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Updated: 21 अप्रिल, 2016 05:33 PM
पीयूष पांडे
पीयूष पांडे
  @pandeypiyush07
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अंग्रेज कमबख्त बड़े गिफ्ट झटकू थे. इस देश से हमेशा गिफ्ट झटकते रहे. कभी मांगकर ले गए, कभी छीनकर. हमारा प्यारा कोहिनूर भी ले गए. उस वक्त रिटर्न गिफ्ट का प्रचलन भारत में ज्यादा नहीं था, वरना राजा दलीप सिंह के दो चार कर्मचारी भी उसी तरह अंग्रेजों की पैंट पकड़कर रिटर्न गिफ्ट का हल्ला मचाते, जिस तरह कभी-कभी बर्थडे पार्टी में रिटर्न गिफ्ट न मिलने पर बच्चे मचाने लगते हैं. गिफ्ट का प्रतिफल है रिटर्न गिफ्ट. अंग्रेजों ने अगर कोहिनूर गिफ्ट में लिया तो उन्हें रिटर्न गिफ्ट देना ही चाहिए था. 1500 करोड़ के कोहिनूर के बदले 200-300 करोड़ का कोई हीरा दे जाते तो उसी वक्त मामला सैटल हो लिया होता. लेकिन, अंग्रेजों की तो आदत थी धोखाधड़ी की तो कोहिनूर फ्री में ले गए.

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 कोहिनूर वापस लाने को लेकर सरकार भी परेशान है

कोहिनूर पर सरकार की साख दांव पर है. विपक्ष कह रहा है कि जो सरकार जीएसटी नहीं ला पाई, वो कोहिनूर क्या लाएगी? अब सरकार परेशान है कि कोहिनूर कैसे वापस आए? सरकार कंफ्यूज है कि गिफ्ट मांग सकते हैं या नहीं? कभी कहती है कि गिफ्ट है तो वापस मांगना अच्छा नहीं लगता. अंग्रेज क्या सोचेंगे. फिर कहती है हर हाल में लाएंगे. अब कोर्ट में तारीख पे तारीख चलेगी. सरकार की तरफ से कोई वकील सनी देओल टाइप का नहीं है तो केस का निपटारा जल्द होने के आसार भी कम हैं. 

कोहिनूर वापस लाने के लिए सरकार को एक सुझाव यह है कि वो केस यूपी पुलिस को सौंप दे. भैंसों को खोजने से लेकर जिंदा आदमी को मारकर फिर उसे जिंदा करने का यूपी पुलिस को खासा अनुभव है. वो तीन-चार घंटे में ही कोहिनूर की बरामदगी दिखा सकती है. इस स्थिति में सरकार के लिए मुश्किल सवाल यह है कि यूपी पुलिस से कोहिनूर को कौन वापस लेगा?

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सरकार चाहे तो विजय माल्या को कोहिनूर लाने का काम सौंप सकती है. वो इन दिनों लंदन में ही हैं. वो हर दूसरे दिन बकिंघम पैलेस जाकर कोहिनूर का तकादा कर सकते हैं. जिस तरह उधार वापस पाने का सबसे सटीक तरीका रोजाना तकादा करना है, वैसे ही कोहिनूर वापस पाने का तरीका भी तकादा हो सकता है. क्या पता इंग्लैंड वालों को शर्म आ ही जाए! फिर कोहिनूर संबंधी बातचीत के लिए भारतीय अधिकारियों का ब्रिटेन जाने का खर्च भी बच जाएगा.

सरकार धर्मेन्द्र साहब की भी सेवाएं ले सकती है. उन्हें 'शालीमार' लाने का अनुभव है. फिल्मी ही सही. धर्मेन्द्र सांसद रहे हैं, और आजकल उनकी व्यस्तता कम भी है. 

कोहिनूर हिन्दुस्तानियों की नाक का सवाल है. उसे वापस आना ही चाहिए. सरकार को भी हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए. लेकिन सच तो ये भी है कि प्यासे के लिए पानी कोहिनूर है. गरीब के लिए रोटी कोहिनूर है. बेरोजगार के लिए रोजगार कोहिनूर है. सबका अपना अपना कोहिनूर है. देश का आम आदमी बहुत छोटी जरुरतों को कोहिनूर मानता है तो सरकार ब्रिटेन में रखा कोहिनूर लाए न लाए-बस देशवासियों को उनका छोटा कोहिनूर दिला दे. ऐसा हुआ तो हम ब्रिटेन की रानी को एक कोहिनूर और यूं ही गिफ्ट दे देंगे. बिना रिटर्न गिफ्ट की चाह लिए.

लेखक

पीयूष पांडे पीयूष पांडे @pandeypiyush07

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और व्यंगकार हैं.

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