोहम मजूमदार के भी रोल हैं पर फोकस तो कबीर और उसके गुस्से पर ही है न.

जहां तक प्लॉट का सवाल है वो तो आप जान ही चुके हैं, लेकिन ऑडियंस ने इस फिल्म को देखकर जो रिएक्शन दिए हैं वो बेहद अनोखे हैं.

लड़कियों के लिए ये फिल्म बिलकुल नहीं है. ये हम पहले ही बता चुके हैं. इस फिल्म को लेकर अगर शाहिद की एक्टिंग देखनी है तो जाइए, लेकिन उसमें भी अर्जुन रेड्डी ज्यादा अच्छी साबित होगी. Kiara Advani का इसमें कोई रोल ही नहीं है ये समझिए. उनका काम बस शाहिद का लव इंट्रेस्ट होना ही है.

कुछ लोगों को ये फिल्म अच्छी लग सकती है. इसमें कल्ट वाले सारे गुण हैं क्योंकि ये सिर्फ कुछ ही लोगों के लिए बनाई गई फिल्म है.

कल्ट की बात हो रही है तो यही देख लीजिए कि कमाल आर खान ने भी इस फिल्म की तारीफ की है. पर जैसा कि उन्होंने भी लिखा है. ये सीन दर सीन यहां तक की डायलॉग भी अर्जुन रेड्डी की कॉपी है.

हां, अब सही रिव्यू की बात करते हैं, तो ये फिल्म के असली रिएक्शन हैं. एक खास तबके को ये फिल्म पसंद आ सकती है. ये माहौल अब देवदास और तेरे नाम का नहीं बल्कि कबीर सिंह का है. पर अगर फिल्म देखकर कुछ मैसेज की उम्मीद कर रहे हैं तो वो नहीं मिलेगा. शाहिद की एक्टिंग को अगर अर्जुन रेड्डी से जोड़ा जाए तो ये कम लगेगी, लेकिन अगर सोल एक्टिंग देखी जाए तो वो इंसान जो शराब भी नहीं पीता अगर वो एक ड्रग एडिक्ट की एक्टिंग करे तो ये दमदार है.

यकीनन शाहिद ने एक्टिंग के मामले में हैदर और उड़ता पंजाब के रोल को वापस पा लिया है और उसी लेवल का कमिटमेंट दिखाया है.

कबीर सिंह देखने के कारण?

कबीर सिंह न देखने के कारण तो पहले ही बताए जा चुके हैं, लेकिन कबीर सिंह देखने के भी कुछ कारण हैं.

  1. शाहिद की एक्टिंग के लिए देखिए.
  2. कियारा का रोल उतना दमदार नहीं है लेकिन वो फिल्म में नयापन जरूर लाती हैं.
  3. कबीर सिंह का परिवार और दोस्त अपने छोटे-छोटे रोल में भी बेहतरीन काम कर रहे हैं.
  4. ये रोमांटिक फिल्म नहीं है.
  5. अगर अर्जुन रेड्डी नहीं देखी है तो ये फिल्म देखिए.

बहरहाल, फिर से एक ही बात बोली जाएगी कि ये फिल्म महिलाओं के लिए नहीं है. परिवार के लिए भी नहीं है. जितनी गालियां इस फिल्म में दी जा रही हैं वो साफ बताती हैं कि इसे A सर्टिफिकेट क्यों मिला.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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