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Updated: 20 अक्टूबर, 2021 01:46 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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जीवन है तो पच्चीस टंटे हैं. उन टंटों में खुशियों से लेकर गम तक सब कुछ है. इंसान बड़ा विचित्र है. विचित्र इसलिए क्योंकि वो खुशी को तो भूल जाता है लेकिन ग़म या ये कहें कि बुरी यादों को कभी नहीं भूलता. मौके- बेमौके इसकी यादें इंसान को तनाव में डाल ही देती हैं. भी हैं और है गम भी. ऐसे लोगों के लिए खुशखबरी है जो बाहर गांव से आई है. ऐसे दुःखीरामों के लिए कैम्ब्रिज ने कमाल कर दिया है. इतिहास रच दिया है. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने एक ऐसे प्रोटीन की खोज की है जो किसी भी इंसान के इमोशनल विचारों और यादों को बदलने या भूलने में मदद करता है. रिसर्च पर जब सवाल जवाब हुए तो वैज्ञानिकों ने भी डंके की चोट पर इस बात का दावा किया कि हालिया रिसर्च में हासिल ये प्रोटीन बुरी यादों को मिटाने का एक ऑप्शन हो सकता है. बताते चलें कि कैंब्रिज के न्यूरोसाइंस डिपार्टमेंट की वैज्ञानिक और प्रमुख शोधकर्ता डॉ एमी मिल्टन ने मस्तिष्क में शैंक प्रोटीन के होने का तर्क दिया है.

डॉक्टर एमी मिल्टन का मानना है कि ये प्रोटीन बुरी यादों से निजात दिलाने में रामबाण साबित हो सकता है. जैसा कि होता आया है ऐसे किसी भी शोध के लिए जानवरों को बलि का बकरा बनाया जाता है तो इस मामले में भोले भाले चूहों की मदद ली गयी है. वैज्ञानिकों ने रिसर्च के दौरान गरीब चूहों को हल्का सा इलेक्ट्रिक शॉक दिया. इसके फौरन बाद ही उन्हें बीटा ब्लॉकर दवा जिसे कि प्रोपरानोलोल के नाम से जाना जाता है, दी गई.

Science, Scientist, Brain, Research, Mouse, Human, Satire, Rahul Gandhi, Varun Gandhiबुरी यादों को भुलाने के सिलसिले में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एक कमाल की रिसर्च हुई है

इसके बाद वैज्ञानिकों ने इस बात को अनुभव किया कि चूहे को मेमोरी लॉस तो नहीं हुआ, लेकिन मस्तिष्क में शैंक प्रोटीन की मौजूदगी के कारण वह मानसिक रूप से अस्थिर नहीं हुआ. वैज्ञानिकों का कहना है कि दिमाग में मौजूद शैंक प्रोटीन की मात्रा घटती है तो मस्तिष्क में यादों से जुड़े तंत्रों में बदलाव की गुंजाइश है. हालांकि अभी इस बात की कोई पुष्टि नहीं हो पाई है कि शैंक प्रोटीन मेमोरी ब्रेकडाउन के लिए सीधे तौर पर जुड़ा रहता है या कोई गंभीर रिएक्शन के जरिए ऐसा होता है.

ध्यान रहे साल 2004 में न्यूयॉर्क में वैज्ञानिकों ने प्रोपरानोलोल के जरिये जानवरों को ट्रॉमा से निकालने का पता लगाया था. इस खतरनाक एक्सपेरिमेंट में चूहे क्यों इस्तेमाल हुए इसकी भी वजह खासी दिलचस्प है. डॉक्टर मिल्टन की बातों पर गर जो यकीन किया जाए तो मिलता है कि, मनुष्यों और चूहों का मस्तिष्क लगभग एक जैसा होता है. इसलिए ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि ये तरकीब मनुष्यों को बुरी या तकलीफदेह यादों से बचाने में मददगार होगी.

तो अब जबकि इतनी भयंकर रिसर्च हमारे सामने है और शैंक प्रोटीन के बहादुरी के किस्से हमने सुन ही लिए हैं. तो एक सवाल बैठे बिठाए हमारे सामने आया कि यदि बुरी यादें मिटाने के लिए 5 लोग तलाश किये जाएं तो वो कौन होंगे. इस सवाल के जवाब के लिए हमने भी खूब रिसर्च की. गहन विश्लेषण किया और 5 नाम हमारे सामने आए. आइये जानें कौन हैं वो 5 लोग जिनकी किस्मत और ज़िन्दगी दोनों बदल सकता है शैंक प्रोटीन.

ड्रग्स संग पकड़े गए आर्यन खान

मुंबई ड्रग केस में गिरफ्तार आर्यन खान का किस्सा अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है. आज आर्यन जवानी की दहलीज पर हैं, युवा हैं लेकिन जब कल उनकी उम्र बढ़ेगी और वो मैच्योर होंगे तो जाहिर है पुरानी करतूतें उन्हें डराएंगी. क्यों? अरे चाहे वो पुलिस हो या एनसीबी देश में किसी भी अपराधी के साथ इंट्रोगेशन कैसे होता है किसी से छिपा नहीं है.

हां तो कल जब आर्यन की उम्र बढ़ेगी तो जाहिर है पुरानी बातें उन्हें तकलीफ देंगी. ऐसे में अगर कैंब्रिज वाले भाई बंधुओं की बात सही है तो शैंक प्रोटीन का सबसे पहले इस्तेमाल आर्यन खान को करना चाहिए. जानवरों की एक विशेषता है जानवर हम इंसानों सरीखे नहीं होते और वो झूठ तो बिल्कुल भी नहीं बोलते.

प्यार में धोखा खाई आशिक बिरादरी

सोशल मीडिया के इस दौर में सबसे सस्ती चीज प्यार है और जहां प्यार है वहां धोखा भी है. पूछिये हर उस इंसान से जो प्यार के टंटे में पड़ा हो, कभी न कभी उसे धोखा अवश्य ही मिला होगा और वही वो क्षण रहा होगा जब उसने 2016 में नोट बंदी के उस जुल्मी दौर में 10 के नोट पर सोनम गुप्ता बेवफा लिखा होगा.

तो एक ऐसे देश में जहां कभी पापा नहीं मानते हैं तो कभी मम्मी ये शैंक प्रोटीन उन आशिकों के लिए मई की तपती दोपहरी में बारिश की ठंडी बूंद है. कहना गलत नहीं है कि दिल टूटी आशिक बिरादरी के लिए शैंक प्रोटीन संजीवनी से कम नहीं है.

कांग्रेस पार्टी के चश्म ओ चिराग राहुल गांधी

जैसे हालात हैं और जैसी राजनीति इस वक़्त हो रही है यदि कोई इस देश में हालिया दौर में सबसे ज्यादा बदकिस्मत है तो वो और कोई नहीं बल्कि राहुल गांधी है. 2014 के बाद से पीएम मोदी की बदौलत जैसा हाल राहुल गांधी का हुआ है यकीनन जब वो सोते होंगे तो हंसते मुस्कुराते पीएम मोदी उनके सपनों में आते होंगे और उन्हें डराते होंगे.

विज्ञान कहता है कि जैसे जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है उसका डर और प्रभावी होता है. अब राहुल गांधी की उम्र किसी परिचय की मोहताज तो है नहीं इसलिए जाहिर है कुछ सालों बाद राहुल को और डर लगेगा.

राहुल गांधी अगर शैंक प्रोटीन वाला एक्सपेरिमेंट अपने ऊपर करें तो कन्फर्म है उनके अच्छे दिन आ जाएंगे.

पाकिस्तानियों को नए पाकिस्तान का लॉली पॉप देने वाले इमरान खान

बात बुरी यादों की चल रही है और जैसा चाल चरित्र और चेहरा है इसके अलावा जैसी करतूतें हैं कुर्सी पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के पीएम इमरान खान से कब छिन जाए कुछ कहा नहीं जा सकता.

मतलब खुद सोचिये जिस तरह नवाज शरीफ को विलेन बनाकर इमरान ने पाकिस्तान की जनता को नए पाकिस्तान का चूरन दिया वो दिन दूर नहीं जब उन्हें अपने कर्मों का फल भोगना होगा और उस अवस्था में ये शैंक प्रोटीन ही होगा जो इमरान को थोड़ी राहत देगा.

राहुल के भइया 'वरुण गांधी'

राहुल गांधी अगर सेर हैं तो कजिन ब्रदर वरुण गांधी सवा सेर से कम नहीं हैं. चाहे वो किसानों का समर्थन हो या फिर लखीमपुर का मैटर. वरुण ने अपनी बात रखी और भाजपा ने उनको दिन में तारे दिखा दिए.

जिस तरह अपनी हरकतों के चलते वरुण ने खुद की लंका लगाई है वो दिन दूर नहीं जब हम उन्हें भाई राहुल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कांग्रेस पार्टी का कारसेवक बनते देखेंगे.

खुद सोचिये स्थिति जब ऐसी होगी तो क्या होगा? क्या अतीत वरुण गांधी को तकलीफ नहीं देगा।. बिलकुल देगा और उस मुश्किल वक़्त में ये शैंक प्रोटीन ही होगा जो उनके रेस्क्यू के लिए आगे आएगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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