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Updated: 19 अक्टूबर, 2021 02:29 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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चाणक्य नीति कहती है संघर्ष से किसी भी व्यक्ति को कभी घबराना नहीं चाहिए. जो व्यक्ति संघर्ष से घबराता है, उसे सफलता नहीं मिलती है. सफलता की कुंजी कहती है कि जीवन में सफलता उसी के हिस्से में आती है, जो संघर्ष से नहीं घबराता है. संघर्ष में सफलता छिपी होती है. हर सफल व्यक्ति की सफलता के पीछे संघर्ष की एक लंबी कहानी होती है. संघर्ष व्यक्ति को चुनौतियों का सामना करना सीखाता है. जितना बड़ा संघर्ष होगा, सफलता भी उतनी ही बड़ी होगी. यहां एक बात और अहम है कि समय से पहले सफलता नहीं मिलती है. इसलिए सही समय का इंतजार करते रहना चाहिए. इस दौरान जितनी मेहनत हो सकती है, करते रहना चाहिए. इसकी जीती-जागती कई मिसालें हमारे बीच मौजूद हैं. लेकिन मैं आपको साल 2018 में रिलीज हुई फिल्म 'बधाई हो' के दो ऐसे कलाकारों के बारे में बताने जा रहा हूं, जिन्होंने अधेड़ उम्र में अपने जीवन की सबसे बड़ी सफलता प्राप्त की है. उनको इस फिल्म ने रातों-रात साधारण कलाकार से सुपरस्टार बना दिया.

1_650_101821092537.jpgफिल्म बधाई को सुपरहिट होने के बाद नीना गुप्ता और गजराज राव की किस्मत चमक उठी है.

जी हां, हम बात कर रहे हैं फिल्म 'बधाई हो' के सहकलाकार गजराज राव और नीना गुप्ता के बारे में, जिनकी किस्मत इस फिल्म के सुपरहिट होने के बाद अपने बुलंदियों पर है. ऐसा नहीं है कि इस फिल्म के पहले इन दोनों के पास काम नहीं था या अच्छे किरदार नहीं मिले थे, लेकिन सही मायने में इनको पहचान फिल्म 'बधाई हो' से ही मिली है. 18 अक्टूबर, 2018 को जब फिल्म रिलीज हुई, उस वक्त गजराज राव की उम्र करीब 47 साल, तो नीना गुप्ता की उम्र करीब 58 साल थी. उम्र के इस पड़ाव में जब कई अभिनेता या अभिनेत्री रिटायर हो चुके होते हैं या फिल्मों में ही अभिनय के अलावा दूसरे कामों में सहभागी होते हैं, उस समय में इन दोनों को ऐसी ख्याति मिली कि इनका करियर दौड़ पड़ा. इस फिल्म के लिए दोनों को कई अवॉर्ड्स तो मिले ही, इसके साथ ही फिल्मों की लंबी कतार लग गई. आज दोनों के पास बहुत सारा काम है. फिल्म, वेब सीरीज से लेकर विज्ञापन तक में दोनों की जमकर पूछ होती है.

फिल्म 'बधाई हो' के रिलीज हुए आज तीन साल हो गए हैं. फिल्म में आयुष्मान खुराना, सान्या मल्होत्रा, नीना गुप्ता, गजराज राव और सुरेखा सीकरी जैसे कलाकार अहम रोल में हैं. इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि मनोरंजन करने के साथ ही एक बड़ा सामाजिक संदेश भी देती है. लोगों को जागरूक करने के साथ ही हंसा-हंसा कर पेट में दम भी कर देती है. यही वजह है कि दर्शकों से लेकर फिल्म समीक्षों तक ने फिल्म को सराहा था. हर कलाकार, उनके किरदार और अदाकारी की प्रशंसा हुई थी. इस फिल्म का विषय तो जबरदस्त था ही उस पर से इस कहानी को जिस तरह पिरोया गया वो काबिलेतारीफ था. फिल्म ने हंसी हंसी में लोगों की सोच ही बदल दी. यही वजह है कि इसमें लीड रोल में रहे एक्टर आयुष्मान खुराना अपनी फिल्म के साथ समाज में पॉजिटिव इंपैक्ट पैदा करके बहुत खुश हैं. उनका कहना है कि उनकी अधिकांश फिल्मों को न केवल परिवारों को साथ देखा जा सकता है, बल्कि उससे जुड़ने के साथ एक महत्वपूर्ण संदेश भी रहता है.

फिल्म बधाई हो से पहले गजराज राव की जिंदगी

अभिनेता गजराज राव ने फिल्म बधाई हो के हिट होने के बाद कहा था, ''बधाई हो मेरे लिए काफी लकी फिल्म रही है. इस फिल्म के बाद अचानक मेरे करियर में काफी बदलाव आया. मुझे ऐसे और किरदार के ऑफर आने लगे. इसलिए मेरे लिए तो बधाई हो एक ऐसा टर्निंग पॉइंट थी जिसके बाद मेरे किस्मत ही बदल गई.'' अभिनेता ने सच ही कहा कि उनकी किस्मत अचानक बदल गई, क्योंकि उससे पहले उनको एक अदद रोल के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था. बधाई हो से पहले करीब 25 साल से वो फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं. उन्होंने साल 1989-90 के आसपास दिल्ली में थिएटर करना शुरू कर दिया था. वो एक अभिनेता बनाना चाहते थे, लेकिन उनको ये समझ आ गया था कि थिएटर में ज्यादा पैसे नहीं है. इसलिए जीविका के लिए, एक टेलर शॉप में सेल्समैन का काम करने लगे. अभिनय के साथ साथ वो अखबारो में भी लेख भी लिखा करते थे. इसी बीच साल 1994 में उनको शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में एक छोटा रोल ऑफर हुआ. रोल तो छोटा था, लेकिन प्रभावी था, इसलिए लोगों ने उनको नोटिस किया. इसके बाद फिल्मों में छोटे-मोटे रोल के ऑफर आने लगे. 'बैंडिट क्वीन' ने बतौर अभिनेता उनके लिए नया रास्ता खोल दिया.

फिल्मों में काम करने का ऑफर आता देख गजराज राव दिल्ली से मुंबई शिफ्ट हो गए. लेकिन काफी लंबे अंतराल पर रोल मिलता था. ऐसे में उन्होंने ऐड फिल्मों का निर्देशन भी शुरू कर दिया. कुछ दिनों बाद अपना प्रोडक्शन हाउस खोला जिसमे वह एड-फिल्मो का निर्देशन करते हैं. इस बारे में गजराज राव का कहना है, ''धीरे-धीरे मैं विज्ञापन की दुनिया में आ गया. मैंने एड-फिल्ममेकर प्रदीप सरकार को असिस्ट करना शुरू किया, इसलिए जब वह मुंबई आए, मैं उनके साथ शिफ्ट हो गया. मुंबई आने के बाद, जब भी मुझे कोई प्रस्ताव मिलता, मैं अभिनय करता और मैंने 2003-04 के आसपास सुब्रत रे के साथ अपना प्रोडक्शन हाउस 'कोड रेड फिल्म्स' भी शुरू किया. आजकल, मैं अपने प्रोडक्शन हाउस के तहत एड-फ़िल्मों का निर्देशन करता हूं और अच्छी भूमिकाएं मिलने पर अभिनय करता हूं.'' साल 2016 में रिलीज हुई फिल्म तलवार में इंस्पेक्टर धनीराम के किरदार में इनको नोटिस तो किया गया, लेकिन 2018 में बधाई हो के साथ इनको असली पहचान मिली है.

फिल्म बधाई हो से पहले नीना गुप्ता की जिंदगी

अभिनेत्री नीना गुप्ता की जिंदगी और उनके फिल्मी करियर को दो भागों में बांटकर देख जा सकता है. पहला भाग, साल 1982 में फिल्म गांधी से उनके बॉलीवुड डेब्यू से लेकर साल 1994 में रिलीज हुई फिल्म वो छोकरी तक है. इसके बाद उनका करियर रेंगने लगता है. वो लीड रोल से साइड रोल करने लगती हैं. उनके करियर का दूसरा दौर शुरू होता है, साल 2018 में रिलीज फिल्म बधाई हो के बाद, जो अब सरपट दौड़ रहा है. अपनी फिल्मी जिंदगी के बारे में नीना गुप्ता कहती हैं, ''मैंने अपने करियर की शुरुआत में कुछ गलतियां की थीं. मेरा मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था. मेरे पास कोई सेक्रेटरी या मैनेजर भी नहीं था. मैंने निर्देशकों को फोन नहीं किया, या कास्टिंग करने वाले लोगों से मुलाकात नहीं की. इसके साथ ही मीडिया की वजह से यह धारणा बन रही कि मैं एक मजबूत महिला हूं. दुर्भाग्य से, हमारे समाज में, यह महिलाओं के ही खिलाफ जाता है. इस वजह से मुझे रोल भी उसी तरह के नकारात्मक मिलते रहे. मेरे निजी जीवन की छाया मेरे पेशेवर जीवन पर भी पड़ी.''

नीना गुप्ता ने फिल्म 'खलनायक', टेलीफिल्म 'बाजार सीताराम', 'वो छोकरी' जैसी बेहतरीन हिन्दी फिल्मों में काम किया है. इनमें से 'बाजार सीताराम' के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था. साल 1994 में फिल्म ‘वो छोकरी’ के लिए भी उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. छोटे पर्दे पर भी उन्होंने बहुत सफलता हासिल की थी. 'खानदान', 'मिर्जा गालिब' और श्याम बेनगल की 'भारत एक खोज' जैसे धारावाहिकों में उन्होंने बेहतरीन अभिनय कर छोटे पर्दे पर भी दर्शकों को अपने अभिनय का दीवाना बनाया था. लेकिन साल 2015 से 2017 तक उनके जीवन में ऐसा समय आया, जब उनके पास काम ही नहीं था. सोशल मीडिया पर जब उन्होंने अपना दर्द बयां किया, तो लोग हैरान रह गए. उसी समय उनको तीन फिल्मों बधाई हो, मुल्क और वीरा दी वेडिंग में काम करने का ऑफर मिला. इसमें बधाई हो जबरदस्त हिट हुई और उनके काम की सबने तारीफ की थी. इस वक्त रणवीर सिंह की फिल्म 83 और सूरज बड़जात्या की फिल्म ऊंचाई में काम कर रही हैं.

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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