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Updated: 25 नवम्बर, 2022 10:36 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
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इंतिहा इश्क़ की ख़ुदा जाने

दम-ए-आख़िर को इब्तिदा कहिए

शेर दाग़ देहलवी का है और पूर्ण रूप से आशिकों को समर्पित है. उनकी हालत को समर्पित है. शेर को अगर डिकोड किया जाए तो मिलता यही है कि इश्क़ जान ले लेता है. अब किस्सा सुनिए. कर्नाटक की राजधानी है बैंगलोर. वहां रहने वाले एक 67 साल के व्यक्ति का अपनी 35 साल की कामवाली पर दिल आ गया. जैसे जैसे मामला परवान चढ़ा इश्क़ जो देखा देखी तक सीमित था फिजिकल में परिवर्तित हो गया. फिर शारीरिक संबंध बनाना दोनों के लिए आम सी बात हो गयी. अभी बीते दिनों पुरुष का मन फिर से मचला. वो महिला के घर गया और दोनों के बीच फिर से शारीरिक संबंध बने लेकिन भूल चूक लेनी देनी हो गयी. सेक्स के बीच में ही पुरुष को हार्ट अटैक आया और उसकी जान निकल गयी. यहां तक कहानी बड़ी सिंपल है. ट्विस्ट तो वहां है जो इसके बाद हुआ.

Bengaluru, Karnataka, Elderly, Death, Sex, Heart Attack, Dead Body, Policeबेंगलुरु में जो एक बीवी के लिए पति ने किया शायद पति अपनी पत्नी से सच में बहुत प्यार करता रहा होगा

दरअसल अभी कुछ दिनों पहले बेंगलुरु पुलिस को प्लास्टिक बैग और चादर में लपेटी हुई एक लाश मिली. पुलिस के पास लाश आई तो जांच लाजमी थी. इस मामले में भी हुई और पता यही चला कि व्यक्ति की कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत तब हुई जब वो अपनी प्रेमिका यानी उस काम वाली बाई के साथ अपने प्राइवेट मूमेंट्स एन्जॉय कर रहा था.

तो मामले में दिलचस्प क्या है

मामले का जो सबसे रोचक पहलू है वो ये कि 67 साल के इस व्यक्ति जिसकी पहचान सुब्रमण्यम के रूप में हुई है और जो बेंगलुरु के जेपी नगर में रहता था. की लाश को उसकी प्रेमिका ने ही ठिकाने लगाया और ये काम उसने अकेले नहीं किया. लाश छिपाने में महिला की मदद उसके पति और उसके सगे भाई ने की.

भाई का भले ही फर्ज रहा हो लेकिन पति का दिल बहुत बड़ा है, मतलब बहुत ज्यादा

जैसा कि हम ऊपर ही इस बात से अवगत करा चुके हैं मरे हुए आशिक की लाश महिला ने अकेले नहीं ठिकाने लगाई. इसक काम को उसके अपने सगे भाई और पति ने भी अंजाम दिया. चलिए भाई का तो एक बार फिर भी समझ में आता है कि वो नहीं चाहता था कि उसकी बहन किसी तरह की मुसीबत में आए. लेकिन पति? जिस तरह पति ने इस काम को अंजाम दिया है कहना गलत नहीं है कि 35 साल की उस काम वाली बाई का पति सिर्फ पति न होकर संत है. महात्मा है. कोई ऐसा औलिया है जिसका जन्म नहीं हुआ बल्कि जिसने पाप. बुराई, अन्याय ख़त्म करने से उद्देश्य से इस धरती पर जन्म लिया है.

सोचने वाली बात ये है कि पत्नी की बेवफाई को आखिर कैसे कोई पति इतनी और इस हद तक सहजता से ले सकता है. मजाक वाली बात नहीं है. लेकिन ऐसा ही कुछ मामला अपने यूपी या बिहार या फिर एमपी और राजस्थान में होता तो गोलियां चल जानी थी. जमीन पर चली हुई गोलियों के केवल खोखे होते. हमारे आस पास चाहे पति कितना भी सीधा हो या फिर उठाया गीरा हो वो कभी नहीं बर्दाश्त करता कि उसकी बीवी किसी और के साथ वो कर रही जिसकी इजाजत न तो कानून ही देता है और न ही सभ्य समाज.

कह सकते हैं कि ऐसी करतूत के बावजूद जैसे कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में पति ने अपनी पत्नी का न केवल साथ दिया बल्कि जिस तरह उसने लाश को फेंकने में बीवी की मदद की उसका दिल सच में बहुत बड़ा था (यहां बहुत से मतलब बहुत ज्यादा बड़ा से है). मामला भले ही हैरान करने वाला हो लेकिन घटना में जैसी भूमिका पति की रही है हो न हो पत्नी की बेवफा होने के बावजूद वो उससे हद से ज्यादा प्यार करता रहा होगा.

बहरहाल, जो होना था हो चुका है. अच्छा चूंकि पुलिस मामले की तहकीकात कर ही रही है तो जल्द ही सब दूध का दूध पानी का पानी भी हो ही जाएगा, लेकिन जो बात है देश का कोई भी साधारण नागरिक शायद ही इस घटना को पचा पाए.

विषय बहुत ज्यादा सीधा है. ऐसा कोई मामला अगर कहीं विदेश से सामने आया होता तो एक बार के लिए हम यकीन कर भी लेते. लेकिन जिस तरह से ये मामला अपने देश का है और अपने देश में भी आईटी नगरी बेंगलुरु का है हैरत का होना तो स्वभाविक है ही.

खैर, मामले के तहत महिला को कानून क्या सजा देता है? क्या महिला को बाइज्जत बरी किया जाता है? क्या पुलिस महिला के पति और भाई को रहम की निगाह से देखेगी? सवाल तो कई हैं जिनके जवाब वक़्त हमें वक़्त देगा लेकिन जो बात है मामले में जो कुछ भी मृत बुजुर्ग आशिक की गर्ल फ्रेंड ने किया है उसके लिए उसे नमन रहेगा. बार बार रहेगा. हजार बार रहेगा.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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