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Updated: 10 मार्च, 2021 03:07 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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'भेड़चाल' डेली या कहें कि रूटीन लाइफ का बड़ा लोकप्रिय मुहावरा है जिसका अर्थ है कि बिना सोचे समझे किसी की देख देखी किसी काम को करना. दौर चूंकि सोशल मीडिया का है इसलिए 'भेड़चाल' ने अपने स्वरूप बदल लिए हैं और सब कुछ एजेंडे के तहत हो रहा है. बंगाल को ही देख लीजिए. चंद दिन की बात है इसका फैसला हो जाएगा कि बंगाल की सत्ता भाजपा के पाले में जाती है या फिर बंगाल के लोग तृणमूल पर अपना भरोसा कायम रखते हैं. बंगाल चुनाव जैसे जैसे करीब आ रहे हैं क्या तृणमूल कांग्रेस क्या भाजपा दोनों ही दलों के आईटी सेल उस मुकाम पर आ गए हैं जिसे देखने के बाद अगर दुनिया खत्म भी हो जाए तो भी ज्यादा कुछ अफसोस नहीं रहेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि जो चुनावों से पहले हम देख रहे हैं वो न केवल हैरत में डालता है बल्कि ये भी बताता है कि जब बात जीत की वो भी चुनावों वाली जीत की आती है तो व्यक्ति सारी सीमाएं लांघ जाता है और एक दो लड़कियों की नहीं बल्कि कई लड़कियों की गाड़ी पर टीएमसी के गुंडे हमला कर देते हैं मगर चूंकि ये पीएम मोदी पर यकीन करती हैं तो भले ही ये मन से मुलायम हों लेकिन हां मगर इरादे इनके लोहा हैं.

West Bengal, Bengal, West Bengal Assembly Election, BJP, Girls, TMC, Stone Peltingबंगाल चुनावों के मद्देनजर एक ही ट्वीट का अलग अलग प्रोफाइल से आना बता देता है कि दलों द्वारा जीत के लिए साम दाम दंड भेद सब एक किया जा रहा है

कंफ्यूज मत होइए हावड़ा की कई लड़कियां पापा के साथ अलग अलग कार में निकलीं और 'टीएमसी के गुंडों' ने उन्हें पत्थर मारे. मजे की बात ये है कि सभी को 3-3 टांके आए हैं और सभी मरते दम तक मोदी के साथ रहेंगी. एक ऐसे समय में जब किसका कॉपी पेस्ट कहां हो जाए इसकी कोई विशेष जानकारी न हो हावड़ा में जिस तरह का एजेंडा भाजपा द्वारा टीएमसी के खिलाफ चलाया जा रहा है वो ये बताने के लिए काफ़ी है कि बंगाल का रण राज्य की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा सारे देश के लिए दिलचस्प होने वाला है.

सबकी नजरें उसी दिशा में होंगी जहां बंगाल है जिसको मिल गया ठीक जिसको नहीं मिला उसके लिए गूगल मैप्स तो है ही क्रांतिकारी चीज. चीज से याद आया अंग्रेजी भाषा में एक शब्द है Cheesiness जिसका अर्थ अच्छा नहीं है और जो इस समय बंगाल में ठीक चुनावों से पहले हो रहा है वो इसी शब्द की इंतेहा है.

अब हम ज्यादा क्या ही कहें हावड़ा वाले मामले में शहर के लोगों विशेषकर लड़कियों का पीएम मोदी के साथ होना एक बात है लेकिन जिस तरह शहर की सारी लड़कियां पापा के साथ एक समय पर निकली और जैसे सभी को पत्थर लगने के बाद 3 टांके लगे ये कई मायनों में बेवकूफी की पराकाष्ठा है.

ठीक है करे आदमी नकल कर ले कॉपी पेस्ट लेकिन टाइमिंग का तो ख्याल रखे. बाकी इस मामले में जिस चीज ने हमें सबसे ज्यादा दुख दिया है वो ये ट्वीट वाला कंटेंट है जो हद दर्जे का लोकल है. नहीं मतलब ठीक है. चीन वाले मसले फिर कोरोना काल में पीएम मोदी ने गार्जियन ऑफ द गैलेक्सी के रूप में हमसे कहा था कि हमें लोकल के लिए वोकल होना चाहिए.लेकिन इलेक्शन प्रमोशन कैम्पेन में इस दर्जे का लोकल कंटेंट लिखा और शेयर किया जाए ये अखबार से लेकर रेडियो और टेलीविजन तक पीएम मोदी ने हमसे नहीं कहा था. बिल्कुल नहीं कहा था. कत्तई नहीं कहा था.

ध्यान रहे इस हावड़ा वाले मामले के प्रकाश में आने के बाद भले ही फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर लोग भाजपा और उसके आईटी सेल को कोस रहे हों मगर हक़ है पार्टियों को चुनाव में साम दाम दंड भेद एक करने का लेकिन वो इस घटियेपन के साथ होगा हमें नहीं पता था.

खुद कल्पना करके देखिए पार्टी प्रमोशन के नाम पर ये जो कुछ भी बंगाल में चल रहा है इसे देखने के बाद वहां ऊपर स्वर्ग में बंगाल से जुड़े महापुरुषों की क्या हालत हो रही होगी. क्या सोच रहे होंगे गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर. क्या हाल होगा स्वामी विवेकानंद और राजा राम मोहन रॉय का. हमें यकीन है सत्यजीत राय जैसे लोग भी भाजपा आईटी सेल की इस बेवकूफी को देखकर खुद को कोड़े जड़ रहे होंगे.

खैर अब जबकि ये मामला हमारे सामने आ गया है तो हम भी उन लड़कियों से ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि जब टीएमसी के सारे गुंडे हावड़ा पर ही थे तो इन्हें कहीं और चले जाना था यूं भी गाड़ी थी पापा वाली कहीं और घूम आतीं एक्सीडेंट भी होता तो चार लग जाते पांच लग जाते लेकिन ये 3 टांके तो न ही लगते.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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