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Updated: 30 सितम्बर, 2018 12:02 PM
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बचपन में जब डर लगता था तो गाना नहीं गाता था - हनुमान चालीसा बुदबुदाता था. बड़े-बुजुर्गों की सलाह को मैंने फिल्मी गाने पर तरजीह दी थी. अब भी देता हूं. गुजरात में बड़ोदरा के लोग भी मेरे ही जैसे हैं - परेशानी जैसी भी हो, संकटमोचन की शरण में चले जाते हैं - पूरी आस्था के साथ. अब देखिए न, डॉलर के मुकाबले गिरते रुपये के लिए उन्होंने किसी सीएम-पीएम को आवाज नहीं दी... डायरेक्ट बजरंगबली की शरण में चले गए. 500 और 1000 रुपयों की माला (पूरे 7 लाख की) बनाई और बजरंगबली के मंदिर में चढ़ा दी. आप हंसने के लिए स्वतंत्र हैं और मैं आस्था के साथ रिजर्व बैंक और पीएम मोदी को चिट्ठी लिखने वाला हूं.    

'अतुलित बल धामा'

बजरंगबली मतलब क्या? ऐसा बलशाली, ऐसा पराक्रमी जो अतुल्य हो. मतलब दूसरा कोई नहीं - कोई भीम, कोई रावण नहीं. जिन बजरंगबली की पूंछ को 1000 हाथियों के बराबर बलशाली भीम हिला भी न सका, जिन बजरंगबली ने केवल अपने पूंछ से ही रावण की लंका को धूं-धूं कर दिया... सोचिए जरा, इनकी शरण में गए रुपये को डॉलर क्या खाक हिला पाएगा!!!   

'गांधी को हटा बजरंगबली की फोटो लगाएं''गांधी को हटा बजरंगबली की फोटो लगाएं'     

मेक इन इंडिया

महात्मा गांधी महान थे, हैं और रहेंगे. लेकिन रुपयों पर उनके फोटो लगे होने से मेक इन इंडिया को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है. कारण स्पष्ट है - गांधीजी खुद मेक इन इंडिया प्रोडक्ट नहीं थे, वो मेक इन साउथ अफ्रीका थे. साउथ अफ्रीका से ही वो जो कुछ सीख कर आए थे, उसे ही इंडिया में चलाया. जबकि बजरंगबली! वो तो विशुद्ध इंडियन हैं.

डॉलर कहां समझता अहिंसा को

जिस देश की सेना सबसे ताकतवर हो, जिस देश का डिफेंस बजट सबसे ज्यादा हो, उस देश का जन्मा डॉलर गांधीजी के अहिंसा को क्या खाक समझ पाएगा. डॉलर को धूल चटाने के लिए हमें गांधीजी की जगह सुभाष चंद्र बोस चाहिए. और फिलहाल बजरंगबली से बड़े 'सुभाष' कौन हो सकते हैं भला!     

आस्था शब्द से न हों कन्फ्यूज

ऊपर जहां कहीं भी आस्था लिखा है, कृपया उसे धार्मिक आस्था से जोड़ कर न देखें. यह मेरी भौतिक आस्था है - समय के साथ बदलती रहती है - जब डरता हूं तो जीने की आस्था रखता हूं... अभी रुपया गिर रहा है तो आर्थिक आस्था है. तो कृपया इसे हिंदू-मुस्लिम की निगाह से न देखें. वैसे भी राजनीति को अगर छोड़ दें तो अर्थ के आगे धर्म भला टिका है कहीं!

तो फाइनल रहा - RBI को भेज रहा हूं चिट्ठी

आरबीआई के तमाम आर्थिक उपायों को फेल होते देख, काफी सोच-विचार के बाद मैं, चंदन कुमार, पूरे होशो-हवास में रुपये पर से गांधीजी को हटाकर बजरंगबली की फोटो लगाने की सलाह भेज रहा हूं. आप भी भेजें - उस वॉट्सऐप मैसेज की तरह जिसे 10 लोगों के पास भेजने से कल्याण होता है... शायद देश का आर्थिक कल्याण हो जाए.

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#डॉलर, #रुपए, #महात्मा गांधी, डॉलर, रुपया, महात्मा गांधी

लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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