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पल्लवी विनोद
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लेखिका, परिवार कल्याण केंद्र में कॉउंसलर हैं और समसामयिक मुद्दों पर लिखती हैं.
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सिनेमा
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घरेलू हिंसा की शिकार तक़रीबन हर महिला का जीवन Darlings की तर्ज पर ही चलता है
Netflix पर हालिया रिलीज फिल्म Darlings का अंत थोड़ा अलग है और घरेलू हिंसा को सहने वाली सभी औरतों के लिए एक संदेश देता है. कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलती जैसे किसी की हिंसक प्रवृत्ति... इस संदेश को दर्शकों तक पहुंचाने में सफल रही इस मूवी की टीम को बहुत बधाई. पर शायद इसे और बेहतरीन ढंग से दर्शाया जा सकता था.
समाज
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'रेत समाधि' पारम्परिक कहानी नहीं है- प्रेम कहानी, रहस्य और रोमांच तो बिल्कुल नहीं
यकीनन 'रेत समाधि' 2022 के बुकर पुरस्कार की प्रबल दावेदार है. 'रेत समाधि' के पात्रों की तरह कुछ भी किसी के वश में नहीं है. सब घटनाएं हैं, जो घट रही हैं और घटती रहेंगी. एक हिंदी किताब का पहली बार बुकर की महफ़िल में आमंत्रित किया जाना हम सबके लिए गर्व का विषय है.
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KK जैसे कभी मरते नहीं, KK मरा नहीं करते, वो यही हैं हमारे बीच...
KK हमारे बीच से उठकर उस सफ़र के लिए निकल चुके हैं, जहां कोई किसी का साथ नहीं देता. लेकिन इस दुनिया में सांस ले रही अरबों आवाज़ों में कुछ ही ऐसी आवाज़ें हैं जो यहीं रह जाती हैं. उनकी रूहानी आवाज़ हम सभी के पास हमारी आख़िरी सांस तक रहेगी.
सिनेमा
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हॉरर मूवी देखना मानसिक विकृति है, इसमें आनंद कैसा?
हमारे आस पास ऐसे लोगों की एक बड़ी संख्या है जिनसे कोई भी हॉरर मूवी छूटती नहीं. भले ही इनको डर लगे. इनका गला सूखे ये कैंप उठें लेकिन इन्हें हॉरर देखना है तो बस देखना है. सवाल ये है कि इस तरह डरते डरते हॉरर देखना किस तरह की मानसिकता दर्शाता है?
सिनेमा
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Cobalt Blue: ग्रे शेड्स के लिहाफ़ का निचला हिस्सा नीला भी हो सकता है और पीला भी...
Cobalt Blue बात सिर्फ़ कहानी की नहीं, पूरी मूवी की है. जिसे देखते समय आप हर दृश्य पर ठहरना चाहते हैं. कभी-कभी लगता है कि हम किसी आर्ट गैलरी में विचरण कर रहे हैं. जाने कितने पोर्ट्रेट हैं जहां खड़े होकर अपने साथी से गुफ़्तगू करने का मन करने लगता है लेकिन आप उन सारी भावनाओं को ज़ब्त करते जाते हैं.
समाज
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'सिमरूं मैं पी का नाम'... और नुसरत की आवाज आत्मा में चली गई
सिमरूं मैं पी का नाम... नुसरत साहब जानते थे मीरा के आंसू समूची धरती को डुबा देंगे और इस तरह उन्होंने इस दुनिया को बचा लिया. लोग कहते हैं मीरा की मृत्यु कभी हुई ही नहीं. वो कृष्ण में ही समा गयीं थीं. आज भी वंशी की धुन में मीरा का प्रेम हर दिशा में फैल रहा है.
समाज
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Hindu-Muslim hatred: इंसान को ज़िंदा रहने के लिए धर्म नहीं, इंसान की ज़रूरत है
धर्म की लड़ाई लड़वाने में जिसका फ़ायदा हो उसे करने दीजिए आप उन बातों और इंसान के बीच ऐसी मज़बूत दीवार बन जाइए जिससे टकराकर हर पत्थर टूट जाए क्योंकि इंसान की जान से क़ीमती कुछ भी नहीं है और इंसान को ज़िंदा रहने के लिए धर्म नहीं इंसान की ज़रूरत है.