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Updated: 18 अक्टूबर, 2016 08:37 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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"क्या आपको चीनी प्रोडक्ट चाहिए? तो हमे माफ कीजिए, हम सिर्फ मेड इन इंडिया से डील करते हैं..." क्या कोई दुकानदार आपको ये कहते मिला? दरअसल ट्विटर पर कई लोगों ने कुछ ऐसा लिखा है. चीनी प्रोडक्ट्स बैन करने को लेकर लोग सोशल मीडिया पर जोर-शोर से अपना समर्थन रख रहे हैं. ड्रैगन प्रोडक्ट बैन करने की बात को लेकर जनाब दिल्ली के सराफा बाजारियों को 25-30 प्रतिशत का नुकसान भी हो गया है. अब देखिए चीन पर गुस्साए लोगों को ये तो सोचना चाहिए कि बहिष्कार किस हद तक करना संभव है.

जिस सामान को लोग मेड इन इंडिया समझ रहे हैं क्या वाकई वो भारत में बना है या फिर किसी ना किसी तरह से चीन से जुड़ा है?  

मेड इन इंडिया तो है, लेकिन इंडियन नहीं...

चलिए सबसे पहले बात करते हैं उस चीज की जिसके जरिए ही लोग सोशल मीडिया पर इतने सक्रीय हैं. जिस स्मार्टफोन या लैपटॉप से लोग भारत में बनी चीजों के इस्तेमाल और चीनी सामान का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं वो कितना भारतीय है क्या आप जानते हैं? जनाब माइक्रोमैक्स, लावा, कार्बन, इंटेक्स, LYF, जियो, ओनिडा, रिंगिंग बेल्स, स्पाइस, वीडियोकॉन, YU टेलिवेंचर्स इन सभी देशी कंपनियों के स्मार्टफोन चीन में बनते हैं. जो मेड इन इंडिया का दावा करते हैं उनमें भी किसी ना किसी तौर पर चीन का सामान लगा हुआ है.

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 YU टेलिवेंचर्स का फोन

चाहें स्मार्टफोन के पुर्जे हों या जियो सिम सभी कुछ चीन में बना है. माइक्रोमैक्स कंपनी ने रुद्रपुर, उत्तराखंड में 2014 में अपनी फैक्ट्री लगाई थी जिसमें एलईडी टीवी और टैबलेट बनते हैं, कहने को तो मेड इन इंडिया, लेकिन क्या कभी सोचा है कि इन टैबलेट्स के लिए रैम कहां से आती है?

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दवाइयों का दावेदार...

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी के बाद सबसे ज्यादा अगर किसी चीज का आयात चीन से होता है तो वो है ड्रग्स का. जी यहां दवाइयों और उर्वरकों (फर्टिलाइजर) के लिए आयात होने वाले ड्रग्स की बात हो रही है जो चीन से आते हैं. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो 2014-2015 में 2.22 बिलियन डॉलर (लगभर 1 हजार 467 करोड़ रुपए) का ड्रग्स आयात चीन से हुआ था. अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेक इन इंडिया मंत्र कहीं सबसे पहले लगना चाहिए तो वो दवाओं और उर्वरकों के मामले में भी होना चाहिए. पिछले चार सालों में चीन से लगभग 38,186 करोड़ रुपए का फार्मा आयात हो चुका है.

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 सांकेतिक फोटो

जी जानते हैं इसका मतलब? जनाब इसका मतलब है कि अगर आपने कोई दवाई खाई है तो इस बात की संभावना काफी हद तक हो सकती है कि वो चीन से जुड़ी हुई हो. अब क्या आप दवा खाना भी बंद कर देंगे?

चलिए इसे ऐसे देखते हैं. कौन-कौन से ड्रग्स चीन से आयात किए जाते हैं? इनमें पैरासिटामॉल (paracetamol), मेटमोर्फिन (metformin), रैनिटिडिन (ranitidine), एमोक्सिलिन (amoxicillin), सिप्रोफ्लोक्सासिन (ciprofloxacin), सिफिक्साइम (cefixime),एक्टिल सैलिसिक एसिड (acetyl salicylic acid), एब्सॉर्बिक एसिड ( ascorbic acid), ऑफ्लोक्सिन (ofloxacin), इबूप्रोफेन (ibuprofen), मेट्रोनिडेज़ोल (metronidazole) और एम्पिसिलिन (ampicillin). भारत में इस्तेमाल होने वाले इन ड्रग्स का करीब 80-90 प्रतिशत हिस्सा 2014-15 में चीन से आयात किया गया.

मान लें कि इसमें से कई नाम तो आप पहली बार पढ़ रहे होंगे, लेकिन पैरासिटामॉल? 80 प्रतिशत बुखार की दवाओं में ये ड्रग्स होता है. ऐसे में क्या अब भारत में बुखार की गोली खाना भी बंद कर दिया जाएगा? क्या अब नहीं लगता की चीन पर निर्भरता कुछ ज्यादा ही है.

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क्या-क्या लेते हैं हम चीन से...

अब एक नजर डाल लेते हैं उन चीजों पर जो चीन से सबसे ज्यादा आयात की जाती हैं. इनमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मशीने, इंजन, पम्प, कैमिकल, उर्वरक, लोहा, स्टील, प्लास्टिक, गहने और सिक्कों का धातू, नाव और जहाज, चिकित्सा के उपकरण, कपड़ा आदि शामिल हैं. साहब क्या-क्या इस्तेमाल करना बंद करेंगे आप?

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 सांकेतिक फोटो

क्या होगा व्यापारियों का...

अब अगर इससे भी पीछे के आंकड़ों को देखा जाए तो 2012-13 में चीन से लगभग 28 बिलियन डॉलर (लगभग 1 हजार 867 करोड़ रुपए) का आयात हुआ था. चीन से आयात करने पर व्यापारियों को काफी मुनाफा होता है. ये भारतीय व्यापारी चीन से सस्ते दाम में सामान और कच्चा माल मंगवाते हैं और उनसे यहां पर विनिर्माण करते हैं. कई तो ऐसे हैं जिनकी रोजी-रोटी ही चीन पर निर्भर है. ऐसे में अपने देश के व्यापारियों का क्या होगा?

आखिर क्यों है ड्रैगन पर इतना निर्भर...

चीनी आयात पर इतनी निर्भरता दाम की वजह से हुई है.  भारत के मुकाबले कच्चा माल, मजदूरी और विनिर्मित सामान सब कुछ बेहद सस्ते दाम में मिलता है. अब स्मार्टफोन्स को ही देख लीजिए. चीनी स्मार्टफोन्स वो फीचर्स बहुत सस्ते में दे रहे हैं जो आम तौर पर महंगे फोन देते हैं. यही वजह है कि कई छोटे व्यापारियों ने अपना काम धंधा चीनी सामान पर आधारित कर लिया है. महंगे सामान से लेकर खिलौने और पटाखों जैसे छोटे सामान भी चीन से ही आयात हो रहे हैं.

क्यों पूरी तरह से नहीं हो सकता चीनी सामान का बहिष्कार...

चीनी सामान का पूरी तरह से बहिष्कार या यूं कहें कि टोटल बैन संभव नहीं है. दवाओं से लेकर रोजमर्रा की कई चीजें चीन से आयात होती हैं. अब आप ही बताएं कि क्या-क्या छोड़ा जा सकता है? ऐसे में अगर छोटे व्यापारियों और दुकानदारों के पास का सामान आपने खरीदना बंद कर दिया तो उनकी दिवाली का क्या होगा कभी सोचा है आपने? सच तो ये है कि पूरी तरह से चीनी सामान का बहिष्कार हो ही नहीं सकता है. अगर अपने ही घरों में गौर से देखा जाए तो चीनी सामान बहुतायत में मिल जाएगा.

लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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