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Updated: 22 जनवरी, 2018 03:49 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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बजट 2018 बस अब कुछ ही दिन दूर है. हर साल बजट के पहले ये कयास लगने लगती है कि आखिर इस बार कौन सी घोषणाएं होंगी और आम आदमी को कितना फायदा होगा? कांग्रेस के दौर में तो बजट के समय ऐसी कई घोषणाएं होती थीं. पिछले साल जो बजट नोटबंदी के बाद जेटली ने प्रस्तुत किया था उसमें भी लगा था कि लोगों को लुभाने के लिए कुछ न कुछ नया किया जाएगा, लेकिन पिछले साल भी बहुत नपा तुला बजट रहा. जेटली जी ने जो बजट पेश किया था उसमें न ही कोई ऐसी घोषणा थी जिसपर बवाल हुआ और न ही कोई ऐसी घोषणा थी जिससे आम आदमी को सीधे तौर पर बहुत बड़ी राहत मिली हो.

पर बात इस साल की है. जीएसटी लागू होने के बाद आखिर इस साल के बजट में ऐसा क्या खास होगा? जीएसटी को लेकर शुरू से ही विपक्ष विरोध में रहा है और भारत की जीडीपी भी पिछले दो सालों में काफी गिर गई है और 2019 के चुनाव से पहले आखिरी साल का बजट लोकलुभावन हो सकता है. इस बारे में प्रधानमंत्री जी का कहना है कि बजट में ऐसा कुछ भी नहीं होगा.

Times Now चैनल को दिए एक इंटरव्यू में नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये वित्त मंत्री का मामला है और कोई भी इस मामले में दखल नहीं देगा. बजट 2018 वैसा होगा जो देश के लिए सही हो न कि लोकलुभावन बजट. ये एक कोरी कल्पना है कि आम जनता कुछ फ्री देने से खुश होती है. ऐसा नहीं है. 'जिन लोगों ने मुझे गुजरात के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखा है वे जानते हैं कि सामान्य जन इस तरह की चीजों की अपेक्षा नहीं करता.

बजट, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, 2018, यूनियन बजट

ये भी सही है. पिछला बजट भी ऐसा ही था और बहुत ज्यादा लोकलुभावन चीजें नहीं थीं. अब मुद्दा ये उठता है कि आखिर बजट 2018 में क्या हो सकता है?

1. सेविंग करने वालों के लिए बड़ा फैसला...

खबरों की मानें तो अरुण जेटली इस बार 80C के तहत होने वाले टैक्स एक्जेम्शन की लिमिट बढ़ा सकते हैं. ये लिमिट 1.5 लाख से बढ़कर 2 लाख हो सकती है.

80C के तहत म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट, इंश्योरेंस प्रीमियम, पेंशन स्कीम, होम लोन की किश्त, बच्चों की स्कूल या कॉलेज की फीस, 5 साल की एफडी आदि में निवेश करने के बाद लोगों को छूट मिलती है. ये कयास तो पिछली बार भी लगाई जा रही थी, लेकिन हो सकता है कि इस बार ये लागू हो ही जाए.

2. टैक्स स्लैब में बदलाव?

क्योंकि टैक्स स्लैब को पिछले साल ही बदला था तो ऐसा हो सकता है कि इस साल ये बदले न जाएं, लेकिन अगर देखा जाए तो जीएसटी से मिडिल क्लास सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. ऐसे में अगर टैक्स स्लैब एक बार फिर कम हो जाए तो कोई अचंभा नहीं होगा. पिछले साल भी सबसे कम टैक्स स्लैब को जेटली जी ने 10% से कम कर 5% कर दिया था.

बजट, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, 2018, यूनियन बजट

कुछ गणित को समझें तो अगर आपकी आय 3.5 लाख है तो आपको 2575 रुपए टैक्स देना होगा (80C के आधार पर हुई कटौती के बाद) जो पहले 5150 रुपए था. इसी तरह अगर आपकी आय 5 से 50 लाख रुपए है तो कुल टैक्स में से 12875 रुपए कम देने होंगे.

मौजूदा टैक्स स्लैब...

टैक्स स्लैब-

- 3 लाख से 5 लाख तक की आय पर 5% टैक्स- 5 से 10 लाख तक की आय पर 20% टैक्स- 10 लाख से ऊपर आय पर 30% टैक्स- 50 लाख से ऊपर को 30% टैक्स और 10% सरचार्ज- 1 करोड़ से ऊपर आय वालों को 15% सरचार्ज और 30% टैक्स

3. रेलवे...

पिछले साल की तरह इस साल भी रेलवे बजट, आम बजट के साथ ही पेश किया जाएगा. माना जा रहा है कि यात्रियों के पॉकेट पर बोझ बढ़ सकता है. 2017 ट्रेन हादसों को लेकर बहुत ज्यादा बुरा साल रहा. इतना बुरा कि सुरेश प्रभु को अपनी कुर्सी तक छोड़नी पड़ी. क्योंकि, रेल बजट भी यूनियन बजट के साथ ही आएगा, इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि रेलवे को लेकर कोई बड़ी घोषणा हो सकती है. हालांकि, किराया कम करने के बारे में सरकार शायद ही सोचे. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक लगातार हो रहे घाटे और नोटबंदी और जीएसटी के कारण हुए घाटे का असर रेल बजट पर पड़ेगा और करीब 150 बिलियन का बजट सपोर्ट रेलवे से छीन लिया जाएगा. इसलिए किराया कम करना सरकार के लिए बहुत मुश्किल है.

4. एक घर हो अपना...

जीएसटी के लागू होने के बाद जो सबसे बड़ी चीज सामने आई थी वो थी हाउसिंग सेक्टर में टैक्स रेट बढ़ना. पहले ये 4.5 % सर्विस टैक्स और 1% वैट था जो जीएसटी लागू होने के बाद 12%. यहां सीधी 7.5% की बढ़त का सामना उन ग्राहकों को करना पड़ा जिन्हें बिल्डरों ने इनपुट क्रेडिट का फायदा नहीं दिया. (सरकार ने पहले से ही एंटी प्रॉफिटियरिंग क्लॉज जारी कर दिया है जिसके तहत बिल्डरों को इनपुट क्रेडिट का फायदा ग्राहकों को देना ही होगा. अगर कोई बिल्डर ऐसा नहीं करता है तो आप रियल एस्टेट रेग्युलेशन एक्ट के तहत उसके खिलाफ शिकायत भी कर सकते हैं. ये इसलिए किया गया है कि बिल्डर डिस्काउंट को आम लोगों तक पहुंचाएंगे. 1 जुलाई के बाद अगर आपको आपके घर का पजेशन मिल रहा है तो इनपुट क्रेडिट के कारण आप 12% जीएसटी से बच सकते हैं.)

बजट, अरुण जेटली, नरेंद्र मोदी, 2018, यूनियन बजट

लेकिन फिर भी जीएसटी के बाद रेट में थोड़ा उतार-चढ़ाव तो हुआ ही है. अब NAREDCO (नैशनल रिएल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल) ने जीएसटी के बाद वाले बजट में वित्त मंत्रालय को दो सुझाव भेजे हैं. पहला ये कि जीएसटी रेट कम कर दिया जाए. जीएसटी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जा रहे सस्ते घरों को भी नुकसान पहुंचा है और लोग अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में निवेश नहीं कर रहे. ऐसे में अगर जीएसटी रेट कम कर दिया जाए तो बेहतर होगा.

इसके अलावा, दूसरा सुझाव ये है कि इनपुट क्रेडिट हटा दिया जाए और जीएसटी भी हटा दिया जाए. इससे न सरकार को रेवेन्यु का घाटा होगा और न ही आम करदाताओं को कोई बड़ी समस्या होगी.

अब देखना ये है कि बजट में इनमें से कौन सी घोषणाएं होती हैं या फिर जेटली जी कोई अलग ही घोषणा करते हैं ये तो 1 फरवरी को ही पता चलेगा.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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