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Updated: 05 दिसम्बर, 2015 07:31 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
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मोहब्बत और जंग की अगर मिसाल देनी हो तो शायद भारत-पाकिस्तान से बेहतर कोई और उदाहरण नहीं हो सकता है. आप सोचेंगे कि जंग तो फिर भी ठीक है लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच मोहब्बत का रिश्ता भला कैसे हो सकता है. जी नहीं, हम आपको यश चोपड़ा की वीर-जारा की मोहब्बत का उदाहरण नहीं देंगे. दरअसल बिना भारत के जिक्र के तो पाकिस्तान के लिए नफरत भी अधूरी होती है, उसे हर उस चीज से मोहब्बत होती है जो भारत की अजीज होती है.

मोहब्बत इतनी कि भारत की हर बेशकीमती चीज से पाक को भी प्यार हो जाता है. आजादी के बाद जब भारत ने धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को अपने देश का जन्नत बनाने की कोशिश की तो पाकिस्तान का भी दिल उसी कश्मीर पर आ गया. फिर क्या मजाल कि पाकिस्तान कश्मीर को हासिल करने की अपनी चाहत से पीछे हटा हो.

पिछले छह दशकों के दौरान पाकिस्तान ने कश्मीर को हथियाने के लिए साम, दाम, दंड भेद से लेकर हर मुमकिन कोशिश की. ताकि वह भारत के ताज को उससे छीन ले. खैर, अपने इस दुस्साहस में पाक शायद ही कभी कामयाब हो पाए. लेकिन भारत से उसकी मोहब्बत को छीनने के लिए उसकी कोशिश बदस्तूर जारी है. प्यार और जंग में सब जायज है, शायद इसीलिए वह आतंकवाद से लेकर सीमा पार घुसपैठ तक हर दांव आजमाता रहा है.

अब भारत की जिस शान और अभिमान पर पाकिस्तान का दिल आया है वह है, कोहिनूर. वही कोहिनूर जो दुनिया के सबसे कीमती हीरों में से एक है. अरबों रुपये कीमत वाला 105 कैरेट का यह बेशकीमती हीरा अब ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताज की शोभा बढ़ा रहा है. 1849 में पंजाब को जीतने के बाद अंग्रेज इसे अपने साथ ब्रिटेन लेकर गए और उसके बाद यह फिर कभी लौटकर हिंदुस्तान वापस नहीं आ सका.

अब जबकि भारत ब्रिटेन से इस बेशकीमती हीरे को उसे वापस लौटाने की मांग कर रहा है तो वहां के एक सांसद कीथ वाज ने पीएम मोदी के ब्रिटेन दौरे के समय इसे भारत को वापस लौटाने के लिए एक अभियान चलाया था. अब इस कहानी में पाकिस्तान का ट्वीस्ट आया है और वह ये कि पाकिस्तान ने अब कोहिनूर पर अपना दावा जताते हुए इसे पाकिस्तान को सौंपे जाने की मांग की है.

पाकिस्तान के एक वकील जावेद इकबाल जैफ्री ने वहां की अदालत में इस संदर्भ में एक मुकदमा भी दायर किया है. इस वकील का तर्क है कि क्योंकि कोहिनूर को अंग्रेज पंजाब पर कब्जा जमाने के बाद यहां से लेकर गए थे और पंजाब बंटवारे से पहले भारत-पाकिस्तान दोनों का हिस्सा था, इसलिए कोहिनूर पर पाकिस्तान का हक होना चाहिए. ये बात अलग है कि वहां की कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगी, इस बात के आसार कम ही हैं. इसलिए भारत राहत की सांस ले सकता है, वर्ना अपनी ही चीज को पाने के लिए उसे बेवजह की एक और लड़ाई में उलझना पड़ता.

भारत की पसंदीदा चीजों पर पाकिस्तानियों का दिल आने की कहानी थोड़ा डराती है क्योंकि वे कश्मीर को 68 वर्षों बाद भी नहीं भूले हैं और शायद ही कभी भूलेंगे. उम्मीद है कि कोहिनूर के प्रति पाकिस्तान का इश्क सिर्फ एक तन्हा ख्वाहिश ही साबित हो. वर्ना पाकिस्तान की नफरत और मोहब्बत दोनों हमारे लिए क्या है, ये शायद आपको बताने की जरूरत नही है!

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लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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