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KK जैसे कभी मरते नहीं, KK मरा नहीं करते, वो यही हैं हमारे बीच...

    • पल्लवी विनोद
    • Updated: 01 जून, 2022 05:39 PM
  • 01 जून, 2022 05:39 PM
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KK हमारे बीच से उठकर उस सफ़र के लिए निकल चुके हैं, जहां कोई किसी का साथ नहीं देता. लेकिन इस दुनिया में सांस ले रही अरबों आवाज़ों में कुछ ही ऐसी आवाज़ें हैं जो यहीं रह जाती हैं. उनकी रूहानी आवाज़ हम सभी के पास हमारी आख़िरी सांस तक रहेगी.

कोई दिन होता है बेहद उदास सा, जब अपने आस-पास मौजूद सारे सुख बेमानी लगने लगते हैं. एक तड़प सी उठती है और हम अपनी प्ले लिस्ट में उस आवाज़ को खोजते हैं. कुछ देर उस आवाज़ में भीग कर अपने मन को पुचकारते हैं फिर इस दुनिया में वापस लौट आ रह हैं. क़रीब 23 साल पहले जब जीवन में दोस्तों से अहम कुछ भी नहीं लगता था. दोस्त नाराज़ तो दुनिया फीकी लगने लगती थी. उन पलों के बैकग्राउंड में एक आवाज़ आयी जिसने बताया, 'एक तुम ही नहीं हो दोस्तों के जानिब' उस आवाज़ ने जब कहा, कोई तो हो राज़दार, बेगरज तेरा हो यार… हमने अपने रूठे दोस्तों को गले लगाकर मना लिया था. वो दोस्त भी जैसे इसी इंतज़ार में बैठा हुआ था उतना ही तलबगार, उतना ही बेचैन. उसी साल मुहब्बत में टूटे दिलों ने बार-बार उसी आवाज़ में ख़ुदा से पूछा, 'जिस्म मुझे देकर मिट्टी का शीशे का दिल क्यों बनाया' कैसी रूहानी आवाज़ थी, जो सीधे दिल में उतर रही थी. हमने उस आवाज़ और उसके नाम को अपने दिल में बसा लिया.

केके दुनिया के उन चुनिंदा सिंगर्स में एक थे जिनकी आवाज कानों में शहद घोल जाती है

हम सब उम्र की सीढ़ियां लांघते रहे थे और 'केके' हमें अपने सुरों से संवार रहे थे. मोहब्बत की इल्तिजा करते आशिक़ों ने जब अपनी प्रेमिकाओं से कहा, 'दिल इबादत कर रहा है धड़कनें मेरी सुन' प्रेमिकाओं ने उन्हें अपने सीने में छुपा लिया. दो जिस्मों के दिलों में धड़कते इस अहसास को केके की आवाज़ ने रूह तक पहुंचा दिया था. कैसी सुर साधना थी. न बेवजह की हरकतें, न ख़ुद को दूसरों से अलग साबित करने जुनून फिर भी अलहदा…

जब दो साल पहले इरफ़ान साहब का इंतक़ाल हुआ तो हर किसी ने उन्हें, उनकी अदाकारी, डूबती आंखों और उनकी ख़ास शख़्सियत को याद किया लेकिन उनकी हर याद के नेपथ्य में एक गाना लगातार चल रहा था… मैंने दिल...

कोई दिन होता है बेहद उदास सा, जब अपने आस-पास मौजूद सारे सुख बेमानी लगने लगते हैं. एक तड़प सी उठती है और हम अपनी प्ले लिस्ट में उस आवाज़ को खोजते हैं. कुछ देर उस आवाज़ में भीग कर अपने मन को पुचकारते हैं फिर इस दुनिया में वापस लौट आ रह हैं. क़रीब 23 साल पहले जब जीवन में दोस्तों से अहम कुछ भी नहीं लगता था. दोस्त नाराज़ तो दुनिया फीकी लगने लगती थी. उन पलों के बैकग्राउंड में एक आवाज़ आयी जिसने बताया, 'एक तुम ही नहीं हो दोस्तों के जानिब' उस आवाज़ ने जब कहा, कोई तो हो राज़दार, बेगरज तेरा हो यार… हमने अपने रूठे दोस्तों को गले लगाकर मना लिया था. वो दोस्त भी जैसे इसी इंतज़ार में बैठा हुआ था उतना ही तलबगार, उतना ही बेचैन. उसी साल मुहब्बत में टूटे दिलों ने बार-बार उसी आवाज़ में ख़ुदा से पूछा, 'जिस्म मुझे देकर मिट्टी का शीशे का दिल क्यों बनाया' कैसी रूहानी आवाज़ थी, जो सीधे दिल में उतर रही थी. हमने उस आवाज़ और उसके नाम को अपने दिल में बसा लिया.

केके दुनिया के उन चुनिंदा सिंगर्स में एक थे जिनकी आवाज कानों में शहद घोल जाती है

हम सब उम्र की सीढ़ियां लांघते रहे थे और 'केके' हमें अपने सुरों से संवार रहे थे. मोहब्बत की इल्तिजा करते आशिक़ों ने जब अपनी प्रेमिकाओं से कहा, 'दिल इबादत कर रहा है धड़कनें मेरी सुन' प्रेमिकाओं ने उन्हें अपने सीने में छुपा लिया. दो जिस्मों के दिलों में धड़कते इस अहसास को केके की आवाज़ ने रूह तक पहुंचा दिया था. कैसी सुर साधना थी. न बेवजह की हरकतें, न ख़ुद को दूसरों से अलग साबित करने जुनून फिर भी अलहदा…

जब दो साल पहले इरफ़ान साहब का इंतक़ाल हुआ तो हर किसी ने उन्हें, उनकी अदाकारी, डूबती आंखों और उनकी ख़ास शख़्सियत को याद किया लेकिन उनकी हर याद के नेपथ्य में एक गाना लगातार चल रहा था… मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना ख़ुशी, नासमझ लाया ग़म तो ये ग़म ही सही. इस गाने ने जाने कितने बेचैन दिलों को सम्भाला है. कौन जानता था इस गाने से जुड़े दो नाम इतनी जल्दी इस दुनिया से रुख़्सत हो जाएंगे?

केके को खोना संगीत के उस स्वर को खोना है जो सुन कर सीने में तड़प पैदा होती है. उस सादगी को खोना है जो सुनने वाले के मन में सीधे उतर जाती है. उनके कॉन्सर्ट में जाने की बहुत तमन्ना थी. कुछ दिन पहले जब बेटा उनके कॉन्सर्ट में गया तो भीड़ देख कर हतप्रभ था. केके की आवाज़ पर झूमते आज के युवा हमारे समय के युवाओं से भी बड़े प्रशंसक हैं. शायद वो भी अपने प्रशंसकों के प्रेम से अभिभूत थे तभी इस दुनिया से जाने से पहले उनकी आंखों से ख़ुद को देखने आख़िरी बार स्टेज पर चले गए थे.

हमें कहां पता होता है, कोई लम्हा कब आख़िरी हो जाता है. कोई रात किस जगह डूब जाती है कि उसकी सुबह होती ही नहीं है. उनके आख़िरी कॉन्सर्ट के वीडियोज़ हर जगह फैल चुके हैं. लेकिन अब वो आवाज़ फिर कभी नहीं गूंजेगी. कोई नया गाना उनकी आवाज़ में अब नहीं सुना जाएगा.

'केके'' हमारे बीच से उठकर उस सफ़र के लिए निकल चुके हैं, जहां कोई किसी का साथ नहीं देता. लेकिन इस दुनिया में सांस  ले रही अरबों आवाज़ों में कुछ ही ऐसी आवाज़ें हैं जो यहीं रह जाती हैं. उनकी रूहानी आवाज़ हम सभी के पास हमारी आख़िरी सांस तक रहेगी. उस बंदे ने हमसे कहा भी तो था... 'चल सोचें क्या, छोटी सी है ज़िंदगी…… हम रहें या ना रहें याद आएंगे ये पल'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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