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Updated: 25 सितम्बर, 2018 01:17 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
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देश में एक और बैंक घोटाला सामने आया है. इस बार मामला नीरव मोदी का नहीं बल्कि नितिन संदेसरा का है. और लोन देने वाला बैंक आंध्रा बैंक है. आंध्रा बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्शियम ने स्टर्लिंग बायोटेक को लोन दिया था. इस मामले में नेताओं और बड़े अफसरों की मिलीभगत की बात भी सामने आई थी. नीरव मोदी, विजय माल्या और मेहुल चौकसी के इंग्लैंड और दूसरे देशों में बसने की बात ही हम पचा नहीं पा रहे थे और खबर ये है कि नितिन संदेसरा तो नाइजीरिया में जाकर छुप गए हैं, ये थोड़ा पेचीदा मामला इसलिए है क्योंकि नाइजीरिया के साथ भारत की प्रत्यार्पण संधि नहीं है.

कौन हैं नितिन संदेसरा?

नितिन और उनके भाई चेतन जयंतीलाल संदेसरा वडोदरा की कंपनी स्टर्लिंग बायोटेक के डायरेक्टर हैं. कंपनी ने बैंकों से 5,383 करोड़ रुपए का लोन लिया. बाद में यह कर्ज एनपीए यानी नॉन प्रॉफिटेबल असेट में बदल गया. स्टर्लिंग बायोटेक एक फार्मा कंपनी है जो 1985 में बनी थी. इस गुजराती कंपनी को इसके एंटी कैंसर ड्रग्स और जिलेटिन प्रोड्यूसर के तौर पर जाना जाता है. एशिया में फार्मासूटिकल और न्यूट्रैसूटिकल जिलेटिनिट बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी और पूरे विश्व में पांचवी बड़ी कंपनी है जिसका मार्केट शेयर 9.3% है.

नितिन संदेसरा, बैंक लोन, फ्रॉड, कर्ज, घोटालानितिन संदेसरा की कंपनी ने फ्रॉड कर बैंक से लोन लिया

कुछ समय पहले ये खबर आई थी कि नितिन संदेसरा को यूएई में गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन बाद में इसकी पुष्टी हो गई कि ये खबर झूठी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीबीआई के सूत्रों से ये पता चला है कि नितिन संदेसरा तो नाइजीरिया भाग गए हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक नितिन संदेसरा के परिवार वाले भी देश छोड़कर चले गए हैं. नितिन संदेसरा के भाई चेतन संदेसरा और भाभी दीप्तीबेन संदेसरा भी उनके साथ ही गए हैं. CBI ने नितिन संदेसरा और उनकी कंपनी के खिलाफ मामला दर्द कर लिया है. इसके अलावा, उनके भाई, भाभी, स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड के सह डायरेक्टर राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, विलास जोशी और चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत हठी शामिल हैं. इसी के साथ, आंध्रा बैंक के पूर्व डायरेक्टर अनूप गर्ग और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ भी बैंक फ्रॉड का केस दर्ज हुआ है.

एफआईआर की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के 31 दिसंबर, 2016 तक कुल फ्रॉड 5383 करोड़ रुपए का था. प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने ये मामला संज्ञान में ले लिया है और इस केस से जुड़े दिल्ली स्थित बिजनेसमैन गगन धवन और अनूप गर्ग (आंध्रा बैंक के पूर्व डायरेक्टर) को गिरफ्तार भी कर लिया है.

सीबीआई ने अक्टूबर 2017 में दोनों भाइयों और स्टर्लिंग बायोटेक के खिलाफ केस दर्ज किया था, लेकिन दोनों का तब से ही कुछ पता नहीं है, बस उनके बारे में खबरें कहीं न कहीं से आ जाती हैं. रिपोर्ट की मानें तो ज्यादा लोन लेने के लिए स्टर्लिंग बायोटेक की बैलेंस शीट में गड़बड़ी की गई थी और बैंक के कुछ अधिकारियों से मिलकर ये लोन लिया गया था. इसके अलावा, स्टर्लिंग बायोटेक पर 300 से ज्यादा बेनामी कंपनियों के हेर फेर का आरोप है. कुछ रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि कंपनी ने 2008 में 50 करोड़ की खरीदी की थी, लेकिन बैलेंस शीट में 405 करोड़ रुपए दिखाए थे. 2007-08 में टर्नओवर 304.8 करोड़ रुपए रहा था लेकिन, आयकर रिटर्न और बैलेंस शीट में 918.3 करोड़ के टर्नओवर की जानकारी दी.

कुल मिलाकर भारत के खाते में एक और भगौड़ा आ गया. देश में जिस तरह से धन्नासेठों को लोन मिल रहा है और किसानों के लोन पर शिकंजा कसा जा रहा है उससे तो यही लगता है कि मिडिल क्लास और गरीबों का पैसा लेकर ऐसे लोगों को लोन दिया जाता है. एक मिडिल क्लास और गरीब किसान है जो ब्याज देकर ही परेशान रहता है और दूसरी तरफ ऐसे लोग जो हज़ारों करोड़ का कर्ज लेकर भारतीय बैंकों और सरकार को बेवकूफ बनाकर निकल जाते हैं. भारत में रह जाती है तो बैंकों की खाली तिजोरी.

अब अगर ये पूछा जाए कि इन लोगों को लोन कैसे मिल जाता है और सरकारें इस समय क्या करती रहती हैं तो इसका जवाब शायद किसी के पास नहीं होगा. सच तो ये है कि न तो मनमोहन सरकार ऐसे लोगों को लोन देने से रोक सकी और न ही मोदी सरकार देश का काला धन वापस ला सकी.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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