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Updated: 31 अक्टूबर, 2017 05:54 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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आज शर्मा जी ऑफिस में बड़े उदास थे. न किसी के गुड मॉर्निंग का जवाब दे रहे थे और न ही किसी के जोक पर मुस्कुरा रहे थे. लोगों को लग रहा था कि वो बीमार हैं, लेकिन असल बात तो ये थी कि शर्मा जी ने मिस मिश्रा को अपने दिल की बात बता दी थी और मिस मिश्रा ने कहा कि वो तो उन्हें एक अच्छे दोस्त की तरह मानती हैं. इस फ्रेंडजोन के बारे में हमेशा से शर्मा जी ने पढ़ रखा था, सुन रखा था, लेकिन पहली बार महसूस किया था. ऐसा लग रहा था मानो वो कोई ब्रोकर हों और शेयर मार्केट अचानक 3000 से भी नीचे गिर गया हो.

शर्मा जी को डर था कि कहीं फ्रेंडजोन के बाद मिस मिश्रा उन्हें ब्रोजोन (BRO-Zone) न कर दें. उन्होंने सोचा कुछ तो करना होगा. अब पूरी रिसर्च कर वो लग गए इस मामले की पड़ताल करने. ठीक से मिस मिश्रा की कही बातों पर गौर करने लगे और ये क्या उन्हें तो अपनी गलती का एहसास भी हो गया. वे डायरी लेकर आए और पेन से लिख दिया.. 'फ्रेंडजोन से बाहर आने के 7 रामबाण तरीके'...

फ्रेंडजोन

1. पहले से अपने इरादे जाहिर कर देना...

ये बात शर्मा जी को बहुत बाद में पता चली कि दूसरे फ्लोर पर बैठने वाले सुदीप तिवारी ने पहले ही मिस मिश्रा को अपने इरादे बताने शुरू कर दिए थे. नहीं नहीं.. वो मिस मिश्रा का ब्वॉयफ्रेंड नहीं था, लेकिन उनकी दोस्ती भी ठीक ही थी. हमारे शर्मा जी ने तो सीधे प्रपोज ही किया है उसके पहले कभी मिस मिश्रा से हाथ तक नहीं मिलाया. तो सीधे प्रपोज करने से पहले थोड़ा हिंट तो देना चाहिए.

2. जरूरत से ज्यादा केयर नहीं करना...

गाहे बगाहे शर्मा जी को एक बात याद आ गई. मिस मिश्रा ने एक बार बातों ही बातों में कह दिया था कि उन्हें जरूरत से ज्यादा पैंपर होना पसंद नहीं. शर्मा जी ने काफी गूगल किया फिर समझ आया कि ऐसा करने पर तो लड़कियां अपने दोस्त को बड़ा भाई या पिता समझने लगती हैं. हर बात पर सही और गलत की सीख देना भी तो सही नहीं न.

3. हर बात पर हां मत करना..

प्यार हुआ और उसका इजहार नहीं हुआ. ये बहुत मीठा सा वक्त होता है जब सामने वाले के हर सवाल का जवाब हां ही होता है. क्या मेरा रीचार्ज करवा दोगे? क्या मेरे साथ पानी पुरी खाने चलोगे? क्या मेरे लिए प्रेजेंटेशन बना दोगे और ऐसे ही कई सवालों का जवाब हमेशा शर्मा जी ने हां में ही दिया था. न करने के बाद क्या होगा ये तो वो जानते ही नहीं थे. ऐसे में एक बार न करना तो जरूरी है.

4. बिना बोले ही समझ लेना..

अरे मिस मिश्रा को शर्मा जी को कुछ कहने की जरूरत ही नहीं थी. बिना बोले ही उन्हें समझ आ जाता था कि मिस मिश्रा को क्या चाहिए कहां उनकी मदद की जरूरत है, क्या बात बुरी लगी होगी. आत्म चिंतन करते समय उन्हें ये समझ आया कि मिस मिश्रा को बोलने का मौका तो वो देना ही भूल गए. मिस मिश्रा ने अपनी बात तो सामने रखी ही नहीं कभी.

5. दूरियां भी हैं जरूरी...

हर वक्त मिस मिश्रा के पहले आ जाना और उनके जाने के बाद जाना, हर बार उनके साथ पानी लेने जाना, हर बार किसी न किसी तरह से बात की कोशिश.. शर्मा जी सोच ही रहे थे कि उन्हें ख्याल आया कि कहीं मिस मिश्रा उन्हें चिपकू न समझ रही हों. थोड़ा मिस मिश्रा को भी मौका मिलना चाहिए शर्मा जी को मिस करने का..

6. दोस्तों पर कमेंट ... न बाबा न

शर्मा जी को याद आया कि एक बार तो उन्होंने मिस मिश्रा की सहेलियों की बुराई भी की थी. अरे तौबा.. उसपर मिस मिश्रा कितना गुस्सा हो गई थीं. कोई इंसान परफेक्ट नहीं होता, ऐसे में मिस मिश्रा के दोस्त कैसे हो सकते हैं. शर्मा जी को समझ आ गया था कि ऐसे तो उनकी दाल नहीं गलने वाली.

7. उसपर ध्यान देने से पहले खुद पर ध्यान देना जरूरी है...

पर्सनल ग्रूमिंग ऐसे ही जरूरी नहीं होती. अगर शर्मा जी खुद पर ध्यान नहीं दे रहे हैं तो भला कैसे कोई और उनपर ध्यान देगा. वही फॉर्मल कपड़े, वही घड़ी और वैसे ही बाल.. मिस मिश्रा को देखिए कितना ख्याल रखती हैं खुद का थोड़ा को शर्मा जी को भी रखना पड़ेगा. बस शर्मा जी खोजने लगे पर्सनल स्टाइलिस्ट.

तो अब शर्मा जी वही करने वाले थे जो उन्होंने सोचा है. ये मान चुके थे वो कि इतना सब करने के बाद भी अगर मिस मिश्रा ने उन्हें न अपनाया तो वो मान लेंगे कि उनका और मिस मिश्रा का रिश्ता सिर्फ दोस्ती तक ही रहना है. मिस मिश्रा को कोई दिलचस्पी नहीं है. आखिर वो कोई रोड छाप रोमियो थोड़ी हैं जो लड़की के बार-बार मना करने पर भी उसके दीवाने बन जाएं या स्टॉकर बन जाएं. देखते हैं क्या होता है आगे शर्मा जी और मिस मिश्रा की लव स्टोरी का....

अगर आप जानना चाहते हैं कि आखिर कैसे शर्मा जी वैलेंटाइन डे नहीं मना पाए थे मिस मिश्रा के साथ जानने के लिए ये पढ़ें- ऑफिस की भागदौड़ और शर्मा जी का वैलेंटाइन डे

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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