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Updated: 15 जून, 2022 06:51 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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तंबाकू से कर्क रोग (कैंसर) होता है. सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. फिल्म से लेकर पब्लिक टॉयलेट तक ज्ञान और नीति की ये बात जब जब देखी मन भाव विभोर हो उठा. आंखों से आंसुओं का समंदर बह गया (ऐसे मौकों पर अगर हाल ऐसे ही रहे और किसी दिन अगर 15- 20 मिनट एक्स्ट्रा हो गए तो बाढ़ ही आ जानी है. दुनिया को मेरे आंसुओं के सैलाब में बह जाना है). ख्याल यही आया कि भई वाह कितनी अच्छी हैं हमारे देश की सरकारें. कितनी फ़िक्र है उन्हें हमारी. लेकिन क्योंकि कुछ चीजें कहने सुनने में ही अच्छी हैं. इसलिए जब हर टीवी से लेकर बड़ी बड़ी होर्डिंग तक रोजाना नई लांच होती सिगरेट को देखता हूं तो ख्याल यही आता है कि यही है दुनिया. यही है दुनिया की हकीकत. जो पहले देखा वो फ़साना ही तो है.

बाकी किसी भी सिग्रेटची से एक बार बात करके देख लीजिये कूल लगने से लेकर भौकाली दिखने तक सिगरेट को लेकर उसके पास इतने तर्क होंगे जो आपको इस बात का एहसास दिला देंगे कि अगर दुनिया ने सिगरेट की ईजाद न की होती तो ये दुनिया कलरफुल नहीं ब्लैक एंड वाइट होती.

Cigarette, Canada, Warning, Health, Cancer, Advertisement, Gutkha, India सिगरेट और धूम्रपान से बचाव के लिए जो कदम उठाया है वो मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है के लिए कनाडा का

अच्छा बात चूंकि उस नारे जिसमें किसी समाजसुधारक बुद्धिजीवी की कल्पना थी कि सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है. ये स्टेटमेंट सबसे बड़ा धोखा है. फ्रॉड है. मजाक है. क्योंकि इस मैसेज पर बात हुई तो इतना ज़रूर जान लीजिए कि इस मैसेज के जरिए सरकारी खानापूर्ति करने के मामले में कनाडा ने सिरमौर बनने का हक हासिल कर लिया है.

अभी तक तो सिगरेट के पैकेट पर ही ये मैसेज (Cigarette smoking is injurious to health) लिखा होता था लेकिन कनाडा वाले शायद ज्यादा ही फुरसत में थे. उन्होंने कुछ तूफानी किया है. फैसला हुआ है कि अब सिगरेट के पैकेट के साथ साथ सिगरटों पर भी यही लिखा होगा कि ऐ शेख तू तेरा देख ले. क्योंकि अगर सावधानी हट जाएगी तो फिर दुर्घटना घट जाएगी. यानी भगवान के लिए न सही अपनी खुद की एकदम व्यक्तिगत सेहत के लिए सिगरेट से फासला कर ले.

मक्कारी का एक्सट्रीम क्या होता होगा? ये कहां और कैसे पैदा होती होगी इसके लिए भले ही लंबा शोध करना हो लेकिन अब जबकि कनाडा का ये ऐतिहासिक फैसला हमारे सामने हैं तो जो सबसे पहला सवाल हमारे जेहन में आता है वो ये कि सरकारें सिर्फ सिगरेट के पैकेट पर वैधानिक चेतावनी ही लिखती आई हैं, उसे बनाने और बेचने पर बैन नहीं लगातीं. ऐसा क्यों? क्या ये दुनिया के बड़े चौधरियों द्वारा की गई कोई शरारत है? क्या इसके पीछे कोई छिपा एजेंडा है?

आप खुद बताइये. दिल पर हाथ और कलेजे पर पत्थर रख कर बताइए क्या ये दोगलापन नहीं है? मतलब गवर्नमेंट जान रही है कि जो सिगरेट का कश लेगा उसकी सोने की चिड़िया रूपी जान शरीर के पिंजड़े से फुर्र हो जाएगी. लेकिन बावजूद इसके जिस तरह मार्किट में खुलेआम सिगरेट बिकने दी जा रही है वो सिर्फ गुनाह नहीं, गुनाह ए अजीम है.

ऐसे सौदागर नरक में वहां के बावर्चियों द्वारा बिना बेसन और मेरिनेशन के गैस धीमी कर के गोल्डन ब्राउन होने तक डीप फ्राई किये जाएंगे. अच्छा बात चूंकि कनाडा की हुई है तो वहां के मानसिक स्वास्थ्य और व्यसन मंत्री कैरोलिन बेनेट ने अपनी तरह की अनूठी इस पहल पर अपना पक्ष रखा है और कहा है कि, 'तंबाकू उत्पादों के पैकेट पर लिखी चेतावनी पर लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं. हमें इस चिंता को दूर करने की जरूरत है. इस मैसेजों ने नवीनता और प्रभाव खो दिया है.

उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी जोड़ने से आवश्यक संदेश लोगों तक पहुंचेगा. खासतौर जिनमें युवा भी शामिल हैं. वह पैकेट पर छपी जानकारी को अनदेखा कर देते हैं, या उनकी नजर नहीं पड़ती है. हो सकता है इतनी बातें सुनने के बाद यहां भारत में हममें से कुछ एक ने लॉस ले लिया हो तो भैये ठंड रख. चिल मार.

कनाडा में भी ये नियम अगले साल लागू होगा. कैरोलिन बेनेट ने कहा कि अगले साल इस नए फैसले को लागू करने की योजना है. हर सिगरेट पर मैसेज लिखेंगे कि हर कश में जहर. सरकार के इस फैसले के बाद कनाडा में आमो ख़ास बल्लियों उछल रहे हैं. कैनेडियन कैंसर सोसाइटी तो इस खबर के बाद कुछ इस लेवल पर खुश है कि उसने ये तक कह दिया है कि यह एक ऐसी चेतावनी है जिसकी अनदेखी शायद ही कोई कर पाए.

सोसायटी ये भी मानती है कि मैसेज हर धूम्रपान करने वाले तक, हर कश के साथ पहुंचने वाला है. यानी जैसा फ़ैसला लिया गया है सबके बागों में बहार है. लेकिन इतनी बातों के बावजूद Question Remains Same सरकारें सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती?

हो सकता है सवाल सिगरेट के शौकीनों को आहत कर दे. खुशफहमी वाले तर्क दिए जाएं और देश की अर्थव्यवस्था और रेवेन्यू का हवाला दिया जाए तो गुरु अगर इन तर्कों की सच्चाई पर बात हो तो दुनिया के सिग्रेटची आहत हो जाएंगे. कोई हमें कोसे इसलिए हमारे लिए भी बैलेंस बना लेना जरुरी है. विदेशों में संस्थाओं को जो दिक्कतें सिगरेट से हो रही हैं वही दिक्कत हमारे यहां गुटखाखोरों की है.

भले ही बॉस से लेकर बीवी तक और अपनी खुद की मम्मी से लेकर बीवी की भाभी की मम्मी तक दुनिया के शुद्ध और सात्विक लोग गुटखे और गुटखाखोरों दोनों से ही नफरत करते हों. गुटखे को बुराई और लफंगई का प्रतीक माना जाता हो लेकिन जब बात इसे खाने और इसके विज्ञापन की आती है तो चाहे वो विमल के ऐड में अजय, अक्षय और शाहरुख हों या फिर राजश्री के ऐड में सलमान और कमला पसंद के ऐड में महानायक.

गुटखे के विज्ञापन में दिखाया यही जाता है कि गुटखे के शौकीन व्यक्ति या तो एलन मस्क के मैसिया हैं या फिर बिल गेट्स के चाचा के लड़के. ग्लैमर ऐसा कि जब भी ऐड देखो तो मुंह से यही निकलता है कि 'ओ भाईसाहब.' अच्छा दिलचस्प ये कि चाहे वो सिगरेटची हों या गुटखाखोर लॉजिक सबके कमोबेश एक जैसे ही रहते हैं. और हां गुटखे में भी वैधानिक चेतावनी लिखी होती है और इसके समर्थक भी रेवेन्यू का हवाला देते हैं.

तो गुरु जब हम अपने वालों को नहीं सुधार पा रहे तो कनाडा वालों के मामले में काहे और क्या ही टांगे अड़ाए. बाकी गैंग्स ऑफ वासेपुर में तो पहले ही कह दिया गया है कि छोटा आदमी गुंडई करना चाहता है, करने दो.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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